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चीन और अमेरिका के बीच रक्षा मामले पर 13वां सलाह मशविरा शुरू
2012-12-12 17:57:43

अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के निमंत्रण पर चीनी जन मुक्ति सेना के डिप्टी चीफ ऑफ जनरल स्टाफ छी च्येनक्वो के नेतृत्व में चीनी सेना का प्रतिनिधि मंडल 12 दिसम्बर को अमेरिका की यात्रा पर गया, वहां वे अमेरिकी उप रक्षा मंत्री जामेस एन मिलेर के साथ रक्षा मामले पर दोनों देशों के रक्षा मंत्रालयों के बीच सलाह मशविरे की सह-अध्यक्षता कर रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि दक्षिण चीन समुद्र, त्याओयू द्वीप, नेटवर्क सुरक्षा तथा अंतरिक्ष में सुरक्षा जैसे सवाल मौजूदा वार्ता के मुख्य मुद्दे होंगे।

चीन और अमेरिका के बीच रक्षा मामले पर रक्षा मंत्रालयों की सलाह मशविरा व्यवस्था वर्ष 1997 से शुरू हुई और अब तक 12 बार हो चुके हैं। इस सलाह व्यवस्था के जरिए दोनों देशों के रक्षा विभागों के बीच समझ, विश्वास, आदान प्रदान और सहयोग गहरा हो गया है।

चीनी रक्षा मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार मौजूदा वार्ता में चीनी व अमेरिकी सेनाओं के संबंध, समुद्र में सैनिक सुरक्षा, अन्तरराष्ट्रीय व क्षेत्रीय मसले आदि प्रमुख हैं। चीनी समाज विज्ञान अकादमी के अमेरिका संबंधी अध्ययन संस्थान के शोधकर्ता सुश्री चाओ छी के मुताबिक उपरोक्त सवालों के अलावा नेटवर्क सुरक्षा और अंतरिक्ष सुरक्षा भी वार्ता के प्रमुख विषय होंगे, खासकर वर्तमान समय में, जब चीन के ईर्दगिर्द दक्षिण चीन समुद्र और त्याओयू द्वीप को लेकर प्रादेशिक भूमि पर विवाद छिड़ा है, दोनों पक्ष एक दूसरे का असली इरादा जानना चाहते है। सुश्री चाओ ने कहाः

नेटवर्क सुरक्षा और अंतरिक्ष में सुरक्षा के सवाल वार्ता में शामिल होंगे, क्योंकि अमेरिका हमेशा इन सवालों पर ध्यान देता है। इसके अलावा दक्षिण चीन समुद्र और त्याओयू द्वीप संबंधी विवाद भी अमेरिका के लिए कांटे का मामला है, यदि उन का उचित समाधान नहीं हुआ, तो सैनिक मुठभेड़ भी हो सकेगी। मेरे विचार में अमेरिका जरूर चीनी सैनिक पक्ष के साथ इन सवालों पर विचार विमर्श करना चाहता है। दोनों पक्ष एक दूसरे का रूख जानना चाहते हैं और अमेरिका चीनी सेना का विचार जानना चाहता है।

असल में विश्व के दो अहम बड़े देश होने के नाते चीन और अमेरिका दोनों एक दूसरे को समझना तथा विचारों का विनिमय करना चाहते हैं।

वर्ष 2012 चीनी व अमेरिकी सेनाओं के बीच आदान प्रदान का व्यस्त साल है. दोनों देशों के रक्षा मंत्रियों का एक दूसरे देश का दौरा हुआ, अमेरिकी नौ सेना मंत्री भी 28 साल बाद चीन की यात्रा पर आए तथा अदन खाड़ी में दोनों देशों की नौ सेनाओं ने प्रथम बार समुद्री लुटेरा विरोधी संयुक्त अभ्यास किया तथा दोनों देशों की सेनाओं ने मिलकर चीन के छेंगतू में मानवीय विपत्ति निवारण अभ्यास किया। इन कार्यक्रमों से जाहिर है कि चीनी और अमेरिकी सेनाओं में सुरक्षित व व्यवस्थागत सैनिक संपर्क व्यवस्था कायम की जा रही है।

इन सैनिक आदान प्रदान कार्यवाहियों के मुद्देनजर चीनी रक्षा मंत्रालय के प्रेस प्रवक्ता यांग यु च्युन ने एक बार संवाददाता सम्मेलन में कहाः

इस साल, चीनी और अमेरिकी सेनाओं के संबंधों में विकास का अच्छा रूझान बना रहा है. चीन अमेरिका के साथ मिलकर दोनों सेनाओं के संबंधों को स्वस्थ व स्थिर तौर पर आगे बढ़ाने का इच्छुक है।

चीन अमेरिका सवाल के विशेषज्ञ चाओ छी ने कहा कि यह एक अच्छा संकेत है कि दोनों देशों की सेनाएं एक दूसरे के प्रति खुले रहने को तैयार हैं। जबकि यह भी एक अहम सवाल है कि चीन कैसे अपनी सैनिक शक्ति के विकास व उस की पारदर्शिता को संतुलित करे।

सुश्री चाओ ने कहा कि इस साल सितम्बर के माह में अमेरिकी रक्षा मंत्री ने चीन की यात्रा की, जो एक दूसरे के इरादे को जानने तथा परिस्थिति के बारे में सही निष्कर्ष निकालने के लिए मददगार सिद्ध हुआ है। फिलहाल दोनों देशों की सेनाओं के संबंधों में विकास का अच्छा रूझान विकसित हो रहा है, चीनी सेना भी चाहती है कि अमेरिका के साथ विचारों का आदान प्रदान करे। लेकिन यह भी साफ है कि चीनी सेना की शक्ति अमेरिका से कमजोर है, इसलिए दोनों के बीच संतुलन कायम करने की भी जरूरत है।

वर्तमान में चीन के सामने समुद्र में प्रादेशिक भूमि को लेकर विवाद तथा अमेरिका के एशिया-प्रशांत क्षेत्र में पुनः संतुलन कायम करने की रणनीतिक तैनाती से पैदा समस्या मौजूद है, ऐसी स्थिति में दोनों पक्षों के बीच विचार विमर्श व संपर्क बढ़ाने से गलतफहमी व गलत फैसले से बच सकता है और पारस्परिक विश्वास बढ़ सकता है। फिर भी चीन और अमेरिका के बीच अमेरिका द्वारा थाइवान को हथियार बेचने, अमेरिकी सैनिक विमानों व युद्ध पोतों के चीन के पास टोह लेने आने तथा अमेरिका के घरेलू कानून में चीन पर प्रतिबंध लगाने की तीन मुख्य बाधाएं खड़ी हैं। चीनी सेना ने कई बार यह कहा है कि दोनों देशों की सेनाओं के बीच भावी संबंधों का विकास अमेरिका की सदिच्छा पर निर्भर करता है।

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