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सीरिया ने यूएन निरीक्षकों को जांच की अनुमति दी
2013-08-26 15:10:19

गत 21 अगस्त को किसी रिपोर्ट में दावा किया गया कि सीरिया में सरकारी सेना ने सारिन जहरीले गैस वाले बमों से दमिश्क के उपनगर स्थित कुटा क्षेत्र पर हमला किया, जिसमें 1000 से अधिक लोगों की मौत हो गई। यह हमला उस समय हुआ, जब सीरिया में रासायनिक हथियारों के प्रयोग के मामले की सचाई का पता लगाने वाले संयुक्त राष्ट्र निरीक्षक-दल अपने काम में जुटा था। सीरिया की सरकारी सेना ने संबंधित रिपोर्ट का खंडन किया, जबकि विपक्ष ने इस बात के लिए सरकारी सेना को निशाना बनाया।

संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने 25 अगस्त को अपने प्रवक्ता के जरिए एक बयान जारी कर कहा कि सीरिया के रासायनिक हथियार संबंधी संयुक्त राष्ट्र निरीक्षक-दल को 26 अगस्त को घटनास्थल जाकर ठोस जांच-काम करना है। बान की मून स्वीडन के वैज्ञानिक सेल्लस्ट्रोम की अगुवाई वाले निरीक्षक-दल को निर्देश दे चुके हैं कि वो गत 21 अगस्त को दमिश्क के उपनगर में रासायनिक हथियारों के प्रयोग के बारे में रिपोर्ट की सचाई का पता लगाना अपना पहला प्राथमिक काम बनाए। बान की मून ने दोहराया कि सभी संबद्ध पक्षों को बराबरी के तौर पर सुरक्षा का माहौल एवं अन्य आवश्यक सूचनाएं उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी निभानी चाहिए, ताकि निरीक्षक-दल बड़ी कारगरता से अपना मिशन पूरा कर सके।

सीरिया के विदेश मंत्रालय ने 25 अगस्त को कहा कि सीरिया और संयुक्त राष्ट्र के बीच इस बात पर सहमति बनी है कि संयुक्त राष्ट्र निरीक्षक-दल को दमिश्क के उपनगर जाकर संबंधित रिपोर्ट की सचाई का पता लगाने की इज़ाज़त दी जाएगी।

इस पर अमेरिकी ह्वाइट हाउस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने रविवार को संदेह जताते हुए दावा किया कि यदि सीरिया सरकार के पास छुपाने को कुछ भी नहीं है और रासायनिक हथियारों का प्रयोग नहीं करने की अपनी बात को सही साबित करना चाहती है, तो उसे उस क्षेत्र पर गोलाबारी को बन्द करना चाहिए था, जिसपर सारिन गैस वाले बमों से हमला होने का शक जाहिर किया गया है। सीरिया सरकार ने काफ़ी देरी से संयुक्त राष्ट्र निरीक्षक-दल को जांच करने की अनुमति देने का निर्णय लिया। इसलिए उसपर विश्वास करना मुश्किल है, बल्कि ऐसा इसलिए क्योंकि रासायनिक हथियारों का प्रयोग करने के सबूत संभवतः गोलाबारी एवं अन्य सुनियोजित कार्यवाही में नष्ट किए गए हैं। अमेरिका के इस अधिकारी ने यह भी कहा कि पिछले हफ्ते सीरिया में रासायनिक हथियारों के प्रयोग के हादसे में मारे गए लोगों की संख्या और उनके मरने की स्थिति एवं प्रत्यक्षदर्शियों के विवरणों के अनुसार अमेरिकी खुफ़िया संस्था इस निष्कर्ष पर पहुंच सकती है कि सीरिया में सरकारी सेना ने आम लोगों के खिलाफ़ रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल किया है। इसमें कोई शक नजर नहीं आ रहा है। अमेरिकी अखबार न्यूयार्क टाइम्स का मानना है कि ह्वाइट हाउस के इस अधिकारी के बयान से सीरिया-मुद्दे पर ओबामा प्रशासन का रूख सावधान होने से बदल कर सख्त हो गया दिखाई दिया है। इस बयान से कम से कम यह जाहिर है कि अमेरिका संभवतः सीरिया में सामरिक दखल देगा। लेकिन इस अधिकारी ने यह भी बताया कि ओबामा सीरिया में रासायनिक हथियारों के प्रयोग संबंधी रिपोर्ट से निपटने पर अब भी विचार कर रहे हैं। अमेरिकी खुफ़िया संस्था आने वाले दिनों में ओबामा को इस घटना पर अपनी समीक्षा की आखिरी रिपोर्ट देगी।

दूसरी तरफ़ अमेरिकी रक्षा मंत्री हागेल ने रविवार को मलेशिया के अपने दौरे के दौरान राजधानी क्वालालम्पुर में कहा कि अमेरिकी रक्षा मंत्रालय संभावित सभी परिस्थितियों से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है। अगर राष्ट्रपति ने समस्या के निपटान के लिए कोई कदम उठाने का निर्णय लिया, तो रक्षा मंत्रालय पूरी मुस्तैती से इस निर्णय का क्रियान्वयन करेगा। इसके साथ अमेरिकी नौसेना ने भूमध्य सागर के अपने अधिकृत क्षेत्र में नया सैन्य विन्यास भी किया है। अब इस क्षेत्र में अमेरिका के Tomahawk क्रूज मिसाइलों से लैस 4 जंगी जहाज तैनात हो गए हैं। अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के एक अधिकारी ने संकेत दिया कि अगर अमेरिका ने सीरिया में सामरिक दखल देने का फैसला लिया, तो वह सब से पहले इन जंगी जहाजों से सीरिया की ओर क्रूज मिसाइलें दागेगा।

अन्य एक रिपोर्ट के अनुसार अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने हाल ही में रक्षा मंत्रालय एवं राष्ट्रीय भू-सुरक्षा मंत्रालय के जिम्मेदार व्यक्तियों के साथ सीरिया-मुद्दे से निपटने के लिए संभावित कदमों पर एक बैठक की। रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिकी नौ सेना ने भूमध्य सागर के अपने क्षेत्र में तद्नुरूप विन्यास कर सीरिया पर अमेरिका के फौजी प्रहार की संभावना तैयार की है। जबकि इससे पूर्व ओबामा ने एक टीवी इंटरव्यू में कहा था कि सीरिया के वर्तमान गृहयुद्ध का अमेरिका के केंद्रीय राष्ट्रीय हितों से संबंध हो गया है। लेकिन सैन्य दखल देने को बड़ी सावधानता पर आधारित होना चाहिए। संयुक्त राष्ट्र द्वारा अधिकार दिए जाने बिना किसी दूसरे देश पर हमला करने में अमेरिका को अंतर्राष्ट्रीय न्यायिक बाधाओं का सामना करना पड़ेगा। ओबामा ने यह भी कहा कि युद्ध के लिए भारी-भरकम खर्च करना पड़ेगा। अफगान युद्ध का अंत नहीं हुआ है। इस लिहाज़ से कोई भी सामरिक फैसला लेने के वक्त खर्च के मुद्दे पर अच्छी तरह विचार किया जाना चाहिए।

नाटो में अमेरिका के पूर्व राजदूत इवो. दाल्डर ने कुछ समय पहले कहा कि ऐसे अनेक कारण उपलब्ध हैं, जो सीरिया-मुद्दे पर अमेरिका को संयुक्त राष्ट्र से परे फैसला लेने का समर्थन देते हैं। पहला कारण है कि जबरदस्त और शक्तिशाली प्रतिक्रिया के बगैर सीरिया संभवतः और भी बड़े पैमाने पर रासायनिक हथियारों का प्रयोग करेगा। दूसरा कारण है कि सीरिया ने रासायनिक हथियारों का प्रयोग कर वर्ष 1925 में जेनेवा में संपन्न समझौते का उल्लंघन किया है। इस अंतर्राष्ट्रीय समझौते के अनुसार किसी भी युद्ध में जहरीले गैसों का इस्तेमाल अपराध है।

उधर सीरिया के प्रेस मंत्री ज़ोबी ने लेबनान के एक टीवी चैनल को दिए अपने साक्षात्कार में कहा कि सीरिया में अमेरिका का संभावित सैन्य दखल आग का ऐसा भीमकाय गुब्बारा जलाएगा, जो धधकते हुए पूरे मध्यपूर्व को राख बनाएगा। ईरान के अर्ध सरकारी समाचार संस्था—फार्स न्यूज एजेंसी ने ईरान के डिप्टी चीफ़ ऑफ़ जनरल स्टाफ़ मासूद के हवाले से कहा कि अमेरिका को सीरिया की लाल रेखा का उल्लंघन करने वाली अपनी किसी भी हरकत के लिए गंभीर परिणाम का भुगतान करना पड़ेगा।

  

 

  

 

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