वर्ष 2020 के ओलंपिक के मेजबान देश का नाम सार्वजनिक कर दिया गया है। वैसे ओलंपिक की मेजबानी की दौड़ में तीन देशों के तीन शहर शामिल थे। लेकिन गत् 7 सितंबर को हुई वोटिंग में जापान के टोक्यो ने स्पेन के मैड्रिड और तुर्की के इस्तांबुल को पछाड़कर ओलंपिक की मेजबानी का अधिकार जीता। यानी 2020 ओलंपिक एक बार फिर से एशिया में होने जा रहा है, इससे पहले 2008 में चीन की राजधानी बीजिंग को ओलंपिक की मेजबानी करने का मौका मिला था, ओलंपिक के सफल और बेहतरीन आयोजन ने दुनिया भर का ध्यान अपनी ओर खींचा। वहीं जापान की बात करें तो वह पहले भी ओलंपिक का आयोजन कर चुका है।
इस रिपोर्ट में हम आपको ओलंपिक की रेस में शामिल तीनों शहरों की विशेषता और कमज़ोरियों से रूबरू कराएंगे।
सबसे पहले बात स्पेन के मैड्रिड की। मैड्रिड की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि वहां ओलंपिक से जुड़ी सबसे बुनियादी सुविधाओं का निर्माण पूरा हो चुका है। यानी जल्द ही उनका इस्तेमाल किया जा सकेगा। स्पेन के ओलंपिक आवेदन प्रतिनिधिमंडल के अध्यक्ष ब्रेनको ने 6 सितंबर को ब्यूनेस आयर्स में कहा , मैड्रिड की सबसे खास बात यह है कि ओलंपिक के लिये 80 प्रतिशत स्टेडियमों का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है। इसके अलावा ओलंपिक के आयोजन के लिये हमारा बजट बहुत कम है, इसलिये इसे अमल में लाना बहुत आसान है, जो हमारे देश की आर्थिक स्थिति के भी अनुकूल है। वहीं स्पेन में खेल का स्तर बहुत ऊँचा है। इस क्षेत्र में हमारा प्रबंध स्तर बहुत अच्छा है, और बहुत वरिष्ठ सलाहकार भी हैं। ओलंपिक के आवेदन में हमें आम लोगों का व्यापक समर्थन मिला है। इसलिये हमें लगता है कि मैड्रिड वर्ष 2020 ओलंपिक की मेजबानी करने का सबसे उचित उम्मीदवार है।
पर मैड्रिड के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि वर्तमान में स्पेन की आर्थिक स्थिति बहुत खराब है। सभी लोग यह जानते हैं कि वर्तमान में यूरोप के कई देश आर्थिक मंदी की चपेट में हैं। उनमें स्पेन की हालत सबसे गंभीर है। वित्तीय सिकुड़न व ऊंची बेरोजगारी दर आदि कारणों से वह दौड़ में पिछड़ गया।
हालांकि मैड्रिड के मेयर बोतेल्ला ने ज़ोर दिया कि ओलंपिक आवेदन के प्रस्तावों में स्पेन का बजट सबसे सस्ता है। अगर वह सफल हुआ, तो वह शायद ओलंपिक के इतिहास में सबसे सस्ता ओलंपिक बनेगा। लेकिन दोस्तो, यहां बता दें कि ऐसा नहीं हुआ, और ओलंपिक की मेजबानी का अधिकार जीता टोक्यो ने। हालांकि मेयर ने कहा ओलंपिक के आवेदन में हमारा प्रस्ताव सबसे किफ़ायत भरा है। निर्माण के लिये बजट केवल 1.5 अरब यूरो है, जो बहुत सस्ता है। इसके अलावा अभी वर्ष 2020 में अभी कई साल बाकी हैं। इसलिये हर वर्ष का खर्च हमारी सीमा में है।
अहम बात यह है कि आगामी कुछ वर्षों में स्पेन की आर्थिक स्थिति बिगड़ेगी या नहीं यह कोई नहीं जानता। अगर वित्तीय हालत कमज़ोर होती तो स्पेन सरकार को लोगों का विरोध झेलना पड़ता।
वैसे, शुरुआत में जापान को 2020 ओलंपिक का उतना मजूबत दावेदार नहीं माना जा रहा था, लेकिन टोक्यो को वहां की जनता का जबरदस्त समर्थन मिला। लेकिन परमाणु रिसाव की दुर्घटना उसके सामने एक बड़ी चुनौती थी। गत् 5 सितंबर को जारी ख़बर के अनुसार फुकुशिमा परमाणु बिजली घर, जहां गंभीर परमाणु रिसाव घटना हुई, के आसपास के भूजल की जांच में रेडियोधर्मी पदार्थों का पता चला है। यहां तक कि परमाणु दूषित जल शायद भूजल में पहुंच गया है। बेशक इससे ओलंपिक के आवेदन में टोक्यो पर असर ज़रूर पड़ा। लेकिन अंत में बाजी टोक्यो ने ही मारी।
हालांकि जापानी प्रतिनिधिमंडल ने इसे मानने से इनकार किया। टोक्यो के गवर्नर नाओकिलनोस ने कहा, परमाणु दूषित जल का प्रभाव केवल 0.3 वर्ग किमी के दायरे में है। वर्तमान में विश्व की बहुत मीडिया इस बात को बढ़ा-चढ़ाकर पेश कर रही है। और तमाम रिपोर्टें अफवाह हैं।
इसके अलावा जापान के सामने और एक सवाल यह था कि जापान, यूरोप व अमेरिका के बीच समय में अंतर होता है। वरिष्ठ खेल टिप्पणीकार, अर्जेंटीना टी.एन. टीवी के खेल विभाग के प्रमुख जूलियन के विचार में समय के अंतर से यूरोप व अमेरिका में दर्शकों की संख्या स्पष्ट रूप से कम होगी। जिससे ओलंपिक से जुड़े प्रसारकों व प्रायोजकों के हितों पर असर पड़ेगा। उन्होंने कहा 2020 ओलंपिक जापान में आयोजित होना है, ऐसे में अधिकतर इवेंटों का आयोजन यूरोप व अमेरिका के समयानुसार रात को होगा। इस पर यूरोप व अमेरिका आदि देश खुश नहीं हैं। और ओलंपिक आयोजन कमेटी में यूरोपीय व अमेरिकी देशों का प्रभाव बहुत बड़ा है।
बेशक, अन्य दो शहरों की अपेक्षा जापान के टोक्यो की आर्थिक स्थिति बहुत स्थिर है। इसलिए ओलंपिक के आयोजन के लिये उसके पास पर्याप्त बजट है। टोक्यो के गवर्नर नाओकिलनोस ने कहा हम ओलंपिक के आयोजन पर 4.5 अरब अमेरिकी डॉलर खर्च करेंगे। इस खर्च के लिये हम पूरी तरह तैयार हैं। हम हर समय पर स्टेडियमों के निर्माण या प्रतियोगिताओं के आयोजन पर यह राशि खर्च करेंगे।
वहीं एशिया व यूरोप की सीमा पर स्थित इस्तांबुल की सबसे बड़ी विशेषता तुर्की की संस्कृति का रहस्य है। ओलंपिक विश्व में सबसे महत्वपूर्ण खेल समारोह होता है। साथ ही वह विश्व के विभिन्न देशों की जनता के बीच एक दूसरे की संस्कृति को समझने का एक मंच भी है। और तुर्की विश्व के अधिकतर देशों की अपेक्षा अनोखा है। वैसे अब तक कोई भी ओलंपिक ऐसे देश में आयोजित नहीं किया गया, जो कि मुस्लिम बहुल देश है। इसलिये इस्तांबुल के ओलंपिक आवेदन प्रतिनिधिमंडल के अध्यक्ष हस्सन अर्लेत्त ने कहा कि तुर्की विश्व संस्कृति के आदान-प्रदान के लिये एक पुल बनेगा। उन्होंने कहा, इस्तांबुल दोनों महाद्वीपों की सीमा पर स्थित है। वह दोनों के बीच एक पुल जैसा है। इसका इतिहास चार हजार वर्षों से अधिक है। यहां पूर्व व पश्चिम, की परंपरा व आधुनिकता के साथ-साथ मौका एक साथ मिल सकेंगे।
लेकिन उक्त तीन शहरों में इस्तांबुल की संभावना सब से कम है। क्योंकि उसकी राजनीतिक स्थिति बहुत अस्थिर है। इस वर्ष इस्तांबुल में कई बार जुलूस व प्रदर्शन हुए हैं। और मध्यपूर्व में भी संघर्ष हुआ। खराब क्षेत्रीय स्थिति इस्तांबुल के ओलंपिक आवेदन की राह में एक प्रमुख बाधा बनी।
ऐसे में अन्य देशों को पीछे छोड़कर जापान की राजधानी टोक्यो वर्ष 2020 ओलंपिक का मेजबान बनने में सफल रहा। यह निर्णय अर्जेन्टीना की राजधानी ब्यूनस-आयर्स में 7 सितंबर को आयोजित अंतर्राष्ट्रीय ओलिंपिक समिति की एक बैठक में लिया गया। अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक कमेटी के अध्यक्ष जैक्स रोगे ने इसका एलान किया। अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक कमेटी ने कहा कि वर्ष 2020 के 32वें समर ओलंपिक का मेजबान शहर टोक्यो है।
गौरतलब है कि यह दूसरा मौका है जब टोक्यो को ओलंपिक की मेजबानी का मौका मिलेगा। इससे पहले वर्ष 1964 में टोक्यो ने ओलिंपिक खेलों की मेजबानी की थी। इसके अलावा टोक्यो एक से अधिक बार ओलंपिक की मेजबानी करने वाला पांचवां शहर बन गया है।
चंद्रिमा