द हिन्दू ने 2 अप्रैल को कहा कि अदालत के निर्णय के तहत मरीजों को इस कैंसररोधी दवा के प्रतिलिपि उत्पादन मिलेंगे, अगर नोवार्टिस दवा कंपनी की दवाओं का प्रयोग करते हैं तो हर महीने दस हजार रुपयों से अधिक का खर्च होता है, अगर प्रतिलिपि उत्पादनों का प्रयोग करते हैं तो खर्च एक हजार से कम होगा। अदालत के निर्णय की स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने सराहना की। ऐसा करते हुए 3 लाख मरीजों को फायदा पहुंचेगा।
अंतर्राष्ट्रीय चिकित्सा राहत संगठन (एमएसएफ़)-डॉक्टरस विथऑउट बार्डर्स ने 2 अप्रैल को जिनेवा में एक वक्तव्य जारी करते हुए कहा कि वे भारतीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय का स्वागत करते हैं और कहा कि इस निर्णय के बाद विकासमान देशों के मरीजों को सस्ती दवाएं उपलब्ध हो सकेंगी।
(होवेइ)