पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ 19 अक्टूबर को अमेरिका के लिए रवाना हुए। बताया जाता है कि वे 23 अक्टूबर को अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के साथ भेंट-वार्ता करेंगे। इसमें अफगानिस्तान की शांति प्रक्रिया और अमेरिकी ड्रोन हमलों में आम लोगों के मारे जाने का मुद्दा भी शामिल होगा।
पाकिस्तान के डॉन अखबार के अनुसार अमेरिका को उम्मीद है कि अफगानिस्तान की शांति प्रक्रिया में पाक सक्रिय भूमिका अदा कर सकेगा, वहीं नवाज शरीफ अमेरिका की ओर से पाकिस्तान को अधिक आर्थिक मदद चाहते हैं।
अमेरिकी विदेशी संबंध परिषद के वरिष्ठ शोधकर्ता डैनियल मार्की ने कहा कि प्रधानमंत्री बनने के बाद शरीफ कहते हैं कि पाक अमेरिका का सहयोगी साझेदार बन सकता है। अफगानिस्तान की शांति प्रक्रिया में कुछ लोगों ने पाक पर आरोप लगाया था। क्योंकि उनके विचार में पाकिस्तान लगातार तालिबान के साथ सक्रिय रुप से संपर्क रखता है। गौरतलब है कि पिछले महीने पाकिस्तान ने तालिबान के वरिष्ठ सरगना अब्दुल गनी बारादार समेत कुछ बंदियों को छोड़ा था। विश्लेषकों के अनुसार यह अफगानिस्तान और तालिबान की रचनात्मक बातचीत के लिए लाभदायक है। योजना के अनुसार अमेरिका और नाटो वर्ष 2014 के अंत से पहले अपने अधिकतर सैनिकों को वहां से हटा लेंगे।
अमेरिकी सैन्य ड्रोन हमलों के प्रति पाक सरकार के प्रवक्ता परवेज़ राशिद ने कहा कि पाक प्रतिनिधिमंडल इस यात्रा के दौरान अमेरिका के समक्ष यह सवाल उठाएगा। पाकिस्तान के विचार में अमेरिकी ड्रोन विमानों ने पाक प्रभुसत्ता का अतिक्रमण किया है। लेकिन अमेरिका के विचार में आतंकियों के खात्मे में ड्रोन हमले कारगर साबित होते हैं। पाक विश्लेषक हसन अस्कारी ने कहा कि मतभेद मौजूद होने की वजह से इस मसले पर उल्लेखनीय प्रगति हासिल नहीं होगी। लेकिन अमेरिकी शोधकर्ता डेनियल मार्की ने कहा कि दोनों पक्ष संभावतः समझौता संपन्न करेंगे, यानी अमेरिका ड्रोन हमलों की तीव्रता कम करते हुए सिर्फ तालिबान से संबंधित ठिकानों पर हमले करेगा।
शरीफ को उम्मीद है कि वे अपनी इस यात्रा के दौरान अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष,विश्व बैंक और निजी निवेशकों से मुलाकात कर सकेंगे। पिछले महीने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने चेतावनी देते हुए कहा था कि सख्त नीति के चलते अगले साल पाकिस्तान की आर्थिक वृद्धि अनुमान से कम होगी।
(होवेइ)