जापानी आत्मरक्षा दस्ते और अमेरिकी मेरिन सेना ने 21 अगस्त को समुद्री द्वीपों पर 37 दिन का युद्धाभ्यास शुरू किया। इस के साथ ही दक्षिण कोरिया और अमेरिकी सेना का संयुक्त युद्धाभ्यास यु एफ जी भी 20 अगस्त को दक्षिण कोरिया की सीमा पर आरंभ हुआ। गौरतलब है कि अगस्त के महीने में चीन के चारों ओर फैले क्षेत्रों में अनेक बड़े बड़े पैमाने वाले सैनिक अभ्यास किये जा चुके हैं, जिन में से अधिकांश में अमेरिकी सेना की भागीदारी नजर आयी है।
चीनी नौ सेना के फौजी अनुसंधान प्रतिष्ठान के उपाध्यक्ष चांग चुन शे का कहना है कि इस साल अमेरिका ने एशिया प्रशांत क्षेत्र में अभूतपूर्व ज्यादा युद्धाभ्यास किए, बहुत से युद्धाभ्यास चीन के साथ भूमि के लिए विवाद रखने वाले देशों के साथ मिलकर किये हैं, जिन का लक्ष्य स्पष्टतः चीन के खिलाफ है। श्री चांग के अनुसार ऐसे संयुक्त युद्धाभ्यास एशिया-प्रशांत क्षेत्र की शांति व स्थिरता को बर्बाद करने की भूमिका अदा करता है।
इस साल, अमेरिका ने चीन के कुछ पड़ोसी देशों के साथ अनेक युद्धाभ्यास किए, संख्या व पैमाने की दृष्टि से ये संयुक्त सैन्य अभ्यास अभूतपूर्व बड़े हैं । अमेरिका की ये हरकतें उस की एशिया प्रशांत में वापसी की नीति से सीधे जुड़ी हुई हैं। एशिया प्रशांत में अपनी मौजूदगी को मजबूत करने के लिए अमेरिका ने परंपरागत सैन्य गठबंधन के सदस्यों के साथ संबंधों को सुदृढ़ करने की कोशिश की, खासकर उन के साथ युद्धाभ्यास बढ़ाया, ताकि इन देशों के जरिए अपनी रणनीति को मूर्त रूप दिया जाए। अमेरिकी अधिकारी कहते हैं कि एशिया प्रशांत में पुनः वापसी की अमेरिकी रणनीति चीन के खिलाफ नहीं है। किन्तु तथ्यों से जाहिर है कि उसकी असलियत दूसरी है। क्योंकि उस ने जिन देशों के साथ संयुक्त सैन्य अभ्यास किया है, उन अधिकांश देशों और चीन के बीच भूमि के लिए विवाद मौजूद है, जिन में जापान, फिलिपीन्स और वियतनाम शामिल है। इन युद्धाभ्यासों में अमेरिका ने कभी चीन को आमंत्रित नहीं किया, इस के अलावा युद्धाभ्यास में शरीक देशों ने भी यह स्पष्ट कहा है कि युद्धाभ्यास चीन पर लक्षित ही है। इसलिए यह साफ है कि अमेरिका द्वारा आयोजित ये युद्धाभ्यास चीन के विकास को रोकने के लिए ही है। चीन की आशा है कि अमेरिका और ये चंद कुछ देश चीन के खिलाफ कम युद्धाभ्यास करेंगे और इस क्षेत्र की शांति व स्थिरता के लिए ज्यादा काम कर लेंगे।
जापानी मीडिया के अनुसार जापानी थलीय आत्मरक्षा दस्ते ने 21 अगस्त से अमेरीकी मेरिन सेना के तीसरे लांग मार्च आर्मी के साथ गुआम और टिनियन द्वीपों पर द्वीप पर कब्जा करने वाला संयुक्त युद्धाभ्यास शुरू किया, इस प्रकार का सैनिक अभ्यास पहली बार हुआ है। जापानी मीडिया सांकाई शिन्बुन ने जापानी आत्म रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों के हवाले से कहा कि अमेरिका जापान युद्धाभ्यास इस परिकल्पना पर आधारित है कि यदि चीनी सेना सेन्काकु द्वीप समूह यानी चीन के त्योयू द्वीप पर हमला करे, तो किस तरह अमेरिका व जापान मिलकर उसे वापस छीन लें। विशेषज्ञों का कहना है कि असल में त्योयू द्वीप पर विवाद अमेरिका की वजह से पैदा हुआ है। वर्ष 1971 में अमेरिका ही था, उसने जापान के साथ ओकानावा वापस देने के समझौते पर हस्ताक्षर के समय त्योयू द्वीप समूह को वापसी क्षेत्र में शामिल कर जापान के सुपुर्द कर दिया। इस पर श्री चांग ने कहाः
अमेरिका और जापान फिलहाल जो संयुक्त युद्धाभ्यास कर रहे हैं, वह एशिया प्रशांत क्षेत्र की शांति व स्थिरता के लिए हितकारी नहीं है, उलटे केवल इस क्षेत्र की शांति व स्थिरता को भंग कर सकता है। इस कल्पना पर कि चीनी सेना त्योयू द्वीप पर कब्जा करने के लिए हमला करे, युद्धाभ्यास करना सरासर बेतुकी कार्यवाही है। त्योयू द्वीप को लेकर जो विवाद हुआ है, वह बिलकुल अमेरिका के कारण पैदा हुआ है। वर्ष 1971 में चीन की अनुमति के बिना अमेरिका ने उसे जापान को सौंपा था, तत्काल ही चीन ने इस का दृढ़ विरोध किया था। हाल ही में अमेरिका ने फिर कहा कि त्योयू द्वीप अमेरिका जापान सुरक्षा संधि के अन्तर्गत है, यह कथन भी चीन की वार्ता के जरिए विवाद को हल करने की नीति के विरुद्ध है। चीन की आशा है कि जापान चीन के आह्वान में आकर शांतिपूर्ण वार्ता में आएगा। साथ ही अमेरिका व दक्षिण कोरिया का संयुक्त युद्धाभ्यास भी कोरियाई प्रायद्वीप की शांति व स्थिरता के हित में नहीं है।
इस साल में अमेरिका के नेतृत्व में आधे साल के समय में ही दस युद्धाभ्यास हो चुके हैं, उनमें से अनेक चीन के खिलाफ है, जो अमेरिका के इस दावे के बिलकुल विपरीत है कि वह एशिया प्रशांत की स्थिरता चाहता है। श्री चांग का कहना हैः
ये युद्धाभ्यास ज्यादातर चीन को लक्षित करते हैं, जैसाकि जापानी पक्ष ने खुले तौर पर कहा है कि इन दिनों हो रहा द्वीप पर कब्जा करने वाला संयुक्त युद्धाभ्यास चीन पर लक्षित ही है। कुछ समय पहले प्रशांत रिम युद्धाभ्यास, पनडुब्बी विरोधी युद्धाभ्यास और फिलिपीन्स केसाथ युद्धाभ्यास सभी चीन के खिलाफ है। ये हरकतें अमेरिका द्वारा प्रसारित शांति व स्थिरता की रक्षा के नारे के एकदम विरुद्ध है।