चीन के प्रधान मंत्री ली ख-छ्यांग 19 मई की सुबह पेइचिंग से नई दिल्ली के लिए रवाना हो गए। गत मार्च माह में प्रधान मंत्री बनने के बाद यह ली ख-छ्यांग की पहली विदेश यात्रा है। इस यात्रा का पहला पड़ाव भारत है। भारत के बाद वो पाकिस्तान, स्वीट्जरलैंड और जर्मनी भी जाएंगे।
चीनी विदेश मंत्रालय ने इससे पूर्व जानकारी दी कि यह यात्रा पास-पडोस के देशों और यूरोपीय देशों के प्रति चीन की नई सरकार की एक अहम कूटनीतिक कार्यवाही है। यात्रा के दौरान ली ख-छ्यांग इन चार देशों के राजनेताओं के साथ भेंटवार्ता में समान दिलचस्पी वाले अंतर्राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय मसलों पर विचार-विमर्श करेंगे और अलग-अलग सम्मेलनों में भाषण देंगे तथा अर्थतंत्र एवं व्यापार से जुड़े अनेक सहयोग वाले दस्तावेजों पर हस्ताक्षर के समारोहों में भी भाग लेंगे।
गौरतलब है कि भारत ली ख-छ्यांग की वर्तमान यात्रा का पहला पड़ाव है। 4 दिन पहले ली ख-छ्यांग ने पेइचिंग में चीनी और भारतीय युवाओं के प्रतिनिधियों से मुलाकात के समय कहा कि चीन और भारत एक दूसरे के प्रमुख पड़ोसी हैं और ऐसे में एक दूसरे के साझेदार होना स्वाभाविक है। चीन-भारत आवाजाही न केवल एशिया एवं पूरे संसार की दृष्टि से भारी रणनीतिक महत्व रखती है, बल्कि इसका दोनों देशों की 2 अरब 50 करोड़ आबादी के भाग्य एवं कल्याण से भी सीधा संबंध है। चीन और भारत के दो बड़े सभ्यता वाले देशों के रूप में एक दूसरे से सीखने, दो बड़े बाजारों के रूप में सहयोग करने, दो बड़े पड़ोसियों के रूप में मैत्रीपूर्वक साथ-साथ रहने और एक दूसरे का सम्मान करते हुए मतभेदों का समुचित निबटारा करने से दोनों देशों की जनता को ठोस लाभ के साथ-साथ एशिया एवं पूरी दुनिया को भी विकास एवं समृद्धि में अकूत बड़ी प्रेरक शक्ति मिलेगी।