南海
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वियतनाम की यात्रा कर रहे चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने 5 अगस्त को विभिन्न पक्षों के लिए दक्षिण चीन सागर आचरण घोषणा पत्र के ढांचे में आचार नियमावली प्रक्रिया बढ़ाने पर चीन के रुख पर प्रकाश डाला। वांग यी ने उचित अपेक्षा, आम सहमति, हस्तक्षेप खत्म करने और क्रमबद्ध तरीके संबंधी चार सूत्रीय विचार पेश किए। संबंधित विशेषज्ञों ने कहा कि यह दक्षिण चीन सागर आचार नियमावली पर चीन के रुख की अहम अभिव्यक्ति है। आपसी विश्वास के आधार पर नियमावली प्रक्रिया को बढ़ाना चाहिए।
वर्ष 2002 में चीन और आसियान के सदस्य देशों ने दक्षिण चीन सागर आचरण घोषणा पत्र संपन्न किया था, जिसमें कहा गया है कि विभिन्न पक्षों के बीच सलाह-मशविरे के बाद दक्षिण चीन सागर आचार नियमावली बनायी जाएगी। दोनों पक्षों ने इसके लिए परामर्श बैठक का आयोजन भी किया। उचित समय में आचार नियमावली बनाने पर चीन खुला रवैया अपनाता है। इस साल के मध्य में आयोजित पूर्वी एशियाई देशों के विदेश मंत्रियों के सम्मेलन के दौरान चीन और आसियान के सदस्य देशों ने घोषणा पत्र के ढांचे में आचार नियमावली बनाने के लिए सलाह करने पर सहमति हासिल की थी।
चीनी सामाजिक विज्ञान अकादमी के शोधकर्ता ली क्वो छ्यांग ने कहा कि संबंधित पक्षों के बीच सहमति और आपसी विश्वास की कमी की वजह से आचार नियमावली प्रक्रिया बढ़ाने के लिए लम्बे समय की जरूरत है। ली क्वो छ्यांग ने कहाः
"प्रक्रिया बढ़ाने में लम्बा समय लगेगा। एक तरफ, घोषणा पत्र कार्यांवित करने में अधिक समय की जरूरत है, जिसके जरिए विभिन्न पक्षों के बीच विश्वास बढ़ होगा। और दूसरी तरफ, हाल में कुछ देशों, विशेषकर फ़िलीपींस ने दक्षिण चीन सागर मुद्दे पर लगातार परेशानियों की हलचल मचाई, जिससे वार्ता प्रक्रिया बढ़ाने के लिए अड़चन खड़ा किया गया। इसलिए आचार नियमावली का वार्ता प्रक्रिया कम समय में पूरा नहीं होगा।"
विदेश मंत्री वांग यी ने 5 अगस्त को कहा कि नियमावली बढ़ाने में व्यापक सहमति की आवश्यकता है। कुछ देशों की इच्छा को जबरन अन्य देशों पर लादना नहीं चाहिए। इस पर ली क्वो छ्यांग ने कहाः
"वियतनाम और फ़िलिपींस समेत कुछ देश दक्षिण चीन सागर मुद्दे का क्षेत्रीयकरण करने की कोशिश कर रहे हैं। हाल के वर्षों में कुछ देशों ने आसियान में नियमावली बनाने के बाद चीन के साथ वार्ता करने को बढ़ावा दिया। यह कार्रवाई दक्षिण चीन सागर आचरण घोषणा पत्र के लक्ष्य का उल्लंघन है। चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने कहा कि चीन के बिना नियमावली नहीं बनायी जा सकती। इसलिए आसियान के सदस्य देशों को चीन के साथ वार्ता के जरिए मतभेद दूर करके सहमति हासिल करनी पड़ती है। ऐसा करने के बाद ही दक्षिण चीन सागर आचार नियमावली बनायी जाएगा।"
वांग यी ने कहा कि नियमावली मु्द्दे पर चीन और आसियान के बीच कई बार वार्ता हुई थी, लेकिन खलल की वजह से वार्ता विफल हुई। नियमावली बढ़ाने के लिए जरूरत स्थिति तैयार करना पड़ता है। इस पर चीन के छिनह्वा विश्वविद्यालय के प्रोफेसर ली चाओ चे ने कहाः
"दक्षिण चीन सागर अमेरिका से संबंधित है। अमेरिका आशा करता है कि दक्षिण चीन सागर मुद्दे को अपनी एशिया वापसी रणनीति का आधार बनाया जाएगा। अमेरिका इस मुद्दे पर फ़िलिपींस और वियतनाम का पक्षपात करता है। इसलिए दक्षिण चीन सागर आचार नियमावली बनाने के लिए बाहली तत्व दूर करना पड़ता है।"
इसके अलावा, घोषणा पत्र और नियमावली विवाद के निपटारे के लिए नहीं है, जिसका उद्देश्य दक्षिण चीन सागर में शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए है। दक्षिण चीन सागर मुद्दा चीन और आसियान के बीच विवाद नहीं, बल्कि चीन और कुछ दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के बीच सवाल है। नियमावली क्षेत्र की भविष्य से संबंधित है। इसलिए कुछ देशों की इच्छा को जबरन अन्य देशों पर नहीं लादना चाहिए। चीनी सामाजिक विज्ञान अकादमी के शोधकर्ता ली क्वो छ्यांग ने कहा कि नियमावली बनाने की आवश्यकता है और दक्षिण चीन सागर की शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए लाभदायक भी है। लेकिन सिर्फ नियमावली के माध्यम से दक्षिण चीन सागर मुद्दे का समाधान नहीं हो पाएगा।