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जापान में परमाणु बम गिराए जाने की 68वीं बरसी
2013-08-07 17:14:25

जापान के हिरोशिमा में 6 अगस्त को परमाणु बम गिराए जाने की 68वीं सालगिरह थी। इस मौके पर सुबह 8 बजे परमाणु बम के विस्फोट से मारे गये लोगों के प्रति शोक व शांति के लिये प्रार्थना रस्म हिरोशिमा शहर के शांति स्मारक पार्क में आयोजित हुई। इस दौरान जापानी प्रधानमंत्री शिन्जो अबे, संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष वुक जेरेमिच व जापान में स्थित अमेरिकी राजदूत जोन रूस समेत 50 हजार से ज्यादा लोग मौजूद थे।

जापानी प्रधानमंत्री शिन्जो अबे ने अपने भाषण में कहा,परमाणु बम विस्फोट से पीड़ित एकमात्र देश के रूप में हम जापानी लोग गैर नाभिकीय हथियारों की दुनिया स्थापित करने की जिम्मेदारी उठाएंगे, और इसके लिये पूरी कोशिश भी करेंगे। हम लगातार अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से परमाणु हथियारों की अमानवता की आलोचना करते रहेंगे। नाभिकीय हथियार से हुए विनाश को फिर न होने देने के लिये जापान गैर नाभिकीय तीन नियमों पर कायम रहेगा, और परमाणु हथियारों को नष्ट करने और विश्व में स्थायी शांति कायम करने की पूरी कोशिश करेगा।

हिरोशिमा के मेयर काज़ुमी मात्सुई ने शांति घोषणा पत्र में नाभिकीय हथियारों के प्रति घृणा का भाव जताया। उन्होंने बल देकर कहा कि,परमाणु बम एक उग्रवादी अमानवीय हथियार हैं। जिससे गंभीर अपराध होता है। हिरोशिमा शहर ने जापान सरकार से उन देशों के साथ सहयोग को मजबूत करने का आग्रह किया, जो नाभिकीय हथियारों को नष्ट करने की कोशिश कर रहे हैं।

एक बुजुर्ग, जो कि अब 82 वर्ष के हो चुके हैं, हिरोशिमा में हुए परमाणु बम विस्फोट के गवाह हैं। उन्होंने अपने अनुभव संवाददाता को बताए। उन्होंने कहा,मैं परमाणु बम से ग्रस्त एक व्यक्ति के रूप में अपनी इच्छा व्यक्त करना चाहता हूं। मुझे आशा है कि वर्तमान के जापानी लोग इस इच्छा को समझकर एक साथ जापान में शांति कायम करने की कोशिश करेंगे।

अपने भाषण में हालांकि जापानी प्रधानमंत्री अबे ने कई बार विश्व की स्थायी शांति के लिये योगदान देने और तीन गैर नाभिकीय नियमों पर कायम रहने पर बल दिया, लेकिन कुछ जापानी मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार इस वर्ष का शोक सभा पहले से अलग है, और जिसका माहौल बहुत अजीब लगा। जब अबे भाषण दे रहे थे, तो माइक्रोफ़ोन में विरोध की आवाज़ भी सुनाई दे रही थी। और समारोह में शांति भंग हो रही थी। जापानी प्रधानमंत्री के भाषण का इतना कड़ा विरोध हुआ, यह एक साधारण बात नहीं है। जिसका एक मुख्य कारण यह है कि अबे सरकार फिर से परमाणु बिजली संयंत्र का प्रयोग करना चाहती है। वह सामूहिक आत्मरक्षा अधिकार का पालन करने और कानून संशोधन का पक्ष भी लेती है। इसका तमाम लोग विरोध कर रहे हैं। इसके अलावा यासुकुनी मंदिर के मामले पर अबे के रुख से भी विरोध जुड़ा हुआ है।

6 अगस्त के कार्यक्रम में भाग लेने के बाद अबे ने संवाददाता को इंटरव्यू दिया। मंत्रिमंडल के सदस्य 15 अगस्त को यासुकुनी मंदिर के दर्शन करेंगे या नहीं। इसकी चर्चा में उन्होंने कहा,मंत्रिमंडल के सदस्य निजी तरीके से यासुकुनी मंदिर जाते हैं या नहीं, यह उन पर निर्भर करता है। मैं उनसे कोई आग्रह नहीं करूंगा। क्योंकि मेरे ख्याल से यह उचित नहीं है।

साथ ही संवाददाता सम्मेलन में अबे ने यासुकुनी मंदिर के दर्शन पर बहाना भी ढूंढ़ा। उन्होंने कहा कि अपने देश के लिये युद्ध लड़ने वालों और अपनी जान न्योछावर करने वालों के प्रति सम्मान करने के लिये हमें प्रार्थना करनी चाहिये। उनके इस बयान में बदलाव नहीं आया है।

अबे के इस बयान पर जापानी कोमेई पार्टी के नेता नात्सुओ यामागुची ने अलग विचार व्यक्त किए। उन्होंने मंत्रिमंडल के सदस्यों से यासुकुनी मंदिर के दर्शन न करने की अपील की। उन्होंने कहा,यासुकुनी मंदिर के मसले पर जापानी नेताओं के अलग-अलग विचार हैं। लेकिन पूर्व में इस पर राजनीतिक रूप से भड़काऊ बयान आते रहे हैं। आशा है कि प्रधानमंत्री ऐसे मामले न होने देने के लिए उचित कदम उठाएंगे।

चंद्रिमा

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