जर्मन मीडिया चीनी प्रधानमंत्री ली खछ्यांग की जर्मनी यात्रा पर व्यापक ध्यान दे रही है, और वे मुख्य तौर पर आर्थिक क्षेत्र पर नज़र रखे हुए हैं।
जर्मन अख़बार फ़ोकस ने अपनी वेबसाइट पर रिपोर्ट देते समय कहा कि चीन व यूरोप के आर्थिक संबंध इतने घनिष्ठ हुए हैं, यहां तक कि लोग पेइचिंग के साथ मौजूद संघर्ष के प्रभाव की जिम्मेदारी नहीं लेना चाहते। बीस वर्षों में चीन एक गरीब देश से अब विश्व बाजार में एक शक्तिशाली प्रतिद्वंद्वी बन चुका है। मोटर वाहन और मशीनरी आदि क्षेत्रों में चीन जर्मन उद्यमों के लिये एक महत्वपूर्ण बाजार है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि ली खछ्यांग की इस यात्रा में चीन के सौर ऊर्जा उत्पादों के प्रति जर्मनी के एंटी डंपिंग टैक्स लेने के मामले की चर्चा ज़रूर होगी। जर्मन चांसलर मार्केल इस मामले को शांत करने और दोनों पक्षों के बीच समन्वय करने की कोशिश करेंगी।
रिपोर्ट में जर्मन उद्योग संघ की कच्चे माल नीति कमेटी के अध्यक्ष उलरिच ग्रिल्लो के हवाले से यह कहा गया है कि दंडात्मक टैक्स केवल दोनों पक्षों को हानि पहुंचाएगा। इसके अलावा जर्मन निर्यातकों की आम राय है कि दंडात्मक टैक्स का इस्तेमाल जर्मनी के आर्थिक विकास के लिये लाभदायक नहीं है, और पूरे यूरोप की अर्थव्यवस्था भी इससे मंदी में फंसेगी।
जर्मन अख़बार अबेनदजेटुंग ने भी एंटी डेंपिंग टैक्स पर व्यापक ध्यान दिया है। उसने चीनी मीडिया को इन्टरव्यू देते समय जर्मन राजदूत शी मिंग श्येन के हवाले से कहा कि जर्मन सरकार व्यापार संरक्षणवाद का विरोध करती है। चीन व जर्मनी दोनों विश्व में बड़े निर्यातक देश हैं। विश्व में स्वतंत्र व्यापार करने की सुनिश्चितता दोनों पक्षों के समान लाभ से मेल खाती है।
चंद्रिमा