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चीनी प्रधानमंत्री ली खछयांग ने भारत की औपचारिक यात्रा समाप्त की। यात्रा के दौरान चीन और भारत ने संयुक्त वक्तव्य जारी किया। चीनी विशेषज्ञों के विचारों में मौजूदा यात्रा से दो सबसे बड़े विकासमान देशों का विश्वास बढ़ा है और व्यवहारिक सहयोग भी विस्तृत हुआ हैं, जिससे क्षेत्रीय और वैश्विक विकास में वृद्धि होगी।
यात्रा के दौरान ली खछयांग ने भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ वार्ता की और भारत के राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी से भी भेंट की।
चीनी आधुनिक अंतर्राष्ट्रीय संबंध अनुसंधान संस्था के अनुसंधानकर्ता मा च्याली ने कहा:"मौजूदा यात्रा सफलतापूर्वक और उल्लेखनीय है और संयुक्त वक्तव्य में इसका प्रतिबिंब भी नज़र आया।"
मा च्याली का कहना है कि ली खछयांग ने प्रधानमंत्री की हैसियत से सबसे पहले भारत की यात्रा की, जिससे साबित हुआ है कि चीन सरकार भारत को भारी महत्व देता ही नहीं, बल्कि चीन भारत के साथ रणनीतिक संबंध के विकास की इच्छा को भी दर्शाता हैं।
चीन और भारत के संयुक्त वक्तव्य में अर्थव्यवस्था व व्यापार, विज्ञान व तकनीक, संस्कृति, प्रतिरक्षा आदि क्षेत्रों का सहयोग शामिल है। विशेषज्ञों के ख्याल से वक्तव्य में ठोस लक्ष्य ही नहीं, बल्कि सहयोग की शैली भी शामिल है।
पेइचिंग विश्वविद्यालय के दक्षिण एशियाई अनुसंधान केंद्र के प्रभारी चांग चिनख्वे ने कहा कि ली खछयांग की मौजूदा यात्रा से चीन और भारत के बीच विश्वास बढा है। उन्होंने कहा:"विश्वास में राजनीतिक विश्वास और सुरक्षा विश्वास दोनों शामिल है।"च्यांग के विचार में राजनीतिक विश्वास का प्रतिबिंब चीन और भारत के बीच उच्च स्तरीय आवाजाही को बनाए रखना है, जबकि सुरक्षा विश्वास का प्रतिबिंब दोनों देशों के बीच सीमा समस्या के समाधान से पहले सीमांत क्षेत्रों की शांति व स्थिरता की रक्षा करना है।
मा च्याली का ख्याल है कि संयुक्त वक्तव्य से चीन-भारत रणनीतिक विश्वास को बढाने की प्रतिक्रिया है। मौजूदा वक्तव्य में स्पष्टः पेश किया गया है कि चीन और भारत सुरक्षा, सेना और सीमा आदि क्षेत्रों में सहयोग बढाएंगे।
मौजूदा यात्रा के दौरान चीन और भारत ने व्यापार का मुक्तीकरण बढाने, उद्योग क्षेत्र का विकास करने, बुनियादी संस्थापनों का निर्माण करने और व्यापार असंतुलन का सामना करने पर सहमति प्राप्त की।
चीनी विशेषज्ञ चांग चिनख्वे ने कहा कि संयुक्त वक्तव्य से दोनों देशों के आर्थिक और व्यापारिक सहयोग बढाने और व्यापार के संतुलित विकास करने के लिये लाभदायक है।
बंगलादेश-चीन-भारत-म्यांमार के आर्थिक क्षेत्र की स्थापना दोनों देशों के बीच आर्थिक व व्यापारिक सहयोग के लिए महत्व है। चांग चिनख्वे के विचार में इस आर्थिक क्षेत्र की स्थापना से दक्षिण एशिया, दक्षिण-पूर्वी एशिया, पूर्वी एशिया और दुनिया के विकास को बल मिलेगा।
संयुक्त वक्तव्य में यह भी कहा गया है कि दोनों पक्षों ने अन्य देशों में समान रूचि वाले कार्यक्रमों के विकास पर सहमति जताई। चांग चिनख्वे ने कहा कि अगर दोनों देश ऐसा करेंगे, तो दोनों का आर्थिक विकास बढ़ेगा ही नहीं, बल्कि अन्य देशों की अर्थव्यवस्था भी उन्नत होगी।
भारत स्थित चीनी पूर्व राजदूत चो कांग ने कहा कि इतिहास में चीन और भारत ने शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के पांच सिद्धांतों को पेश किया हैं। इतिहास द्वारा छोड़ी गयी समस्याएं और मतभेद मौजूद होने के बावजूद दोनों देशों को दूरगामी दृष्टि से विश्वास बढ़ाना और मतभेद कम करना चाहिये।
ली खछयांग की भारत यात्रा के दौरान दोनों देशों ने सांस्कृतिक आदान-प्रदान और मित्रता बढ़ाने वाले सिलसिलेवार कदमों की घोषणा की, ताकि दोनों देशों के संबंध आगे बढ सके।
संयुक्त वक्तव्य के अनुसार चीन और भारत ने वर्ष 2014 को चीन-भारत मैत्रीपूर्ण आदान प्रदान वर्ष बनाने का फैसला किया है, ताकि शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के पांच सिद्धांत यानी पंचशील जारी करने की 60वीं वर्षगांठ मनायी जा सकें। इस के साथ ही वर्ष 2014 में 《चीन और भारत के बीच सांस्कृतिक आदान प्रदान ज्ञान कोष》प्रकाशित किया जाएगा। चीन-भारत श्रेष्ठ रचनाओं की अनुवाद-परियोजना शुरू होगी, चीनी और भारतीय युवाओं का एक दूसरे देश की यात्रा कार्यक्रम जारी किया जाएगा और दोनों देंशो के स्थानीय प्रांतों के बीच मैत्रीपूर्ण संबंध की स्थापना को भी प्रोत्साहित किया जाएगा।
चीनी विशेषज्ञों के विचार में चीन और भारत के बीच सांस्कृतिक आवाजाही को मजबूत करने से इन दो प्राचीन देशों के बीच समझ बढ़ाने के लिये लाभदायक है।
(रूपा)