दोस्तो , विश्व स्वर्ण संघ ने 16 अगस्त को स्वर्ण की मांग रुझान के बारे में 2012 की दूसरी तिमाही की रिपोर्ट जारी की । रिपोर्ट के अनुसार चालू वर्ष की दूसरी तिमाही में सारी दुनिया में कुल 990 टन स्वर्ण की जरुरत पड़ी , जो गत वर्ष की समान अवधि से 7 प्रतिशत घट गयी है । स्वर्ण के प्रति औंस का औसत दाम 1609.49 अमरीकी डालर था , जो गत वर्ष की समान अवधि से 7 प्रतिशत बढ गया है । सारी दुनिया में स्वर्ण के प्रमुख उपभोक्ता भारत और चीन माने जाते हैं , चालू वर्ष की दूसरी तिमाही में इन दोनों देशों की स्वर्ण मांग सारी दुनिया का 45 प्रतिशत बन गयी है । पर दूसरी तिमाही में चीनी बाजार में स्वर्ण की मांग में गिरावट आयी है ।
विश्व स्वर्ण संघ के निवेश विभाग के जनरल मेनेजर क्वो पो सी ने बताया कि स्वर्ण के प्रदर्शन से जाहिर है कि आर्थिक पर्यावरण फिर भी गम्भीर बना रहा है । दूसरी तिमाही में भारत व चीन में स्वर्ण आभूषणों व निवेश की मांग सारी दुनिया का 45 प्रतिशत है , स्वर्ण के लिये इन दोनों देशों की कमजोर मांग से सारी दुनिया में स्वर्ण की मांग में गिरावट आयी है ।
रिपोर्ट में कहा गया है कि चालू वर्ष की दूसरी तिमाही में अंतर्राष्ट्रीय स्वर्ण बाजार में प्रति औंस के दाम में 1600 अमरीकी डालर के आसपास उतार चढाव बरकरार रहा है । स्पष्ट प्रवृति के अभाव से पूंजी निवेश में स्वर्ण निवेशकों ने अलग अलग कार्यवाहियां की हैं । कुछ निवेशकों ने दाम छंटनी के सहारे अपनी पूंजी बढा दी है , अन्य कुछ निवेशकों ने तो ओपन लाभ उठाया है ।
आंकड़ों से पता चला है कि चालू वर्ष की दूसरी तिमाही में स्वर्ण के लिये सारी दुनिया की मांग 418.3 टन है , जो गत वर्ष की इसी अवधि से 15 प्रतिशत घट गयी है , निवेश में 302 टन की जरूरत पड़ी , जो गत वर्ष की समान अवधि से 23 प्रतिशत कम है । चीनी निवेश व स्वर्ण आभूषणों की मांग में 144.9 टन की जरूरत पड़ी है , जो गत वर्ष की दूसरी तिमाही के 156.6 टन की तुलना में 7 प्रतिशत गिर गयी । स्वर्ण दाम की स्पष्ट प्रवृति की कमी से चीनी निवेशक काफी सतर्क हो जाते हैं , स्वर्ण का निवेश गत वर्ष की समान अवधि से चार प्रतिशत घटकर 51.1 टन रह गया है । स्वर्ण के दाम में वृद्धि प्रवृति के अभाव और जी डी पी में मंद वृद्धि दर होने की वजह से उपभोक्ताओं का स्वर्ण आभूषण खरीदने का उत्साह भी प्रभावित हुआ है , जिस से स्वर्ण आभूषणों की मांग गत वर्ष की समान अवधि से नो प्रतिशत गिरकर 93.8 टन रह गयी है ।
स्वर्ण के लिये बड़ी मांग वाले दूसरे बड़े देश भारत में दूसरी तिमाही में स्वर्ण आभूषणों की मांग गिरकर 181.3 टन रही , जबकि गत वर्ष की दूसरी तिमाही में स्वर्ण की मांग 294.5 टन थी । जिस में स्वर्ण के निवेश में 56.5 टन रहा , जो गत वर्ष की समान अवधि से आधा भाग घट गया । स्वर्ण आभूषणों के लिये भारत की मांग में भी भारी गिरावट आयी है , जो गत वर्ष के 179.5 टन से घटकर 124.8 टन तक हो गया , जिस में गत वर्ष की समान अवधि से 30 प्रतिशत की कटौती हुई है । स्वर्ण की मांग में इसीलिये भारी गिरावट आयी है , क्योंकि गत वर्ष की दूसरी तिमाही में गोल्ड की तीव्र मांग हुई है , दूसरा कारण यह भी है कि भारतीय निवेशकों ने अमरीकी डालर के मुकाबले रुपये के कमजोर भाव का फायदा उठाया है । घरेलू मुद्रास्फीति और मानसून के प्रभाव से विनिमय दर में भारी उतार चढाव आया है , जिस से गत जून माह में दस ग्राम सोने का दाम बढ़कर करीब तीस हजार रुपये तक पहुंच गया ।
हालांकि सारी दुनिया में स्वर्ण की मांग में गिरावट आयी है , पर विभिन्न देशों के केंद्रीय बैंक और सरकारी संस्थाएं दूसरी तिमाही में गोल्ड खरीदने में तेजी लायी हैं , अतः मौजूदा तिमाह में गोल्ड भण्डारण में 157.5 टन का इजाफा हुआ है , जो 2009 की दूसरी तिमाही से अब तक का सब से अच्छा रिकार्ड है ।
क्वो पो सी ने कहा कि हालांकि विविधतापूर्ण अनिश्चित तत्व मौजूद हैं , पर संपत्ति का मूल्य बरकरार रखने के औजार व तरलता के स्रोत के रुप में गोल्ड के बुनियादी गुण में कोई बदलाव नहीं आया ।
स्वर्ण की आपूर्ति में दूसरी तिमाही में स्वर्ण की कुल आपूर्ति 1059.1 टन रही , जो चालू वर्ष की पहली तिमाही के बराबर है , और गत वर्ष की समान अवधि से 6 प्रतिशत घट गयी है । स्वर्ण के उत्पादन गत वर्ष से तीन टन बढ़कर 706.4 टन हो गया । पर चीन समेत कुछ देशों के सोना के उत्पादन में वृद्धि हुई है , चीन में दूसरी तिमाही में सोना के उत्पादन में गत वर्ष की समान अवधि से 4 से 5 प्रतिशत की बढोत्तरी हुई है ।
2012 की दूसरी तिमाही में सोना की मांग और आपूर्ति इस प्रकार हैः दूसरी तिमाही में स्वर्ण की मांग 990.0 टन है , जो गत वर्ष की समान अवधि से सात प्रतिशत घट गयी । इसी तिमाही में स्वर्ण का औसत प्रति औंस दाम 1609.49 अमरीकी डालर रहा , जो गत वर्ष की समान अवधि से 7 प्रतिशत बढ़ गया है ।
स्वर्ण आभूषणों की मांग में 418.3 टन की जरुरत है , जबकि गत वर्ष की समान अवधि का आंकड़ा 490.6 टन था , जिस में 15 प्रतिशत की गिरावट आयी।