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स्थानीय समयानुसार 21 मई को सुबह चीनी प्रधानमंत्री ली खछ्यांग ने नई दिल्ली में भाषण दिया। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि चीन-भारत संबंध 21वीं शताब्दी की दुनिया में सबसे महत्वपूर्ण द्विपक्षीय संबंधों में से एक हैं। दोनों देशों के बीच सहयोग के विकास में काफी गुंजाइश है। दोनों देशों को चीन-भारत रणनीतिक सहयोग के नए अवसरों को अच्छी तरह पकड़ लेना चाहिए। सुनिए विस्तार से।
21 तारीख को सुबह नई दिल्ली की यात्रा समाप्त करने से पहले चीनी प्रधानमंत्री ली खछ्यांग ने भारतीय वैश्विक मामला कमेटी में भाषण दिया। मौके पर उन्होंने कहा कि चीन और भारत की कुल जनसंख्या दुनिया की आबादी का एक-तिहाई भाग है। इधर के 10 वर्षों में दोनों देशों की औसत आर्थिक वृद्घि दर उच्च स्तर पर रही। दोनों देशों का पुनरुत्थान और आपसी सदभाव संपर्क दुनिया के लोगों का ध्यान अपनी तरफ़ आकर्षित करते हैं। ली खछ्यांग ने कहा,
"चीन और भारत के बाजार में बड़ी निहित शक्ति हैं। दोनों देशों की कुल जनसंख्या 2 अरब 50 करोड़ से भी अधिक है। दोनों देशों के बाजारों के बीच संपर्क दोनों देशों के अर्थतंत्र के निरंतर विकास के अनुकूल है और विश्व के अर्थतंत्र के लिए नई प्रेरक शक्ति बनायी जा सकती है।"
ली खछ्यांग ने कहा कि वर्तमान में चीन और भारत के बीच व्यापारिक रकम 70 अरब अमरीकी डॉलर से कम है। यह दोनों देशों के आर्थिक विकास की स्थिति और आर्थिक पैमाने से मेल नहीं खाता। दोनों देश व्यापार की असंतुलित स्थिति बदलने के साथ साथ आपसी आर्थिक और व्यापारिक सहयोग को आगे बढाने की कोशिश करेंगे। उन्होंने कहा,
"चीन और भारत ने भविष्य के पांच वर्षों के विकास की योजना तैयार की है। चीन के पश्चिम की ओर से खोलने की नीति को भारत के पूर्व की ओर से खोलने की नीति के साथ जोड़कर दोनों देशों के बीच व्यापार को एक नए स्तर तक ले जाएगा। हम चीन-भारत क्षेत्रीय व्यापार के इन्तज़ामों की वार्ता को शुरू करने के लिए तैयार है और भारत के साथ व्यापारिक संरक्षणवादी का बहिष्कार करने के लिए भी तैयार है, ताकि आपसी सहयोग के विस्तार के लिए अनुकूल स्थिति तैयार हो सके। "
ली खछ्यांग की नई दिल्ली यात्रा में प्रमुख रूप से राजनीतिक द्विपक्षीय मुलाकात और वार्ता शामिल है। यात्रा समाप्त करने से पहले उन्होंने एक बार फिर जोर देते हुए कहा कि आपसी राजनीतिक विश्वास चीन और भारत के बाच मैत्रीपूर्ण सहयोग की पूर्वशर्त है। उन्होंने कहा कि चीन विश्व शांति की रक्षा करने वाली दृढ़ शक्ति है। चीन भारत और दक्षिण एशिया के विभिन्न देशों के साथ मिलकर एशिया की शांति और विकास को आगे बढाने को तैयार है।
(वनिता)