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ईरान गुट निरपेक्ष आंदोलन के शिखर सम्मेलन से अपनी शक्ति प्रदर्शित
2012-08-30 17:11:14

 दोस्तो , हाल ही में अनेक देशों के नेता गुट निरपेक्ष आंदोलन के 16वें शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिये क्रमशः तेहरान पहुंच गये । स्थानीय लोकमत का मानना है कि ईरान ने गुट निरपेक्ष आंदोलन के शिखर सम्मेलन के सफल आयोजन से अपनी शक्ति प्रदर्शित की , साथ ही इस बात का द्योतक भी है कि ईरान के खिलाफ प्रतिबंध लगाने और अलगाव में डालने की पश्चिमी नीति विफल रह गयी है ।

वर्तमान में संयुक्त राष्ट्र महा सचिव पान मन की , भारतीय प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह , सीरियाई प्रधान मंत्री हेलजी , जनवादी कोरिया की सर्वोच्च जन असेम्बली के स्थायी अध्यक्ष किम युंग नाम, फिलिस्तीनी राष्ट्रीय सत्ताधारी संस्था के अध्यक्ष अबास और अफगानीस्तान के राष्ट्रपति करजाई आदि नेता तेहरान पहुंच चुके हैं । मिश्र के राष्ट्रपति मोर्सी भी स्थानीय समय के अनुसार तीस अगस्त को तेहरान पहुंचने ही वाले हैं ।

शिखर सम्मेलन के प्रवक्ता मेहमानपारास्ट ने परिचय देते हुए कहा कि कुल 125 देशों के अधिकारी या प्रतिनिधि , जिन में 24 राष्ट्रपति , 7 प्रधान मंत्री , दो संसद अध्यक्ष और 8 उप राष्ट्रपति शामिल हैं , इस शिखर सम्मेलन में भाग ले रहे हैं । हिस्सेदार देशों की संख्या से वर्तमान तेहरान शिखर सम्मेलन अभूतपूर्व है ।

गुटनिरपेक्ष आंदोलन का मौजूदा शिखर सम्मेलन बेहद ध्यानाकर्षक है , मेजबान देश ईरान को छोड़कर लोकमत का ध्यान कुछ हिस्सेदार नेताओं , खासकर संयुक्त राष्ट्र महा सचिव पान की मून , मिश्र के राष्ट्रपति मोर्सी और भारतीय प्रधान मंत्री मनमोहन सिंग पर भी केंद्रित हुआ है ।

पान की मून के गुरनिरपेक्ष आंदोलन के शिखर सम्मेलन में भाग लेने की खबर सार्वजनिक होने के बाद अमरीका और इजराइन आदि देशों ने तुरंत ही इस का विरोध कर दिया , लेकिन पान की मून फिर भी ईरान गये हुए हैं । 29 अगस्त की सुबह तेहरान पहुंचने के बाद पान की मून ने थकावट की परवाह न कर क्रमशः ईरान के संसद अध्यक्ष लारिजानी , राष्ट्रपति अहमेदीनेजाद और सर्वोच्च नेता हामेनेई के साथ वार्ता की ।

अहमेदी नेजाद के साथ वार्ता में पान की मून ने कहा कि इस क्षेत्र का बड़ा देश होने के नाते ईरान सीरिया सवाल के शांतिपूर्ण समाधान के लिये यथासंभव प्रयास कर सकता है । उन्होंने कहा कि ईरान को न्यूक्लीयर ऊर्जा का शांति पूर्ण रुप से प्रयोग करने का अधिकार है । वर्तमान में मौजूद मामलों के समाधान के लिये शीघ्र ही आपसी विश्वास पुनः स्थापित करना ही होगा । इस के अलावा ईरानी विदेश मंत्री सालेही ने उसी दिन संवाददाता सम्मेलन में कहा कि यदि पान की मून की इच्छा हो , तो ईरान उन्हें अपने न्यूक्लीयर संस्थापनों को देखने पर आमंत्रित कर देगा ।

भारतीय प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह ने 28 अगस्त की रात को सौ से ज्यादा सदस्यों वाला प्रतिनिधि मंडल लेकर तेहरान पहुंचे , वे गुटनिरपेक्ष आंदोलन के शिखर सम्मेलन में भाग लेने के अलावा ईरान की चार दिवसीय राजकीय यात्रा भी करेंगे । यह पिछले दस सालों में किसी भारतीय प्रधान मंत्री की प्रथम ईरान यात्रा ही है ।

29 अगस्त को श्री मनमोहन सिंह ने अलग अलग तौर पर ईरान के सर्वोच्च नेता व राष्ट्रपति के साथ वार्ता की । हामेनेई के साथ वार्ता में मनमोहन सिंह ने कहा कि भारत ईरान के साथ ऊर्जा और आधारभूत संस्थापनों समेत सभी क्षेत्रों में सहयोग बढाने को तैयार है । हामेनेई ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय सहयोग में अमरीका एक अविश्वसनीय साझेदार है , जबकि ईरान व भारत के बीच सहयोग को गहराने का आधार मौजूद है , दोनों देशों का सहयोग विश्वसनीय है ।

फारस समाचार एजेंसी ने अपनी टिप्पणी में कहा कि ईरान ने मौजूदा कुटनीतिक मुकाबले में अमरीका और इजराइल को पराजित कर दिया । तेहरान में पान की मून का पहुंचना अमरीका व इजराइल के नेताओं के लिये एक बूरी बात है , पर मिश्र के राष्ट्रपति मोर्सी की ईरान यात्रा उक्त दोनों देशों के लिये और एक बड़ी चिन्तित बात भी है ।

विश्लेषकों का मानना है कि मिश्र और ईरान के बीच राजनयिक संबंध टूटे हुए तीस वर्ष से अधिक समय हो गये हैं , इस बार हालांकि मोर्सी गुटनिरपेक्ष आंदोलन सम्मेलन के शिखर सम्मेलन में भाग लेने ईरान गये हैं , पर वास्तव में इसे गतिरोध को तोड़ने की यात्रा मानी जाती है । जबकि अमरीका और इजराइल मिश्र के सत्ता बदलने के बाद कुटनीतिक नीति में कोई हेर फेर करने पर बराबर चिन्तित हैं ।

भारतीय प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह की मौजूदा यात्रा का उल्लेख करते हुए मीडिया ने कहा कि वर्तमान में ऐसी महत्वपूर्ण क्षण पर जबकि अमरीका और यूरोप ईरान पर प्रतिबंध लगाने में तेजी ला रहे हैं , भारत ईरानी तेल के प्रमुख ग्राहकों में से एक है , अमरीका लगातार भारत पर दबाव डालने पर डेटा हुआ है , ताकि वह ईरान से कम कच्चे तेल का आयात कर सके । पर इस बार मनमोहन सिंह एक विशाल प्रतिनिधि मंडल को लेकर ईरान की यात्रा पर गये हैं , यात्रा का प्रमुख मुद्दा ईरान के साथ आर्थिक व व्यापारिक सहयोग पर विचार विमर्श करना है , इस से अमरीका निस्संदेह और बहुत निराश ही है ।

ईरानी समाचार एजेंसी ने कुटनीतिक सूत्रों का हवाला देते हुए कहा कि ईरान ने गुटनिरपेक्ष आंदोलन के शिखर सम्मेलन के सफल आयोजन से अपनी शक्ति प्रदर्शित की है , साथ ही इस बात का यह द्योतक भी है कि अमरीका , इजराइल और उन के संश्रयकारियों की ईरान को दुश्मनी रखने और अलगाव में डालने की नीति विफल रह गयी है ।

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