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दोस्तो, जी-8 का 2013 शिखर सम्मेलन 17 जून को उत्तरी आयलैंड के फ़र्मानाघ के लोघ अरने में उद्धाटित हुआ। ब्रिटेन द्वारा आयोजित इस 2 दिवसीय सम्मेलन में उपस्थित नेता वैश्विक अर्थतंत्र, सीरिया की परिस्थिति और आतंक-विरोध जैसे मुद्दों पर विचार-विमर्श कर रहे हैं।
अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन, फ़्रांसीसी राष्ट्रपति फ़्रांसिस होंलान्डे, जापानी प्रधान मंत्री शिंज़ो अबे, कना़डियन प्रधान मंत्री स्टेफेन हार्पर, इतालवी प्रधान मंत्री एनरेको लेट्टा, यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष वान रोम्पे औऱ यूरोपीय आयोग के अध्यक्ष मैनुएल बारोसो समेत संबंधी देशों एवं क्षेत्रीय संगठनों के नेता इस सम्मेलन में विराजमान हैं। ब्रिटेन के प्रधान मंत्री कैमरन ने उद्घाटन-समारोह से पहले कहा कि सम्मेलन में विकासशील देशों एंव विकसित देशों दोनों से जुड़े प्रमुख सवालों पर विचार-विमर्श होगा और कोशिश की जाएगी कि मुक्त व्यापार, कर-चोरी और पारदर्शीता जैसे 3 पहलुओं में प्रगति हो जाए। उन्होंने कहाः
`यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि चीजों के दामों को कम करने के लिए हम व्यापार से जुडे और अधिक समझौते संपन्न करें, विकासशील देशों को उन की जरूरी आय और आयकर दिलाने के लिए हम बेहतर पारदर्शीता की व्यवस्था लागू करे, इसके अवाला हम कर-चोरी पर प्रहार भी करे, ताकि पूरी दुनिया में सभी देशों को कर-वसूली से प्राप्त अपने अपरिहार्य आय प्राप्त हो सके और व्यापक श्रमिकों के लिए कर को कम किया जा सके।` कैमरन ने यह भी कहा कि यह गारंटी होनी चाहिए कि हम अपनी जनता को अच्छी चिकित्सा एवं शिक्षा-सेवा उपलब्ध कराए। उनका कहना है कि जी-8 के वर्तमान शिखर सम्मेलन की एक शक्तिशाली कार्यसूची है। वो चाहते हैं कि इस सम्मेलन में शरीक होने के लिए उत्तर आयलैंड आए सभी अथिति इन मुद्दों पर विचार-विनिमय करें।
सम्मेलन के पहले दिन जी-8 देशों के नेताओं ने वैश्विक अर्थतंत्र एवं व्यापार और कूटनीति समेत अनेक मुद्दों पर बहुपक्षीय एवं द्विपक्षीय वार्ताएं कीं। यूरोपीय संघ और अमेरिका इस पर राजी हो गए हैं कि अगले महीने ट्रांस अटलांटिक व्यापार और निवेश भागीदारी पर औपचारिक वार्ता शुरू की जाएगी। अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा कि इस वार्ता के पहले सत्र का जुलाई माह में वाशिंगटन में आयोजन होगा। यह भागीदारी अत्यंत महत्वपूर्ण है। उनका कहना हैः
`अमेरिका और यूरोपीय संघ के बीच जो रिश्ते हैं, वे दुनिया में सब से बड़े पैमान पर विकसित हो रहे हैं। दोनों पक्षों का उत्पादन-मूल्य पूरी दुनिया का करीब आधा भाग बनता है। दोनों पक्षों के बीच हर साल माल-ढुलाई से जुड़ा 10 खरब अमेरिकी डॉलर का व्यापार होता है और दोनों पक्षों ने एक दूसरे के यहां 40 खरब अमेरिकी डॉलर का निवेश किया है। इससे अटलांटिक महासागर के तटीय क्षेत्रों को 1 करोड़ 30 लाख रोजगार के मौके मुहैया कराए गए हैं। तात्विक महत्व रखने वाले ट्रांस अटलांटिक व्यापार और निवेश भागीदारी की बड़ी निहित शक्ति है। इसके संपन्न होने पर निर्यात बढेगा और व्यापार एवं निवेश के सामने मौजूद बाधाएं कम हो जाएंगी, बल्कि अटलांटिक के तटीय इलाकों में लाखों लोगों को भी रोजगार मिलेगा।`
सीरिया की परिस्तिथि एवं अन्य ज्वलंद अंतर्राष्ट्रीय मुद्दे भी जी-8 के वर्तमान शिखर सम्मेलन का फोकस हैं। ब्रितानी प्रधान मंत्री कैमरन ने विचार व्यक्त किया कि सीरिया की परिस्थिति में दखल देना जरूरी है। उन्होंने कहाः
`हमें जो करना है, वह है शांति के लिए एक सम्मेलन का आयोजन करना और शांति की प्रक्रिया शुरू करना, जिससे कि सीरिया में हरेक नागरिक का प्रतिनिधित्व कर सकने वाला सत्ता-हस्तांतरण हो सके। सीरिया में वर्तमान हालत बहुत कठिन है। मैं सोचता हूं कि इसमें दखल दिया जाना चाहिए, न ही उसकी अनदेखी करनी चाहिए। हम ने सीरिया के विपक्ष को सशस्त्र बनाने के बारे में अब तक कोई फैसला नहीं लिया है, लेकिन यह जरूर तय किया है कि हम उस का रूख करेंगे। यूरोप के विभिन्न देश उसको मान्यता दे चुके हैं और मान चुके हैं कि वह सीरियाई जनता का प्रतिनिधि है। हम उससे संपर्क में हैं, च्योंकि सीरिया में जो हो रहा है, उसका ब्रिटेन से संबंध है।`
उधर अमेरिका ने हाल ही में सीरिया के विपक्ष को हथियार एवं अन्य सैन्य साजोसामान देने का निर्णय लिया, जिसका रूस ने जमकर विरोध किया। जी-8 के वर्तमान शिखर सम्मेलन के परे रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा से वार्ता के बाद सीरिया के प्रति रूस का रूख दोहराया। उन के अनुसार,
`बेशक सीरिया के प्रति अमेरिका और रूस के दृष्टिकोण भिन्न हैं, लेकिन दोनों देश चाहते हैं कि सीरिया में हिंसा को रोका जाए, संबद्ध समस्याओं का शांतिपूर्ण समाधान किया जाए, संबंधित पक्षों को वार्ता की मेज पर पुनः बिठाया जाए और जेनेवा में वार्ता की जाए।`