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चीनी प्रधान मंत्री ली खछ्यांग के निमंत्रण पर भारतीय प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह ने 22 अक्तूबर की रात को पेइचिंग पहुंचकर चीन की यात्रा शुरू की। बुधवार की सुबह वे ली खछ्यांग के साथ वार्ता कर रहे हैं। मनमोहन की यह यात्रा ली खछ्यांग की भारत-यात्रा के कोई 4 महीने बाद हो रही है। और ऐसा पहली बार हुआ है कि पिछले 59 वर्षों के बाद दोनों देशों के प्रधान मंत्रियों ने एक ही साल के भीतर एक दूसरे के यहां यात्रा की है।
यदि कहे कि गत मई माह में ली खछ्यान ने भारत को प्रधान मंत्री के रूप में अपनी पहली विदेश-यात्रा का पहला पड़ाव चुनकर वसंत में एक बीज बोया, तो मनमोहन सिंह की वर्तमान चीन-यात्रा सुनहरी पतझड़ में चीन-भारत संबंधों का एक सुफल कहा जा सकता है। उसने चीन-भारत सहयोग की वर्तमान अच्छी स्थिति दर्शायी है। हां, देशों के बीच संबंधों से निपटने में समान लाभ एवं उभय जीत और अच्छा सहयोग नए युग में चीनी कूटनीति का एक अहम भाग है।
इधर के दिनों में चीनी विदेश मंत्रालय के नियमित संवाददाता-सम्मेलनों में मनमोहन सिंह की चीन-यात्रा की चर्चा के दौरान द्विपक्षीय आर्थिक एवं व्यापारिक सहयोग एवं सीमा-मुद्दे का सब से अधिक उल्लेख किया गया है। मनमोहन सिंह के चीन में प्रवास के दौरान भारत संभवतः अपने यहां चीनी वाणिज्य-उद्यान की स्थापना संबंधी प्रस्ताव पेश करेगा। गत मई माह में ली खछ्यांग की भारत-यात्रा के दौरान इसपर चीन और भारत ने विचार-विमर्श किया था। उस समय दोनों पक्ष सहमत हुए थे कि व्यावसायिक उद्यान बनाने के क्षेत्र में सहयोग किया जाएगा, ताकि दोनों देशों के उद्यमों को साझे विकास के लिए एक सामूहिक मंच उपलब्ध हो सके।
सीमा-मुद्दे पर चीन और भारत के बीच मतभेद बना रहा है, तो भी दोनों देशों के नेताओं ने इसे अच्छी तरह से नियंत्रित करने पर एकमतता प्राप्त की है। चीन सीमा-मुद्दे से कभी नहीं कतराया है। गत मई में ली खछ्यांग ने अपनी भारत-यात्रा के दौरान अनेक मौकों पर भारतीय नेताओं से सीमा-मुद्दे की चर्चा की और चीन का मजबूत विचार दोहराया कि मैत्रीपूर्ण सलाह-मशविरे जैसे शांतिपूर्ण तरीके से सीमा-मुद्दे का समाधान किया जाना चाहिए और इसके आखिरी समाधान तक दोनों देशों को इस क्षेत्र में शांति एवं अमनचैन की रक्षा करने की समान कोशिश करनी चाहिए। चीन के इस रूख ने भारत के राजनीतिक जगत और मीडिया पर गहरी छाप छोड़ी है। कुछ समय पहले चीन और भारत के बीच सीमांत मामलों पर बैठक हुई, जिसमें सीमा की सुरक्षा के लिए काम की व्यवस्था में सुधार, सीमा से जुड़ी समस्याओं से निपटने की कार्यक्षमता और कारगता की उन्नति पर विचार-विमर्श किया गया।
दूसरी तरफ़ सीमा पर शांति एवं अमनचैन बने रहना चीन और भारत दोनों के लिए बहुत लाभदायक है। चीन और भारत दुनिया में दो सब से बड़े विकासशील देश हैं और साथ ही दो प्रमुख उभरते अर्थव्यवस्था वाले देश भी। दोनों देशों के बीच समान विकास के लिए सहयोग होने से दोनों देशों की जनता को सीधा लाभ मिलेगा।