军科院
|
चीनी सेना थिंक टैंक ने 28 मई को वर्ष 2012 रणनीतिक आकलन रिपोर्ट जारी की। रिपोर्ट में कहा गया है कि एशिया-प्रशांत क्षेत्र में द्वितीय विश्व युद्ध के बाद सबसे गहरा समायोजन होने वाला है, साथ ही चीन की सुरक्षा स्थिति में अनिश्चितता बढ़ रही है। चीन और जापान के बीच त्याओयू द्वीप विवाद पर रिपोर्ट में कहा गया है कि संघर्ष होने की आशंका है।
चीनी जन मुक्ति सेना के थिंक टैंक ने दूसरी बार चीनी और अंग्रेज़ी दोनों भाषाओं में रणनीतिक आंकलन रिपोर्ट जारी की। पहली रिपोर्ट की तुलना में इस रिपोर्ट में ईरान परमाणु संकट, कोरियाई प्रायद्वीप स्थिति और एशिया प्रशांत क्षेत्र में सैन्य प्रतिस्पर्धा पर विचार करते हुए इस क्षेत्र में रणनीतिक स्थिति और अमेरिका की एशिया प्रशांत पुनर्संतुलन नीति पर ज़ोर दिया। इस पर रिपोर्ट के प्रमुख संपादक और चीनी सैन्य विज्ञान अकादमी के रक्षा नीति अनुसंधान केंद्र के निर्देशक चेन जो ने कहा कि एशिया-प्रशांत क्षेत्र में द्वितीय विश्व युद्ध के बाद सबसे गहरा समायोजन होने वाला है। उन्होंने कहा
क्योंकि एशिया प्रशांत क्षेत्र का महत्व बढ़ रहा है, वह दुनिया का नया भू राजनीतिक, आर्थिक और सैन्य केंद्र बन रहा है, वहां विकास की बड़ी संभावना है और तमाम मौके भी हैं। एशिया-प्रशांत देशों के बीच सहयोग व प्रतिस्पर्धा गहरी हो रही है, लेकिन इस क्षेत्र में गर्म और विवादास्पद मुद्दे भी सामने आ रहे हैं। इसलिए हमारा मानना है कि एशिया-प्रशांत क्षेत्र में द्वितीय विश्व युद्ध के बाद सबसे गहरा समायोजन होने वाला है।
चेन जो ने कहा कि एशिया-प्रशांत क्षेत्र में बदलाव से चीन के सामने नए अवसर और चुनौतियां हैं। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन की सुरक्षा स्थिति में अनिश्चितता बढ़ रही है। उन्होंने कहा
बड़े देशों की रणनीतिक प्रतिस्पर्धा, समुद्र में तीव्र प्रतिस्पर्धा और लगातार स्थानीय अशांति से चीन की सुरक्षा स्थिति ज्यादा जटिल, संवेदनशील और अनिश्चित हो रही है। शीत युद्ध के बाद चीन पर रणनीतिक दबाव दूसरी बार बढ़ रहा है।
एशिया-प्रशांत क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा की स्थिति आशावान नहीं है। कुछ नकारात्मक तत्वों से एशिया-प्रशांत क्षेत्र की सुरक्षा स्थिति पर प्रभाव पड़ रहा है। सैन्य विज्ञान अकादमी की शोधकर्ता ल्यू लिन ने कहा
हर देश रणनीतिक स्तर से समुद्री मुद्दों की योजना बना रहा है, समुद्री अधिकार की प्रतिस्पर्धा भी तेज़ हो रही है। उदाहरण के लिए अमेरिका पश्चिमी प्रशांत का अधिकार ग्रहण करने को प्राथमिक देता है। अमेरिका समुद्री दिशा में उभरते देशों के प्रति रणनीतिक रक्षा मज़बूत कर रहा है। हाल में अमेरिका हिंद और प्रशांत महासागर पर नियंत्रण करने की कोशिश कर रहा है। उधर हर देश की नौसेना उन्नत हथियार खरीद रही है, जिससे क्षेत्रीय शस्त्रीकरण स्पर्द्धा होने की आशंका बढ़ रही है।
त्याओयू द्वीप मामले पर रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्तमान में चीन और जापान दोनों जहाज़ भेजकर वहां गश्त लगा रहे हैं, यह स्थिति कम समय में नहीं बदलने वाली। ल्यू लिन ने कहा कि जापान ने कई बार विमान और जहाज़ भेजकर चीन के गश्त में बाधा डाली, इसलिए संघर्ष होने की संभावना है।
मुझे लगता है कि मौजूदा स्थिति कुछ समय तक रहेगी। क्योंकि यह प्रादेशिक भूमि और संप्रभुता से संबंधित मामला है, चीन और जापान रियायत नहीं करेंगे। साथ ही इस मामले में अमेरिका की हिस्सेदारी भी है, वहीं ऐतिहासिक कारणों से त्याओयू द्वीप मामले पर चीन और जापान के बीच मुकाबला सामान्य होगा। खासकर इस साल की शुरूआत में जापान ने कई बार विमान और जहाज़ भेजकर चीनी जहाजों की गश्त में बाधा डाली। इसलिए संघर्ष होने की आशंका है।
इसके अलावा ल्यू लिन ने कहा कि जापान त्याओयू द्वीप मामले के ज़रिए कई लक्ष्य पूरा कर सकता है, उदाहरण के लिए सामूहिक आत्मरक्षा की कानूनी बाधा तोड़ना, रक्षा बजट लगातार बढ़ाना और जापान-अमेरिका रक्षा सहयोग दिशा निर्देश का सुधार तेज़ करना।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अमेरिका एशिया प्रशांत पुनर्संतुलन नीति आगे बढ़ा रहा है, इससे चीन की चारों तरफ सुरक्षा स्थिति जटिल हो रही है, चीन और अमेरिका के बीच रणनीतिक संदेह गहरा हो सकता है। चीन और अमेरिका के बीच तीसरे कारक से तनाव पैदा होने की आशंका भी बढ़ रही है। चीन-अमेरिका स्थिर संबंधों के सामने कई अनिश्चितताएं हैं।
(दिनेश)