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क्वेलिन
2012-10-29 17:10:44

मालूम नहीं आप को चीन के उस प्रसिद्ध शहर की जानकारी है या नहीं, जिस के नाम का उल्लेख आते ही एक नदी उससे जुड़ जाती है। दरअसल इस शहर से बहती यह नदी इसके मनमोहक दृश्य में चार चांद लगाती है। खैर इस शहर का नाम है क्वेलिन और नदी का ली च्यांग। आइये आज के चीन का भ्रमण कार्यक्रम में इस रमणीक शहर व यहां कलकल करती नदी की सैर पर चलते हैं।

ली च्यांग नदी का उद्गम स्थल क्वेलिन के उत्तर में स्थित शिंगआन काउंटी के मोअड़ शान पर्वत में है। नदी की लम्बाई चार सौ किलोमीटर से अधिक है। इस का 83 किलोमीटर लम्बा भाग क्वेलिन व यांग श्वो काउंटी से हो कर बहता है। नदी के दोनों किनारों का प्राकृतिक दृश्य अनुपम है। यहां विश्व का सब से बड़ा कास्ट भूतत्वीय व जलीय पर्यटन क्षेत्र है। क्वेलिन इस विशेष पर्यटन क्षेत्र की वजह से विश्वविख्यात हो चला है।

प्राचीन चीन में क्वेलिन के अद्भुत प्राकृतिक दृश्य की प्रशंसा में लिखी गई क्वेलिन का प्राकृतिक दृश्य नामक कविता विश्व भर में बेमिसाल मानी जाती है और आज तक लोगों की जुबान पर है। क्वेलिन के सौंदर्य का सार लीच्यांग नदी के दोनों किनारों के अनुपम प्राकृतिक दृश्य में दिखता है। लीच्यांग नदी के पास खडे हो कर आप हरी-भरी अजीबोगरीब पर्वतश्रृंखलाओं का मनोहर दृश्य देख सकते हैं और उसके दोनों किनारों के घने जंगलों व अनोखी चोटियों की परछाईं नदी के समतल पानी में इतनी साफ नजर आती है कि चीन की किसी जीवंत परम्परागत स्याही चित्र को सामने उभार लाती है।

जी हां, बहुत से पर्यटक क्वेलिन का दौरा करते समय इस शहर के परम्परागत स्याही चित्र जैसे विशाल प्राकृतिक दृश्यों का पुल सा बांध लेते हैं। यहां की सब से बड़ी विशेषता यह है कि इस नदी के आसपास जितने भी छोटे-बड़े पर्वत खड़े हैं, सब के सब साल भर हरे-भरे और स्पष्ट दिखते हैं। इतना ही नहीं यहां नदी, पर्वतों और शहर के बीच कोई सीमा भी नहीं नजर आती। यह पता लगाना मुश्किल हो जाता है कि हम शहर के भीतर खड़े हैं या पर्वतों के बीच। पर्यटक को यहां किसी विशेष पर्यटन स्थल पर जाने की जरूरत नहीं रह जाती क्योंकि शहर के किसी भी कोने में ली च्यांग नदी का अद्भुत सौंदर्य महसूस किया जा सकता है। वास्तव में यहां का मानवीय व प्राकृतिक दृश्य बड़े अजीब ढंग से सामंजस्य लिये हुए है।

ली च्यांग नदी के किनारे खड़ा हाथी-सूंड़ पर्वत क्वेलिन का प्रतीक माना जाता है। यह देखने में एक ऐसा भीमकाय हाथी जान पड़ता है, जो अपनी सूंड़ से नदी का पानी पी रहा हो। इस भीमकाय हाथी की सूंड़ व शरीर के बीच एक बड़ी गोलाकार गुफा है। लीच्यांग का पानी इसी गुफा से होकर आगे बहता है। पूर्णिमा की रात यदि आप दूर से श्यांगपी शान यानी हाथी-सूंड़ पर्वत को देखें, तो इस बड़ी गोलाकार गुफा की परछांई नदी के पानी में साफ-साफ देख सकेंगे और यह आभास कर पायेंगे मानो आकाश व पानी पर एक नहीं, कई सुंदर चांद एक साथ चमक रहे हों। यह दृश्य क्वेलिनवासियों के बीच हाथी-सूंड़ पर्वत जल, और चांद के अनोखे दृश्य के रूप में चर्चित है।

हाथी-सूंड़ पर्वत की तलहटी में रहने वाले मा वी मिन ने इस पर्वत की कथा हमें इस तरह बताई

कहते हैं कि बहुत समय पहले हाथी देवताओं का एक झुंड स्वर्ग से उतरकर पृथ्वी पर पहुंचा। भटकते- भटकते वह क्वेलिन शहर में प्रविष्ट हुआ और यहां के अनुपम प्राकृतिक सौंदर्य से इतना प्रभावित हुआ कि यहां से वापस लौटने का नाम ही नहीं लिया। स्वर्ग के राजा ने उसे वापस बुलाने के लिए कई आदेश जारी किये, तो अंत में इस झुंड के एक हाथी को छोड़कर अन्य सभी हाथी स्वर्ग वापस चले गये। यह हाथी क्वेलिन के अद्भुत प्राकृतिक दृश्य से वाकई मोहित हो गया था। स्वर्ग के राजा ने जब यह बात सुनी, तो वह आग बबूला हो उठे और उन्होंने एक तेज तलवार से इस हाथी की पीठ पर वार कर उसे मार डाला और हमेशा के लिए ली च्यांग के पास खड़ा कर दिया।

हाथी-सूंड़ पर्वत की चोटी पर श्री मा ने तलवार की मूठ के रूप वाले ईंट के एक स्तूप की ओर इशारा करते हुए कहा कि 14 वीं शताब्दी में निर्मित यह वास्तु इस हाथी को मारने में प्रयुक्त तलवार की मूठ जैसा दिखता है।

यह कथा बात सुनकर मैंने मन ही मन सोचा कि इस हाथी की तुलना में क्वेलिनवासी सचमुच खुशकिस्मत हैं, क्योंकि वे क्वेलिन शहर में आराम से रहते हुए लीच्यांग के मनमोहक प्राकृतिक दृश्यों का खूब आनन्द उठाते हैं। उन्हें किसी भी तरह की सजा की चिन्ता नहीं। श्री मा हर सुबह उठकर टेढ़े-मेढ़े पथरीले रास्ते से हाथी-सूंड़ पर्वत की चोटी पर चढ़ते हैं और चोटी पर खड़े होकर क्वेलिन का अनुपम सौंदर्य आंखें भर-भर कर देखते हैं।

क्वेलिन शहर वाली चांग चंग फेइ ने बताया कि गर्मियों की रात लीच्यांग नदी के दोनों किनारों पर अधिक चहल-पहल दिखती है। उस का कहना है

गर्मियों में जब दिन ढलता है, तो शहरवासियों की भीड़ नदी के दोनों किनारों पर उमड़ पड़ती है। लोग यहां हवा खाने, घूमने या गपशप करने के लिए आते हैं। क्वेलिन में कोई तनाव महसूस नहीं होता, यह एक बड़ी आरामदेह जगह है।

जैसा कि श्री चांग ने कहा, क्वेलिन सचमुच आरामदेह शहर कहलाने लायक है। शहर में कोई तनाव या शोरगुल नहीं है। आधुनिक जीवन की व्यस्तता इसके मनोहर प्राकृतिक दृश्य में विलीन हो गयी है।

क्वेलिनवासी आराम की अपनी आदत के चलते आम तौर पर नाश्ता घर पर नहीं करते। वे रेस्त्रांओं में चावल से तैयार नूडल खाने के आदी हैं। इस प्रकार के रेस्त्रां शहर में हर जगह देखे जा सकते हैं। क्वेलिनवासी हर सुबह जल्दी उठकर लीच्यांग के दोनों किनारों पर चहलने जाते हैं और फिर किसी रेस्त्रां में एक कटोरा स्वादिष्ट नूडल खाने के बाद अपना दिन शुरू करते हैं।

क्वेलिन में बुजुर्गों को ही नहीं, बहुत से युवाओं को भी चावल के नूडल खाने का शौक है। सुश्री खूंग श्याओ लिंग ने बताया कि क्वेलिन के इस नूडल का इतिहास कोई तीन सौ वर्ष पुराना है। यह नूडल खाने में ही बड़ा मजेदार नहीं होता, बनाने में बहुत आसान होता है और इसका दाम भी सस्ता होता है। यह नूडल अपने ढंग का फास्ट फूड है। शायद यह भी एक कारण है कि यह स्थानीय लोगों का पसंदीदा खाना है।

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