चीन और भारत के बीच तीसरा मंच हाल ही में उत्तर चीन के थ्येनचिन शहर में हुआ, यह चीन भारत मैत्री वर्ष का एक अहम कार्यक्रम है। शिक्षा के क्षेत्र में सहयोग के विषय पर आयोजित इस मंच पर चीन और भारत दोनों देशों के शिक्षा जगत ने बड़ा ध्यान दिया। चीन और भारत के बीच शिक्षा क्षेत्र में सहयोग लगातार गहरा होने के दौरान युवाओं की आवाजाही परस्पर समझ व मित्रता बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण गतिविधि है।
चीन भारत मंच में चीन स्थित भारतीय संस्कृति काउंसलर साहु अरूण ने भाषण देते हुए कहा कि ह्वेन्सान से शुरू होकर भारतीय और चीनी जनता एक दूसरे को समझने की हरसंभव कोशिश करती आई है। वर्तमान में हर साल कई सौ चीनी और भारतीय युवा प्रतिनिधि एक दूसरे देश के दौरे पर आते जाते हैं जिससे दोनों देशों के युवाओं में परस्पर समझ काफी बढ़ गयी है। साहु अरूण का कहना हैः
पिछले तीस सालों में सामाजिक व आर्थिक तौर पर भारत तेजी से आगे बढ़ रहा है, चीन और भारत के लिए युवा पीढियों में व्यस्त आदान प्रदान बहुत अहम है। हम दोनों देश बड़े विकासशील देश हैं, और दोनों में विश्व के सब से अधिक संख्यक युवा लोग हैं. उन्हें एक दूसरे से सीखने, परस्पर समझने तथा आदान प्रदान करना चाहिए। इस का यह परिणाम निकलेगा कि चीन भारत संबंध भविष्य में और बेहतर होगा।
थ्येनचिन साइंस युनिवर्सिटी के अन्तरराष्ट्रीय शिक्षा कालेज के उप कुलपति काओ युंग ग ने मंच को संबोधित करते हुए कहा कि भारत के उच्च शिक्षालयों के साथ सहयोग का काम आश्चर्यजनक है। उन का मानना है कि चीनी शिक्षा जतग भारत से बहुत कुछ सीख सकता है।
भारत में विश्वविद्यालयों का दौरा करने के बाद हम बहुत प्रभावित हुए हैं, भारत में भविष्य में विकास की बड़ी संभावनाएं हैं। वहां के बुद्धिजीवी लोगों में असाधारण सरगर्मी है , ऊंची खुली विचारधारा है और रचनात्मक भावना है। इस से मैं बहुत प्रभावित हुआ हूं। हमें अच्छी तरह उन से सीखना चाहिए।
वर्तमान में चीन के अनेक विश्वविद्यालयों ने भारतीय उच्च शिक्षालयों के साथ सहयोग करना शुरू किया है। भारत के प्रतिभाशाली आईटी कार्यकर्ता और चीनी भाषा पढ़ाने वाले चीनी शिक्षक दोनों पक्षों के लिए फौरी मांग हैं। थ्येनचिन औद्योगिक विश्वविद्यालय की शिक्षक यांग युच्ये ने कहा कि अभी उन के विश्वविद्यालय में भारतीय छात्र व विजिटिंग टीचर नहीं है। विश्वविद्यालय भारत से श्रेष्ठ अध्यापक आमंत्रित करना चाहता है। उन्होंने कहाः
हमारे विश्वविद्यालय की श्रेष्ठता टेक्सटाइल में है, हमारे यहां एक सोफ्टवेयर विकास केन्द्र भी है। भारत को टेक्सटाइल और सोफ्ट वेयर के क्षेत्र में श्रेष्ठता है, हम चाहते हैं कि दोनों पक्षों के बीच शिक्षकों का आदान प्रदान होगा और अंग्रेजी भाषा में पाठ पढ़ाएंगे।
भारतीय विश्वविद्यालय भी चीनी शिक्षा क्षेत्र के साथ सहयोग बढ़ाना चाहते हैं। हैदराबाद विश्वविद्यालय के कुलपति हरिबाबु इजिनावाजला ने चीन के शिक्षा विकास की बड़ी तारीफ की। उन्होंने कहा कि पहले, भारतीय छात्र यूरोप व अमेरिका में पढ़ने जाना पसंद करते थे, अब बहुत से छात्र चीन को चुनते हैं। उन की उम्मीद है कि चीन के साथ शिक्षा में सहयोग और छात्रों का आदान प्रदान बढ़ाया जाएगा। उन का कहना हैः
चीन की उच्च शिक्षा बहुत अच्छी है, विविध रूपों में है, खुली भी है और बड़ी व सुव्यवस्थित भी। चीनी विश्वविद्यालय छात्रों की संख्या भी बहुत अधिक है।
वर्तमान में चीन और भारत के बीच शिक्षा के क्षेत्र में अनेक सहयोग के मुद्दे चल रहे हैं। शिक्षकों का आदान प्रदान और युवाओं की एक देसरे देश की यात्रा द्विपक्षीय सहयोग का दीर्घकालीन मद रहा है। भारतीय छात्र शिव कुमार को इस से बड़ा लाभ मिला। वर्ष 2010 में उसे चीन सरकार की छात्रवृति मिली और पेकिंग विश्वविद्यालय में डाक्टर डिग्री के लिए अध्ययन करने का मौका मिला। उन्होंने कहा कि चीन में पढ़ने के दौरान उसे चीन के बारे में बिल्कुल नया अनुभव हुआ है, भारत में लौटने के बाद उसे करियर करने के लिए अच्छी प्रतिस्पर्धा शक्ति प्राप्त हुई है। गरीब ग्राणीन परिवार से आए शिवकुमार पढ़ने का यह अच्छा पाने के लिए चीन सरकार के बहुत एहसानमंद है।
शिव कुमार ने कहा कि चीन में पढ़ने केलिए चीनी भाषा सीखना जरूरी है। अब अधिक से अधिक भारतीय युवा लोग चीनी भाषा सीखने के इच्छुक हैं। सूत्रों के अनुसार भारतीय माध्यमिक शिक्षा समिति ने चीनी भाषा को मिडिल स्कूल के अनिवार्य पाठ में शामिल कर दिया। पहले साल 500 स्कूलों में चीनी भाषा कोर्स खोले जाएंगे। इस साल 24 अगस्त को चीन और भारत के बीच मेमोरेडम हस्ताक्षरित कर चीनी भाषा प्रशिक्षण में सहयोग की व्यवस्था की गयी।
भारतीय दुतावास के संस्कृति काउंसलर साहु अरूण ने कहा कि भारतीय छात्रों को चीनी भाषा सीखने का मौका देने से चीन व चीनी संस्कृति के बारे में उन की जानकारी व समझ बढ़ जाएगी, उन्हें बड़ी खुशी हुई है कि चीन भारत मैत्रा वर्ष में दोनों पक्षों में ऐसी अच्छी प्रगति प्राप्त हुई।