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चीन-आसियान का विशेष विदेश मंत्री सम्मेलन पेइचिंग में
2013-08-29 15:48:23

चीन-आसियान का विशेष विदेश मंत्री सम्मेलन गुरूवार 29 अगस्त को पेइचिंग में आयोजित हुआ। सम्मेलन के आयोजन से पूर्व चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने इस में भाग लेने आए आसियान-देशों के विदेश मंत्रियों से मुलाकात की। वांग यी ने कहा कि इस सम्मेलन में अतीत की समीक्षा करने के साथ-साथ भविष्य की योजना भी बनाई जाएगी, पड़ोसियों जैसी मैत्री को आगे ले जाया जाएगा और विकास एवं सहयोग के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया जाएजा। वांग यी ने उम्मीद जताई कि संबंधित देश चीन के साथ मिलकर चीन-आसियान रणनीतिक साझेदारी को नई बुलंदी पर पहुंचाएंगे। विशेषज्ञों ने हमारे संवाददाता से कहा कि चीन और आसियान दोनों पक्षों के हित एक दूसरे से कहीं अधिक घनिष्ट रूप से जुड़ गए हैं। दोनों पक्षों को द्विपक्षीय सहयोग के स्तर की नई उन्नति के लिए वर्तमान सुअवसर का लाभ लेते हुए सहयोग के रास्ते पर खड़ी अड़चनों को दूर कर द्विपक्षीय संबंधों को आगे बढाना चाहिए।

इस साल के शुरू से अब तक चीनी विदेश मंत्री वांग यी आसियान के 10 सदस्य देशों में से 8 की यात्रा कर चुके हैं। गत जून माह के अंत से जुलाई के शुरू तक उन्होंने ब्रुनई में आयोजिच पूर्वी एशियाई विदेश मंत्रियों के श्रृंखलाबद्ध सम्मेलनों में हिस्सा लिया। वर्तमान विशेष विदेश मंत्री सम्मेलन में वांग यी 10 आसियान-देशों के विदेश मंत्रियों एवं आशियान के महासचिव से भेटवार्ता करेंगे। आगामी अक्तूबर में चीन-आसियान शिखर सम्मेलन का आयोजन होगा। पड़ोसी देश के रूप में चीन और आसियान-देशों के बीच संपर्क एवं बातचीत बढते जा रहे हैं।

चीनी सामाजिक अकादमी के एशिया-प्रशांत मामला अनुसंधान-कार्यालय के उपप्रमुख हान फंग ने कहा कि चीन और आसियान को राजनीतिक मामलों में एक दूसरे पर भरोसा बढ रहा है। कुछ देशों को चीन के विकास पर संदेह और चिंता सता रहे हैं, तो भी उसका समग्र स्थिति पर बड़ा असर नहीं पड़ा है। संदेह एवं चिंता को समाप्त करने के लिए अधिक बातचीत करना कुंजीभूत है। आसियान के हिसाब से खुद उसके पास बड़े देशों के साथ अपने संबंधों से निपटने के अनुभव हैं। श्री हान फंग ने कहाः

`'चीन और आसियान साथ-साथ उभर रहे हैं। पहले आसियान के मात्र 5 सदस्य देश थे, लेकिन अब यह संख्या बढकर 10 हो गई है, बल्कि आसियान एक ऐसी कम्युनिटी होने वाला है, जो अपेक्षाकृत ऊंचे स्तर पर एकीकृत सहयोग वाला क्षेत्रीय संगठन है। क्षेत्रीय परिदृश्य में चीन आसियान की नजर में पहला नवोदित देश नहीं है।`

इससे पहले वांग यी ने कहा था कि चीन-आसियान के मुक्त व्यापार-क्षेत्र का उन्नत संस्करण बनाया जाएगा। इस पर हान फंग ने कहा कि चीन-आसियान का मुक्त व्यापार क्षेत्र विकासशील देशों में सब से बड़ा मुक्त व्यापार-क्षेत्र है। चीन आसियान का सब से बड़ा व्यापारिक साझेदार है और आसियान है चीन का इस तरह का तीसरा बड़ा साझेदार। दोनों पक्षों के बीच आर्थिक एवं व्यापारिक सहयोग की उन्तनि गुणवत्ता और मात्रा दोनों क्षेत्रों में साथ-साथ की जाएगी, मतलब है कि यह उन्नति आवाजाही, निवेश और तकनीकी सहयोग आदि स्तरों पर साथ-साथ की जाएगी। हान फंग का कहना हैः

` विकास की प्रक्रिया में आसियान और चीन की एक विशेष समानता दिखाई दे रही है, अथार्त दोनों पक्षों के आर्थिक ढांचे बहुस्तरीय होने के कारण बेहद जटिल हैं। चीन में ऊंची कोटी के उद्योग होने के साथ-साथ बहुत बिछड़े-पुराने उद्योग भी मिलते हैं। उधर आसियान में सिंगापुर और मलेशिया जैसे अपेक्षाकृत प्रगतिशील देश होने के साथ-साथ कुछ अपेक्षाकृत बिछड़े देश भी होते हैं। आसियान अपने पुराने एवं नए सदस्य देशों के बीच विकास के अंतर को दूर करने में जुटा है और चीन भी अपने तटीय क्षेत्रों एवं पश्चिमी क्षेत्रों के बीच विकास के अंतर को मिटाने की कोशिश कर रहा है। दोनों पक्ष एक सा काम कर रहा है। इसलिए दोनों पक्षों के बीच सहयोग की बड़ी संभावनाएं हैं।`

चीनी प्रस्ताव के अनुसार आसन्न सितम्बर में चीन और आसियान के बीच पेइचिंग में दक्षिण चीन सागर में विभिन्न पक्षों के आचरण संबंधी घोषणा के क्रियान्वयन पर नए दौर की शिखर वार्ता और संयुक्त कार्य-दल की बैठक का आयोजन होगा। हान फंग का मानना है कि दक्षिण चीन सागर का मुद्दा सिर्फ संप्रभुता का दावा करने वाले इन-गिने देशों से संबंधित है, जबकि इन देशों की मांगें एवं रूख अलग-अलग और भिन्न भिन्न हैं। आसियान को आम तौर पर उम्मीद है कि वो चीन के साथ इस क्षेत्र में सुरक्षा एवं स्थिरता को बनाए रखने और समान विचार को बढाने के लिए मैत्रीपूर्ण सलाह-मशविरा करेगा।

चीन के विदेशी मामलात विश्वविद्यालय के पूर्वी एशियाई मामला अनुसंधान-केंद्र के उपप्रधान ची लिन ने कहा कि चीन दक्षिण चीन सागर के मुद्दे पर द्विपक्षीय वार्ता के अपने रूख पर कायम है, लेकिन ऊर्जा, जलमार्ग, समुद्री प्रबंधन, क्षेत्रीय सुरक्षा एवं सहयोग जैसे इस क्षेत्र के दूसरे देशों के विकास से संबंधित मुद्दों पर क्षेत्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय सहयोग किया जा सकता है। जहां तक दक्षिण चीन सागर में विभिन्न पक्षों के आचरण संबंधी मापदंडों पर वार्ता का सवाल है, वह एक क्रमबद्ध प्रक्रिया है, जो रातोंरात पूरी नहीं की जा सकती है।

उन के शब्दः

`दक्षिण चीन सागर के क्षेत्र में परिस्थिति पेचिदा होती जा रही है, जिससे क्षेत्रीय शांति एवं सुरक्षा को अधिक खतरा पैदा हो गया है।इसलिए आसियान चीन के साथ आचरण संबंधी मापदंडों पर एक बाध्यकारी नियम बनाना चाहता है। चीन वार्ता के जरिए समान विचार बढाने का रूख अपनाता रहा है। आखिरकार मांपदडों का कौन सौ स्वरूप और ढंग होगा?और उन की किस तरह की नियंत्रण वाली शक्ति होगी?इन सब पर चीन और 10 आसियान- देशों के बीच विचार-विमर्श के बाद ही निर्णय लिया जाएगा। चीन इस किस्म के मापदंड बनाने का विरोध नहीं करता है, लेकिन संप्रभुता के सवाल को मापदंडों पर वार्ता में शामिल नहीं करने का रूख अपनाता रहा है। यह प्रचलित अंतर्राष्ट्रीय कार्यवाही भी है। देशों के बीच प्रभुसत्ता से जुड़े सवालों का द्विपक्षीय तरीके से ही समाधान किया जा सकता है। चीन के इस रूख का आसियान के ज्यादातर सदस्य देशों ने भी समर्थन किया है।`

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