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रूस की यात्रा कर रहे भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 21 अक्तूबर को रूसी राष्ट्रपति वलादिमिर पुतिन के साथ वार्ता की, और द्विपक्षीय सहयोग व कुछ महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय व क्षेत्रीय मामलों पर व्यापक विचार-विमर्श किया। दोनों ने ऊर्जा, सैन्य आदि क्षेत्रों में सहयोग मजबूत करने पर सिलसिलेवार सहमतियां हासिल की।
20 अक्तूबर को भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन मॉस्को पहुंचे। 21 अक्तूबर को पुतिन ने मॉस्को के क्रेंलिन भवन में मनमोहन से भेंट की। वार्ता में पुतिन ने कहा कि मनमोहन की सक्रिय भागीदारी से भारत रूस का महत्वपूर्ण रणनीतिक साझेदार व सहयोगी बना है। इसके लिये वे मनमोहन सिंह को धन्यवाद देते हैं। साथ ही मनमोहन ने भी द्विपक्षीय संबंधों का उच्च मूल्यांकन किया। वार्ता के बाद दोनों देशों के नेताओं ने संयुक्त वक्तव्य जारी करके कहा कि दोनों देश राजनीति, अर्थव्यवस्था, सैन्य, ऊर्जा, संस्कृति, शिक्षा, विज्ञान व तकनीक, अंतरिक्ष का विकास, आंतकवाद का विरोध, सूचना की सुरक्षा आदि पक्षों में व्यापक सहयोग करेंगे। इसके अलावा दोनों ने अपराधियों को एक-दूसरे को सौंपने, ऊर्जा प्रबंध विभागों के बीच सहयोग करने, मानकीकरण, तकनीक का नवाचार, जैव प्रौद्योगिकी आदि पक्षों में सरकारों के बीच पांच समझौतों पर हस्ताक्षर किये।
मनमोहन की रूस यात्रा से पहले ऊर्जा व सैन्य क्षेत्र में दोनों देशों के सहयोग पर ध्यान केंद्रित हुआ है। वार्ता के बाद पुतिन व मनमोहन द्वारा जारी संयुक्त वक्तव्य के मुताबिक ऊर्जा के क्षेत्र में दोनों पक्षों ने तरल प्राकृतिक गैस से जुड़े सहयोग को मजबूत करने का फैसला किया। साथ ही वे ग्राउंड पाइप लाइन द्वारा रूस के हाइड्रोकार्बन फीडस्टॉक को भारत पहुंचाने का अनुसंधान एक साथ करेंगे। वहीं दोनों दक्षिण भारत में स्थित कुडानकुलम परमाणु बिजली-घर के नंबर एक जनरेटर-सैट से संतुष्ट हैं। और जल्द ही नंबर दो जनरेटर-सैट की स्थापना को पूरा करने का फैसला किया गया। इसके अलावा नंबर तीन व नंबर चार जनरेटर-सैटों से जुड़े सहयोग समझौतों पर हस्ताक्षर करने की कोशिश भी होगी।
सैन्य तकनीक के क्षेत्र में दोनों पक्षों ने इंद्रा-2013 रूस-भारत संयुक्त आतंक विरोधी युद्धाभ्यास की प्रशंसा की। इस बार के युद्धाभ्यास में रूस व भारत के कुल 500 अधिकारियों व सैनिकों ने भाग लिया। युद्धाभ्यास में इस्तेमाल सभी हथियार रूस से आयातित टी-72 टैंक जैसे हथियार हैं। इसके अलावा दोनों का मानना है कि वर्तमान में भारत व रूस द्वारा संयुक्त रूप से अनुसंधान किया जा रहे पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान यानी टी-50, बहुपयोगी परिवहन, ब्रामोस नामक क्रूज मिसाइल आदि मुद्दों में अच्छी उपलब्धियां प्राप्त हुई हैं। रूस व भारत मिसाइल तकनीक, नौसेना तकनीक तथा हथियार व्यवस्था आदि के सहयोगों को लगातार विस्तृत करेंगे। इस वर्ष के नवंबर में रूस भारत को विक्रमादित्य नामक विमान-वाहक पोत सौंप देगा।
रूस का मानना है कि इस यात्रा में प्राप्त उपलब्धि अनुमानित है। रूस की एक वेबसाइट पर यह लिखा गया है कि सिंह की रूस यात्रा से पहले भारत ने दोनों देशों के बीच ऊर्जा सहयोग को मजबूत करने का संदेश भेजा है। शायद कुछ समय के बाद रूस का प्राकृतिक गैस तरलता के अलावा अन्य तरीके से भी भारत में निर्यातित किया जा सकेगा। और भारत को उत्तरी ध्रुवी में रूस के सर्वेक्षण कार्य में भी भाग लेने की संभावना होगी। इसके अलावा न्यूक्लियर बिजली से जुड़े सहयोग में दोनों देशों के काम सुचारू रूप से चल रहे हैं। मनमोहन की इस यात्रा से दोनों पक्षों के ऊर्जा सहयोग की दिशा व तरीका और स्पष्ट होगा।
रूस के मुताबिक सैन्य तकनीक सहयोग के क्षेत्र में रूस व भारत की सेनाओं के बीच सहयोग उन्नत हुई है। रूसी मीडिया का कहना है कि वर्तमान में दोनों देशों के बीच सैन्य सहयोग पहले के हथियारों के व्यापार से संयुक्त रूप से अनुसंधान व उत्पादन करने के नये सहयोग तरीके में परिवर्तित हो चुका है।
लेकिन रूस की कुछ अख़बारों के विचार में इस बार मनमोहन की रूस यात्रा में हस्ताक्षरित अधिकतर समझौते ढांचागत समझौते ही हैं। जिनमें ज्यादा वास्तविक विषय शामिल नहीं हैं।
चंद्रिमा