आज 18 सितम्बर घटना की वर्षगांठ है। आज से 81 साल पहले, जापानी आक्रमणकारियों ने उत्तर पूर्वी चीन पर हमला बोल कर वहां कब्जा किया। अब 81 साल बाद चीन का त्याओयू द्वीप फिर चीन जापान संबंध के लिए एक गंभीर समस्या बन गया। 18 सितम्बर घटना की समृति में चीन के विभिन्न स्थानों में अलार्म सीटी बजाने तथा प्रदर्शनी लगाने की गतिविधियां हुईं, जिससे चीनी लोगों में अतीत के राष्ट्रीय अपमान के इतिहास की याद दिलायी जाएगी।
81 साल पहले, 18 सितम्बर घटना उत्तर पूर्व चीन के शनयांग शहर में हुई, इसलिए शनयांग में हर साल 18 सितम्बर को अलार्म सीटी बजाने की परंपरा बनी। आज सुबह नौ बजकर 18 मिनट पर सारा शनयांग तीन मिनट तक अलार्म सीटी की आवाज से गूंजता रहा। सड़कों पर सभी वाहन रुक कर हार्न बजाने लगे और 18 सितम्बर घटना संग्रहालय में घंटे की आवाज गूंज उठी। 18 सितम्बर घटना समृति रस्म में ल्याओनिन प्रांत के डिप्टी पार्टी कमेटी सचिव श्या ते रन ने कहाः
अतीत की घटना की याद में नयी सबक मिलेगी। हम ने यहां फिर एक बार अलार्म का घंटा बजाया, उसने हमें राष्ट्रीय अपमान के दिन की याद दिलायी है। हम इतिहास से शिक्षा लेकर अपने महान अभियान में और अधिक प्रेरक शक्ति ले लेंगे । त्याओयू द्वीप सवाल पर चीन का रूख हमेशा स्पष्ट रहा है. जापान किसी भी नाम पर उसे खरीदने की कोशिश क्यों न करे, तो भी गैर कानूनी होगा। हम इस का दृढ़ विरोध करते हैं और अपनी भूमि के एक इंच को भी खो जाने नहीं देंगे।
देश के विभिन्न स्थानों से हजारों लोग शनयांग में इक्टठे होकर अलार्म घंटा रस्म में शरीक हुए और विभिन्न तबकों से चुने दस लोगों ने सबों की ओर से घंटा बजाया, ताकि सभी चीनी लोग ऐतिहासिक अपमान के दिन को नहीं भूलें। उनमें से शनयांग नार्मल विश्वविद्यालय की छात्रा ह्वांग शेंग यु ने अपना अनुभव बताते हुए कहाः
इतिहास की याद करने का मकसद मातृभूमि के भावी विकास को और बेहतर बनाना है। चीन की प्रादेशिक भूमि अक्षुण्ण है। नयी पीढ़ी के युवा के नाते हमें विवेक रूप से देशभक्ति की कार्यवाही करनी चाहिए ।
शनयांग का 18 सितम्बर घटना संग्रहालय चीन में एकमात्र ऐसा संग्रहालय है, जिसमें 18 सितम्बर घटना के बारे में करीब दस हजार ऐतिहासिक अवशेष व संबद्ध सामग्रियां सुरक्षित हैं। संग्रहालय के डायरेक्टर च्येंग श्याओ कुंग ने परिचय देते हुए कहा कि फिलहाल, संग्रहालय में त्याओयू द्वीप के इतिहास के बारे में प्रदर्शनी लगी है, इससे अधिकाधिक लोगों को इस द्वीप के असली इतिहास की जानकारी मिलेगी। ऐतिहासिक तत्यों से साबित हुआ है कि त्याओयू द्वीप प्राचीन काल से चीन की भूमि रही है। उन्होंने कहाः
इन दिनों, हम संबद्ध सामग्रियों का संकलन व संपादन कर रहे हैं और जापानी आक्रमण से जुड़े अधिक विषयों को प्रदर्शनी में शामिल करते हैं, ताकि वह एक विशिष्ट प्रदर्शनी बने।
18 सितम्बर की सुबह, तुंगपै नार्मल विश्वविद्याल में छात्रों की बैठक हुई। बैठक में विशेषज्ञों ने 18 सितम्बर घटना की याद की और त्याओयू द्वीप मामले पर विचारों का आदान प्रदान किया । प्रोफेसर हान तुंग यू ने बताया कि वर्तमान त्याओयू द्वीप घटना से जापान सरकार की कुआकांक्षा प्रकट हुई है। इसलिए हमें इतिहास की सबक लेकर शांति की रक्षा करने का भरसक प्रयास करना चाहिए, इस ऐतिहासिक घटना की पुनरावर्त्ति होने को नहीं देना चाहिए।
उन्होंने कहा कि वर्तमान त्याओयू द्वीप घटना एक ऐसी घटना प्रतीत हुई है, जो 81 साल पहले जापानियों ने किया था। त्याओयू द्वीप चीन की भूमि है, लेकिन अमेरिका ने दूसरे विश्व युद्ध के बाद चुपचाप उसे दूसरे को सौंपा, यह बिलकुल अनुचित बात है।
18 सितम्बर घटना की 81वीं वर्षगांठ के अवसर पर आनह्वी प्रांत में विभिन्न स्कूलों में तरह तरह की गतिविधियां आयोजित कर इतिहास का सिंहावलोकन किया गया । प्रांत के ह्वे नान शहर में स्थित कोयला खान में एक ऐसा विशाल गढ़ा है जिस में जापानी हमलावरों द्वारा चीन पर कब्जे के दौरान मारे गए हजारों चीनी मजदूरों के शव दफने हैं, यह जापानी आक्रमणकारियों द्वारा चीन में नरसंहार करने का अकाट्य सबूत है। आज, इस गढ़े के पास सैकड़ों स्कूली छात्रों ने मृतकों की समृति में एक रस्म आयोजित की। इस गढे में दबे हजारों अस्थिपंजरों को देखकर छात्र छन रैन ने यह प्रतिज्ञा कीः हम जरूर अपने देश को समृद्ध और शक्तिशाली बनाएंगे और उसे दूसरों से अत्याचार करने नहीं देंगे।