भारतीय विदेशमंत्री सलमान खुर्शीद ने 9 मई को पेइचिंग पहुंच कर चीन की दो दिवसीय यात्रा की। विदेशमंत्री बनने के बाद उनकी पहली चीन यात्रा है। अभी-अभी चीन-भारत सीमा का मसला शिथिल होने के चलते खुर्शीद की मौजूदा यात्रा पर लोगों का ध्यान ज्यादा केंद्रित हुआ है। उनकी यात्रा चीन और भारत के उच्च स्तरीय यात्रा का महत्वपूर्ण भाग है।
भारत स्थित चीन के पूर्व राजदूत चो कांग ने सीआरआई संवाददाता के साथ हुए एक साक्षात्कार में कहा कि हाल के वर्षों में चीन-भारत संबंध का बेहतर विकास हो रहा है, और उच्च स्तरीय संपर्क लगातार कायम हुआ है। सीमा मसले पैदा होने के बाद दोनों देशों ने समान सलाह मशविरे के जरिए इसका समाधान किया हैं, जिससे खुर्शीद की चीन यात्रा की अनुकूल स्थिति तैयार हुई और सीमा मसले समेत चीन और भारत के बीच मौजूद विभिन्न मतभेदों के अच्छी तरह समाधान के लिए भी सक्रिय असर पड़ेगा।
चीन-भारत संबंध बहुत जटिल होने के बावजूद दिन ब दिन परिपक्व हो रहा है। इसकी चर्चा में दक्षिण एशियाई अध्ययन के चीनी एसोसिएशन के निदेशक सुन शीहाई ने कहा कि चीन और भारत के बीच ऐतिहासिक सवाल और मतभेदों के कारण कुछ दुर्घटनाएं घटित हुईं। लेकिन संबंधित व्यवस्था में इनका जल्दी समाधान किया गया, जिससे जाहिर है कि दोनों देशों के संबंध दिन ब दिन परिपक्व हो रहा है।
सुन शीहाई ने कहा कि चीनी और भारतीय सरकारों ने सहमतियां प्राप्त की हैं कि सकारात्मक वार्ता में मैत्रीपूर्ण वातावरण बनाया जाए, और आपसी लाभ व सहयोग के आधार पर विचार विमर्श किया जाए। ताकि चीन-भारत संबंध को कोई नुक्सान न पहुँच सके। सीमा मसले द्विपक्षीय संबंध के विकास में एक बहुत छोटा सवाल है। चीन-भारत संबंध का आमतौर पर स्वस्थ विकास हो रहा है।
गत मार्च के अंत में चीनी राष्ट्राध्यक्ष शी चिनफिंग ने दक्षिण अफ्रिका में भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मुलाकात के दौरान बल देते हुए कहा था कि वर्तमान में चीन और भारत महत्वपूर्ण रणनीतिक अवसर वाले समय से गुज़र रहे हैं। द्विपक्षीय संबंध के विकास का भविष्य बहुत विशाल है। चीन दोनो देशों के संबंधों को अपना सबसे अहम द्विपक्षीय संबंधों में से एक मानता है और दोनों देशों के बीच रणनीतिक सहयोग और साझेदारी संबंधों के लगातार विकास को आगे बढ़ाने का प्रयास करता रहेगा।
भारतीय विदेश मंत्री खुर्शीद ने 8 मई को अपनी चीन यात्रा से पहले नई दिल्ली में कहा कि हाल के वर्षों में चीन-भारत संबंधों का बेहतर विकास हुआ है और भारत चीन-भारत संबंधों को आगे बढ़ाने के इंतजार में है, ताकि चीन-भारत संबंधों का एक नया अध्याय जोड़ा जा सके।
खुर्शीद ने आशा जताई कि दोनों देश पूंजी निवेश के क्षेत्र में सहयोग मज़बूत करेंगे, ज्यादा से ज्यादा चीनी उद्योग पूंजी निवेश के लिए भारत आएंगे, और अधिक से अधिक भारतीय उद्योग अपने विकास के लिए चीन जाएंगे।
चीन और भारत प्राचीन सभ्यता वाले देश ही नहीं, बल्कि विश्व में सबसे ज्यादा जनसंख्या वाले दो देश भी हैं। दोनों देशों के बीच आवाजाही का इतिहास बहुत पुराना है। वर्तमान में चीन और भारत ब्रिक्स देशों के सदस्य भी बन गए। इधर के सालों में दोनों देश नवोदित आर्थिक समुदाय में सबसे तेज़ विकास वाले देश भी बन गए। अब चीन भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक सहयोग साझेदार बन गया हैं। दोनों ने वर्ष 2015 में द्विपक्षीय व्यापार की रकम को एक खरब अमेरिकी डॉलर का लक्ष्य बनाया ।
सुन शीहाई ने कहा कि क्षेत्रीय बड़े देशों के नाते कुछ मुद्दों पर चीन और भारत की दृष्टि से इसी क्षेत्र की शांति, स्थिरता और विकास के लिए प्रत्यक्ष असर पड़ेगा। इस तरह दोनों देश पारस्परिक आवाजाही और संपर्क के जरिए अधिक आपसी विश्वास प्राप्त करेंगे, जिससे एशियाई क्षेत्र यहां तक कि विश्व की स्थिरता के लिए बहुत सार्थक होगा।
भविष्य में चीन-भारत सहयोग की चर्चा में भारत में भूतपूर्व चीनी राजदूत चो कांग ने कहा कि चीन-भारत संबंध का विकास द्विपक्षीय स्तर के दायरे के बजाए विश्वव्यापी रणनीतिक अर्थ होना चाहिए। हमें दूर्गामी दृष्टि से चीन-भारत संबंध का विकास करना चाहिए। उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों के बीच अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर व्यापाक आम सहमतियां होती हैं। इसके साथ ही चीन और भारत बहुध्रुवीकरण विश्व के निर्माण, न्यायोचित और युक्तियुक्त नई अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था की स्थापना में लगे हुए हैं। जलवायु परिवर्तन, अनाज सुरक्षा आदि क्षेत्रों में दोनों की एक ही स्वर है। इन सब से जाहिर है कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर चीन और भारत के सहयोग का बहुत व्यापाक गुंजाइश होती है।
(श्याओ थांग)