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दोस्तो, अमेरिका के स्थाई उपविदेश मंत्री बर्न्स स्थानीय समयानुसार 15 जुलाई को दो दिवसीय यात्रा के लिए मिस्र पहुंचे। सेना द्वारा मुर्सी को राष्ट्रपति-पद से बेदखल किए जाने के बाद वो मिस्र आए अमेरिका सरकार के सर्वोच्च अधिकारी हैं। उधर मिस्र के अंतरिम प्रधान मंत्री अल-बिब्लावी ने सोमवार को कहा कि वो 16 जुलाई को मंत्रिमंडल के गठन पर विचार-विमर्श का काम पूरा करेंगे। इस तरह नई सरकार के 17 जुलाई से पहले कार्यभार संभालने की शपथ लेने की आशा है।
15 जुलाई को अमेरिका के स्थाई उपविदेश मंत्री बर्न्स ने मिस्र के अंतरिम प्रधान मंत्री बिब्लावी, अस्थाई राष्ट्रपति मंसुर, उपराष्ट्रपति बरादेई और रक्षा मंत्री सिसी के साथ बातचीत की। मिस्र के आधिकारिक टी.वी चैनल के अनुसार बातचीत में मुख्य रूप से मिस्र की वर्तमान परिस्थिति और समान चिंताओं वाले क्षेत्रीय मुद्दों पर विचार-विनिमय किया गया। लेकिन बातचीत का ब्यौरा नहीं दिया गया और उस न्यूज ब्रीफिंग को अस्थाई तौर पर रद्द किया गया, जिसे बर्न्स और मंसुर को संयुक्त रूप से बुलाना चाहिए था।
बातचीत के बाद बर्न्स ने मिस्र में अमेरिकी दूतावास में एकतरफ़ा तौर पर न्यूज ब्रीफिंग बुलाई। इसमें उन्होंने कहा कि उन की मिस्र-यात्रा का मुख्य उद्देश्य मिस्र के विभिन्न पक्षों की आवाजें सुननी और अमेरिका के संबंधित ऱूखों का स्पष्टीकरण करना तथा मिस्र की सहायता पर सलाह-मशविरा करना है। उनका कहना है कि अमेरिका की ओर से जो संदेश गया है, वह है कि अमेरिका यह देखना चाहता है कि मिस्र एक शक्तिशाली, स्थिर, लोकतांत्रिक एवं समावेशी देश बन जाए और क्षत्रीय स्थायित्व का आधार बने रहे तथा पूरे क्षेत्र का अधिक सुन्दर भविष्य बनाने में नेतृत्व करे। बर्न्स ने दावा किया कि अमेरिका अपने ही ढंग के समाधान को जबरन मिस्र पर कतई नहीं थोपेगा और न ही किसी विशेष राजनीतिक व्यक्ति या किसी विशेष राजनीतिक पार्टी का समर्थन करेगा। ध्यान देने योग्य बात यह है कि बर्न्स ने न्यूज ब्रीफिंग में मुर्सी को रिहा करने की अमेरिका की पुरानी मांग नहीं दोहराई। संबंधित सवाल पर उन्होंने सिर्फ इतना ही कहा कि मिस्र सरकार इस सवाल का जवाब दे सकती है।
इससे पूर्व मीडिया ने कहा था कि बर्न्स मिस्र में मुस्लिम ब्रदरहुड जैसे राजनीतिक बलों से संपर्क करेंगे और कुछ मध्यस्थता करेंगे। खुद बर्न्स ने भी 15 जुलाई की रात को न्यूज-ब्रीफिंग में कहा कि वह अपनी मिस्र-यात्रा के दौरान योजनानुसार अनेक राजनीतिक पार्टियों के प्रतिनिधियों, धार्मिक हस्तियों और जाने-माने सामाजिक कार्यकर्ताओं से भेंटवार्ता करेंगे। लेकिन उन्होंने भेंटवार्ता की ठोस तारीख और मिलने वाले लोगों के नामों का भी जिक्र नहीं किया। मुस्लिम ब्रदरहुड के नेता ईमाद डीन ने सोमवार को कहा कि मिस्र आने का बर्न्स का लक्ष्य सेना द्वारा गत 30 जून को किये गए तख्तापलट की लीपा-पोती करना है। हां, कुछ स्थानीय मीडिया संस्थाओं ने राजनयिक सूत्रों का हवाला देते हुए रिपार्टें दीं कि बर्न्स मुस्लिम ब्रदरहुड या स्वंतत्रता एवं न्याय पार्टी के प्रतिनिधिय़ों से मुलाकात नहीं करेंगे।
अन्य एक प्रमुख इस्लामी पार्टी—सालाफ़िस्ट पार्टी ने बर्न्स के आमंत्रण से इन्कार कर दिया। इस पार्टी ने अपने एक वक्तव्य में कहा कि मिस्र की समस्या खुद मिस्र द्वारा आंतरिक सलाह-मशविरे के जरिए सुलझायी जाए, यह बेहतर होगा। अगर अमेरिका ने हस्ताक्षर किया, तो समस्या और भी पेचीदा होगी।
मिस्र में मुस्लिम ब्रदरहुड और प्रशासन के बीच गंभीर विरोधाभास के प्रति अमेरिका उदासीन नहीं है। रिपोर्टों के अनुसार बर्न्स ने मिस्र के अंतरिम प्रधान मंत्री बिब्लावी से बातचीत के दौरान सिर्फ मुर्सी विरोधी शक्ति द्वारा मिस्र की राजनीति को नियंत्रित किए जाने पर चिंता व्यक्त की और अपील की कि मिस्र की अंतरिम सरकार राजनीतिक सुलह के लिए ठोस कदम उठाए, ताकि मुस्लिम ब्रदरहुड और अन्य राजनीतिक शक्तियों के लिए वार्ता का द्वार खुल सके।
दूसरी ओर मिस्र में अंतरिम सरकार के मंत्रियों के उम्मीदवार मोटे तौर पर निश्चित किए जा चुके हैं। हाल के दिनों में अंतरिम प्रधान मंत्री बिब्लावी ने इन उम्मीदारों से सघन तौर पर राय-मशविरे किए हैं। अब मंत्रिमंडल के गठन पर विचार-विमर्श के काम का अंत होने वाला है। बिब्लावी ने सोमवार को तीसरे पहर कहा कि वो 16 जुलाई को आखिरी दो उम्मीदवारों से मिलेंगे। यदि सब कुछ ठीक-ठाक रहा, तो नई सरकार मंगलवार की रात या बुधवार को कार्यभार संभालने की शपथ लेगी।
15 जुलाई को मिस्र के प्रमुख अखबार अल-अहराम ने रिपोर्ट दी कि अमेरिका स्थित मिस्र के पूर्व राजदूत नबीले.फ़हमी विदेश मंत्री बनेंगे, स्वतंत्रता समर्थक अर्थशास्त्री मोहम्मद.जलीले वित्त मंत्री और सर्वोच्च प्रशासनिक कोर्ट के पूर्व प्रमुख महदी न्याय मंत्री बनेंगे। जब कि पूर्व प्रधान मंत्री कान्डील की अगुवाई वाली सरकार में नियुक्त रक्षा मंत्री, गृह मंत्री, संचार मंत्री, पर्यटन मंत्री, सामरिक उद्योग मंत्री और बिजली पावर मंत्री नई सरकार में भी अपने पदों पर बने रहेंगे।