Web  hindi.cri.cn
मनमोहन की यात्रा से चीन-भारत संबंधों में सकारात्मक ऊर्जा का संचार
2013-10-21 11:25:48

भारत के प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह 22 अक्तूबर को चीन की 3 दिवसीय यात्रा के लिए पेइचिंग पहुंचने वाले हैं। योजनानुसार वे चीनी राजनेताओं के साथ न केवल दोनों देशों के साझे चिंता वाले मसलों पर ही नहीं, बल्कि बड़े देशों के नए ढंग के संबंधों के बारे में विचारों एवं व्यवहारों पर भी विचार-विमर्श करेंगे।

ऐसा पहली बार है कि वर्ष 1954 के बाद चीन और भारत के प्रधान मंत्रियों के एक ही साल के भीतर एक दूसरे के देशों की यात्री पूरी होगी। रिपोर्टो के अनुसार मनमोहन सिंह के चीन में प्रवास के दौरान दोनों देशों के बीच वीज़ा संबंधी समझदारी-ज्ञापन और सीमा सुरक्षा सहयोग संबंधी समझौते पर हस्ताक्षर होंगे। सिंह की चीन-यात्रा से पूर्वी एशिया को दक्षिण एशिया से जोड़ने वाले बांग्लादेश-चीन-भारत-म्यांमार के आर्थिक गलियारे की परिकल्पना को आगे बढाए जाने की उम्मीद भी है। अगर पूर्वनिश्चित कार्यक्रमों में उपलब्धियां हासिल हुईं, तो नए युग में चीन-भारत की चतुर्मुखी रणनीतिक साझेदारी के नए विकास की पुख्ता नींव डाली जाएगी।

चीन हमेशा से भारत के साथ अपने संबंधों को भारी महत्व देता रहा है। दोनों देशों के नेताओं के बीच भी अंतर्राष्ट्रीय मचों पर रायों का आदान-प्रदान हुए होता है। चीनी प्रधान मंत्री ली खछयांग ने गत मई माह में भारत को अपनी विदेश-यात्रा का पहला पड़ाव चुना, जिससे चीन की कूटनीति में भारत की प्रधानता साफ़ तौर पर जाहिर है। दूसरी ओर चीन के साथ संबंध एवं सहयोग मजबूत बनाना भारत की बुनियादी राष्ट्रीय नीतियों एवं पूर्वोम्मुख कूटनीति के भी हित में है।

वर्तमान समय में चीन-भारत संबंध समग्र दृष्टि से बेरोकटोक रूप से आगे बढ रहे हैं और आर्थिक एवं व्यापारिक क्षेत्रों में सहयोग संतोषजनक रूप से हो रहा है। बावजूद इसके द्विपक्षीय संबंधों के विकास का रास्ता समतल नहीं है। दोनों देशों को सीमा-विवाद और व्यापारिक असंतुलन जैसे समस्याएं सताती हैं। ऐसे में दोनों देशों के नेताओं को ऐसा करने की और भी जरूरत है कि वे अक्सर एक दूसरे से मिलें, बातचीत करें, अंतरविरोधों को निष्कपटता से देखें, मतभेदों का समुचित नियमन करें, आपसी विश्वास और सहयोग को बढाएं।

नवोदित बड़े विकासशील देश होने के नाते चीन और भारत के बीच ऊर्जा, जलवायु-परिवर्तन, आंतक-विरोध, नौवहन, सुरक्षा, वैश्विक राजकोष और नई न्यायोजित एवं युक्तसंगत अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक एवं राजनीतिक व्यवस्था की स्थापना आदि क्षेत्रों में साझे हित मौजूद हैं। इस तरह चीन और भारत के लिए हाथ में हाथ मिलाकर चुनौतियों का मुकाबला करना और भी आवश्यक है। इसके अलावा क्षेत्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय मामलों में भी दोनों देशों के बीच सहयोग की बड़ी संभावनाएं हैं। चीन-भारत संबंध द्विपक्षीय और भू-राजनीतिक दायरे से ऊपर होकर पृथ्वीव्यापी रणनीति का महत्व रखते हैं।

चीन और भारत एक दूसरे के भागीदार हैं न कि प्रतिद्वंद्वी और एक दूसरे के विकास को चुनौती की बजाए सुअवसर मानते हैं। दोनों देशों की आबादी बड़ी है और अर्थतंत्र भारी मायने रखता है। तथ्यों से आखिरकार यह साबित कर दिखाया जाएगा कि दुनिया में चीन और भारत के साझे विकास की पर्याप्त गुजाइश है और दुनिया को भी इस साझे विकास की जरूरत है।

पिछले दशकों में चीन-भारत संबंधों में उतार-चढाव देखा गया। लेकिन हाल के वर्षों में ये संबंध काफ़ी सुधर गए हैं। एशिया के दो सब से बड़े विकासशील देशों के रूप में चीन और भारत मैत्रीपूर्वक साथ-साथ रहना बड़े देशों के नए ढंग के संबंधों के विषयों को समृद्ध बनाएगा ही नहीं, बल्कि एशिया यहां तक की पूरी दुनिया की शांति एव खुशहाली के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।

भविष्य के लिहाज से चीन और भारत को ऐसा करना जारी रखना चाहिए कि वे आर्थिक एवं व्यापारिक क्षेत्र में एक दूसरे के पूरक होते रहे, सामरिक क्षेत्र में एक दूसरे पर अधिक विश्वास करें और अंतर्राष्ट्रीय मामलों में एक दूसरे का समर्थन जारी रखें। विश्वास है कि प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह की आसन्न चीन-यात्रा से दोनों देशों की रणनीतिक साझेदारी के विकास में नये सकारात्मक ऊर्जा का संचार होगा।

आप की राय लिखें
Radio
Play
सूचनापट्ट
मत सर्वेक्षण
© China Radio International.CRI. All Rights Reserved.
16A Shijingshan Road, Beijing, China. 100040