हाल में चीनी राष्ट्राध्यक्ष शी चिनफिंग और अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने ढीले माहौल में मुलाकात की। दोनों ने कई कांटेदार मामलों पर गहरा और ईमानदार बातचीत की। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने इसका सक्रिय मूल्यांकन करते हुए कहा कि दोनों देश आपस में संबंधों को महत्व देते हैं और समन्वय व सहयोग मज़बूत करने की इच्छा भी है। दोनों ने बड़े देशों के नए संबंधों की स्थापना पर सहमति हासिल की, जिससे विश्व के विकास पर भी प्रभाव पड़ेगा।
9 जून को अमेरिकी न्यूयॉर्क टाइम्स ने मुखपृष्ठ पर शी चिनफिंग और ओबामा की मुलाकात का फोटो छापा, साथ ही इस दो दिवसीय मुलाकात और इस दौरान हासिल कामयाबियों का सिंहावलोकन भी किया। न्यूयॉर्क टाइम्स का कहना है कि हालांकि दोनों देशों के बीच मतभेद है, लेकिन इस मुलाकात से दोनों ज़्यादा घनिष्ठ हो गए। शुरूआत में व्हाइट हाउस ने ज़ोर दिया है कि इस मुलाकात कोई समझौते या सहमति हासिल करने के लिए नहीं, बल्कि दोनों नेताओं के बीच एक आरामदायक संबंध की स्थापना है। मुलाकात के दौरान दोनों नेताओं ने चीन-अमेरिका संबंधों की व्याख्या फिर से करने की इच्छा जताई, ताकि अर्थव्यवस्था, राजनीति और राजनयिक आदि जगतों में मतभेद व्यापक नहीं, बल्कि कम हो सके।
जर्मन मीडिया ने भी इस मुलाकात पर ध्यान दिया। उनका मानना है कि अमेरिका और यूरोपीय के बीच भूराजनीति का महत्व कम होने के चलते चीन और अमेरिका विश्व पैटर्न निश्चित करेंगे। चीन और अमेरिका सहयोग मज़बूत करने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि इस मुलाकात में ज़्यादा सीधी कामयाबियां नहीं होंगी, लेकिन इससे दोनों देशों के संबंध, आपस में समझ और दोनों नेताओं के निजी संबंध गहरे होंगे। उधर यूरोप को भी चिंता है कि चीन और अमेरिका के साथ भूराजीतिक संबंध है, लेकिन यूरोप के साथ नहीं। इसलिए चीन के उभरने से अमेरिका एशिया-प्रशांत क्षेत्र को ज़्यादा महत्व देगा।
जापानी प्रधानमंत्री शिन्जो अबे ने 9 जून को एनएचके के कार्यक्रम में चीनी और अमेरिकी नेताओं की मुलाकात का स्वागत किया, साथ ही कहा कि यह मुलाकात वैश्विक शांति व स्थिरता के लिए लाभदायक है। लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि जापान और अमेरिका के बीच गठबंधन संबंध हैं, अमेरिका और चीन के बीच नहीं।
जापानी मीडिया ने इस मुलाकात पर ध्यान देते हुए कहा कि यह मुलाकात सफल रही, अमेरिका और चीन सहयोग मज़बूत करेंगे। त्याओयू द्वीप मामले पर ओबामा ने कहा कि ऐसे प्रादेशिक मुद्दे पर अमेरिका कोई भी रुख नहीं निभाएगा, लेकिन उम्मीद है कि चीन और जापान समस्या को जटिल नहीं बनाएंगे। जापानी मीडिया मानती है कि इस मुलाकात से जापान की चीन के प्रति नीति और राजनयित नीति पर प्रभाव पड़ेगा। अगर चीन और अमेरिका के संबंध मज़बूत होंगे, तो जापान और अमेरिका के संबंधों का महत्व कम होगा। जापानी सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए।
टाइम्स ऑफ इंडिया ने 9 जून को कहा कि चीन और अमेरिका के संबंध 40 साल गुज़र गए। इस मुलाकात में दोनों नेताओं ने नए और ज्यादा घनिष्ठ सहयोग संबंध स्थापित करने का वादा किया। साथ ही उत्तर कोरियाई परमाणु मुद्दे, नेटवर्क सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन और मुक्त व्यापार आदि पर ध्यान देते हुए अहम सहमतियां भी हासिल की हैं।
प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि शी चिनफिंग और बराक ओबामा का हैंड्स शेक आगामी सालों में दोनों के संबंधों के विकास के लिए अहम अर्थ है। नो टाई मुलाकात से दोनों नेताओं के बीच बेहतर निजी संबंध होंगे।
बीबीसी ने कहा कि यह शी चिनफिंग के राष्ट्राध्यक्ष बनने के बाद ओबामा के साथ पहली मुलाकात है। दोनों के लिए यह आपसी समझ गहराने का एक अच्छा मौका है। दोनों की 9 घंटों की मुलाकात का मकसद मतभेद कम करना है। यह एक असाधारण मुलाकात है।
फ्रांसीसी मीडिया की रिपोर्ट में दोनों नेताओं के बीच जलवायु परिवर्तन और उत्तर कोरियाई परमाणु मुद्दे पर वार्ता पर ध्यान दिया गया। दोनों नेताओं ने सहमति हासिल की और ऐसे महत्वपूर्ण मामलों पर अपना रुख जताने और समझ गहराने का मौका भी मिला। शी चिनफिंग ने थाइवान मामले और अमेरिका के थाइवान को हथियार बेचने पर अपना रुख भी जताया।