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68वीं संयुक्तराष्ट्र महासभा में सामान्य बहस 24 सितंबर को न्यूयॉर्क स्थित संयुक्तराष्ट्र मुख्यालय में शुरू हुई। वर्तमान बहस का विषय 2015 के बाद विकास कार्यक्रम के लिए तैयारी करना है। संयुक्तराष्ट्र के 193 सदस्य देशों और पर्यवेक्षक समुदाय और कुछ पर्यवेक्षक संगठनों के प्रतिनिधियों ने संयुक्तराष्ट्र मुख्यालय में वर्तमान में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के सामने मौजूद फोकस मामलों पर अपने-अपने विचार पेश किये।
संयुक्तराष्ट्र महासचिव बान की मून ने उद्घाटन समारोह में भाषण देते हुए कहा कि वर्ष 2015 संयुक्तराष्ट्र सहस्राब्दी विकास लक्ष्य पूरा करने की समय सीमा होगी। इसके अलावा वर्ष 2015 विभिन्न देशों द्वारा एक नये विकास कार्यक्रम को पूरा करने का वर्ष भी है। विकास का नया कार्यक्रम सहस्राब्दी विकास लक्ष्य की तरह प्रोत्साहन की भूमिका निभाएगा।
वर्तमान संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष जॉन विलियम ऐश ने भाषण देते हुए कहा कि 2015 के बाद विकास कार्यक्रम संयुक्त राष्ट्र संघ के कार्य और दीर्घकालीन प्रभाव के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। नए कार्यक्रम का लक्ष्य गरीबी उन्मूलन होना चाहिए। इसके साथ साथ आर्थिक वृद्धि, समान अवसर, सामाजिक सहिष्णुता और पर्यावरण के अनवरत विकास के बीच अविभाज्य संबंधों पर भी ध्यान देना चाहिए।
130 से अधिक देशों के नेताओं ने इस वर्ष की महासभा में भाग लिया। इसके अलावा कम से कम 60 विदेश मंत्री भाषण देंगे। महासभा की 8 दिवसीय सामान्य बहस 1 अक्तूबर को समाप्त होगी
उसी दिन सीरिया का रासायनिक हथियार मुद्दा भी प्रमुख चर्चा का विषय बना रहा। बान कि मून ने उद्घाटन समारोह में कहा कि विश्व के विभिन्न देशों को सीरिया के रासायनिक हथियार पर निगरानी और प्रबंधन लगाने और इसे नष्ट करने की गारंटी की आवश्यक्ता है। सीरिया के मुठभेड़ के दोनों पक्षों को हथियार देना बन्द करना चाहिए और मुठभेड़ के दोनों पक्षों को वार्ता करने की कोशिश करनी चाहिए। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि राजनीतिक तरीके से इस मामले का समाधान करना एक मात्र उपाय है। सीरिया सवाल के दूसरे जिनेवा अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का जल्द ही आयोजन किया जाना चाहिए।
अमरीकी राष्ट्रपति ओबामा ने भाषण देते हुए कहा कि अमरीका बल प्रयोग समेत संभवत:सभी उपाय से इस क्षेत्र में अपने केंद्रीय हित की गारंटी देगा। लेकिन उन्होंने इस पर भी बलपूर्वक कहा कि कुछ फोकस मामलों का समाधान राजनीतिक तरीके से किया जाना चाहिए। उन्होंने यह वचन दिया कि अमरीका सीरिया के मानवीय सहायता के लिए और 34 करोड़ अमरीकी डॉलर लगाएगा।
फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांस्वां ओलांड ने सामान्य बहस में भाषण देते हुए कहा कि यदि जांच दल ने सीरिया द्वारा रासायनिक हथियारों का उपयोग किये जाने की पुष्टी की, तो अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को इस पर मजबूत प्रतिक्रिया करनी चाहिए। लेकिन ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने भाषण देते हुए यह चेतावनी दी कि रासायनिक हथियार सीरिया के विपक्ष के उग्रवादियों और आतंकवादियों के हाथ में है। यह क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए और बड़ा खतरा है। इसलिए रासायनिक हथियारों को नष्ट करने के दौरान इस स्थिति पर विचार किया जाना चाहिए।
सीरिया संकट के अलावा ईरान का परमाणु मुद्दा पहले दिन के सम्मेलन में एक अन्य महत्वपूर्ण विषय रहा। अमरीकी राष्ट्रपति ओबामा को विश्वास है कि राजनयिक माध्यम से ईरान का परमाणु मामले का शांतिपूर्ण रूप से समाधान करने की कोशिश की जानी चाहिए। उसी दिन ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने संयुक्तराष्ट्र में दोहराया कि ईरान की परमाणु योजना शांतिपूर्ण लक्ष्य के लिए है। ईरान परमाणु हथियारों और अन्य नरसंहार हथियारों का उपयोग नहीं करेगा, क्योंकि यह उसके बुनियादी धार्मिक विश्वासों का उल्लंघन है। लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को परमाणु ऊर्जा का उपयोग करने की ईरानी जनता के अधिकार का सम्मान करना चाहिए।
(वनिता)