再生能源
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हाल के वर्षों से चीन सरकार ने नवीन ऊर्जा उद्योग के विकास को बढ़ावा देना शुरू किया है। लेकिन इस उद्योग के विकास में व्यापक चुनौतियां भी मौजूद हैं। इन समस्याओं का समाधान करने के लिए संबंधित पक्षों को समान कोशिश करने की ज़रूरत है।
कोयला संसाधनों की समृद्धि, प्राकृतिक गैस और तेल की कमी के वक्त चीन में कोयले की प्रधानता वाली ऊर्जा की संरचना स्थापित की गई, लेकिन इससे पर्यावरण पर भारी दबाव पड़ गया। चीन की 12 वीं पंचवर्षीय योजना में कहा गया है कि 2015 तक कार्बन डाइऑक्साइड का सालाना उत्सर्जन 40 करोड़ टन कम किया जाएगा। इसके साथ साथ परमाणु ऊर्जा, पवन उर्जा, सौर ऊर्जा और बायोमास ऊर्जा आदि अक्षय ऊर्जा का विकास किया जाएगा।
वर्तमान में चीन में ग्रिड से जुड़ी पवन ऊर्जा स्थापन क्षमता दुनिया के पहले स्थान है। लेकिन चीन के कुछ इलाकों के विंड फार्मों में काम बन्द है। चीन में 50 हजार किलोवाट की क्षमता वाला ह्वा नंग थाओ पेई विंड फार्म पिछले साल से घाटे में चल रहा है। इस विंड फार्म के मैनेजर छन सिन ने कहा कि बिजली ट्रांसमिशन पाइपलाइन के निर्माण की गति धीमी होना और बिजली टैरिफ प्रणाली सख्त होने आदि कारणों से विंड फार्म में घाटा आ रहा है। छन सिन ने कहाः
"सरकारी भत्ता लम्बे समय तक कार्यांवित नहीं हुआ। वर्तमान स्थिति यह है कि नई ऊर्जा उद्योग में सरकार की परियोजना और उद्योग के विकास की वर्तमान स्थिति से नहीं मेल खाता है। इससे तेज़ हवा चलने के समय बिजली उत्पादन सीमित करना पड़ता है। हमारे सामने यही सवाल मौजूद है।"
इसकी चर्चा में उत्तर-पूर्व चीन के चीन लिन प्रांत के ऊर्जा ब्यूरो के उप प्रमुख चंग च्येन लिन ने कहा कि अब परंपरागत ऊर्जा व्यवस्था, प्रबंध व्यवस्था और संबंधित नीति नई ऊर्जा के विकास की आवश्यकता की पूर्ति नहीं कर पाती है। इसलिए बिजली ग्रिड में समायोजन करना पड़ता है। चंग च्येन लिन ने कहा
"ग्रिड प्रौद्योगिकी प्लेटफार्म होने के नाते भविष्य में अवश्य ही नई ऊर्जा को समर्थन दिया जाएगा। पवन ऊर्जा और सौर ऊर्जा दोनों के अनियमित होने की विशेषता है। ग्रिड को इस परिवर्तन के अनुरूप बनाया जाएगा।"
कठोर बाजार प्रणाली अक्षय ऊर्जा के विकास को बाधित करने की एक अन्य समस्या है। होंग हाओ एक बायोमास ऊर्जा कंपनी के मैनेजर हैं। उन्होंने कहा कि सख्त बाजार प्रणाली की वजह से अक्षय ऊर्जा परंपरागत ऊर्जा के साथ निष्पक्ष प्रतिस्पर्द्धा करने में अक्षम है। उन्होंने कहाः
"हमारे सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि सरकार नई ऊर्जा के मूल्य तय करती है। उसकी प्राथमिकता कार्बन टैक्स वसूल करना है। कोयले की कीमत कम करने का परिणाम लोगों को प्रदूषण फैलाने वाले ईंधन का इस्तेमाल करने को बढ़ावा देना है। इस सवाल का समाधान कार्बन टैक्स वसूल करना है। विदेशों में भी ऐसा होता है। इससे अक्षय ऊर्जा के विकास को मौका दिया जाएगा।"
हालांकि चीन सरकार 2004 से अक्षय ऊर्जा में निवेश हर साल 80 प्रतिशत की दर से बढ़ा रही है। चीनी राजकीय उद्योग और वाणिज्य संघ के उपाध्यक्ष ली ह चुन ने कहा कि भविष्य में नवीन ऊर्जा उद्योग के विकास का रूझान में बदलाव नहीं आएगा। ली ह चुन ने कहाः
"चीन में 2012 में पवन ऊर्जा, सौर उर्जा, बायोमास ऊर्जा, विद्युत ऊर्जा और टेरेस्ट्रियल हीट आदि नई ऊर्जा के लिए 2 खरब 30 अरब युआन जारी किए गए। दुनिया के सभी देशों में नवीन ऊर्जा का मुख्य स्थान नहीं बदलने वाला है। परंपरागत ऊर्जा की नवीन ऊर्जा और अक्षय ऊर्जा को जगह देने के रूझान में भी परिवर्तन नहीं आएगा।