खाई फूंग राजभवन के दौरे में पर्यटक चीन के इतिहास और अनेक प्रसिद्ध हस्तियों की जानकारी भी पा सकते हैं। चीन के कर्तव्यपरायण व स्वच्छ शासक पाऔ कुंग भी ऐसी एक प्रमुख हस्ती रहे हैं।
स्वच्छ शासक पाऔ कुंग का नाम आम चीनी नागरिकों की जुबान पर आज भी है। कोई हजार वर्ष पहले सुंग राजवंश के एक अधिकारी की हैसियत से पाऔ कुंग ने कानूनों के कड़े पालन के कारण चीनी भूपतियों के बीच बड़ा सम्मान प्राप्त किया। चीनी लोग उन्हें आज भी प्यार से पाऔ कुंग कह कर पुकारते हैं। पाऔ कुंग इंसाफ के लिए राजा के दामाद और अपने भतीजे को मृत्युदंड देने में भी नहीं हिचके। आज के चीन का भ्रमण कार्यक्रम में हम आपको चीन के इस निस्वार्थ शासक के दर्शन ही नहीं करायेंगे, तत्कालीन राजा के दामाद को मृत्युदंड दिये जाने के स्थल पर भी ले चलेंगे। इससे आप महसूस कर सकेंगे कि चीनी लोगों में पाऔ कुंग के प्रति इतना आदर भाव व प्यार क्यों व्याप्त है। आइये पहले करें पाऔ कुंग के दर्शन।
चीन के बहुचर्चित पेइचिंग औपेरा छन श मई को मृत्युदंड का एक अंश में कोई हजार वर्ष पहले सुंग राजवंश में हुए एक शिक्षित युवक की कहानी कही गई है। यह युवक अपने माँ-बाप, पत्नी व दो बच्चों के साथ रहता था। एक साल वह सरकारी पद की परीक्षा देने के लिए उन्हें छोड़कर राजधानी खाई फूंग पहुंचा। वहां उसने परीक्षा उत्तीर्ण ही नहीं की उसमें प्रथम स्थान प्राप्त कर एक बड़ा सरकारी पद भी संभाला। इसके बाद राजा ने उसे अपनी बेटी के साथ शादी करने की आज्ञा दी। इस प्रकार वह राजा का दामाद बन बैठा और राजमहल में रहने लगा। कुछ साल बाद उस के माँ-बाप दुनिया से चल बसे। घर में सिर्फ उसकी पत्नी व दो छोटे बच्चे रह गये जिनका जीवन दूभर होता गया। मजबूर होकर उसकी पत्नी अपने दो बच्चों को साथ लेकर उस से मिलने राजधानी खाईफूंग की ओर चल पड़ी। खाई फूंग पहुंचने पर उसे मालूम हुआ कि उस का पति राजमहल में बड़ा अधिकारी बन गया है। वह अपने दोनों बच्चों के साथ राजमहल में पति छन श मई से मिलने गयी। पर दुर्भाग्य कि छन श मई ने उसे अस्वीकार कर राजमहल से बाहर निकलवा दिया, यही नहीं, उन तीनों को मार डालने के लिए एक व्यक्ति को भी भेजा। जब पत्नी को इस बात की सचाई मालूम हुई तो उसने पति पर अभियोग लगाती याचिका पाऔकुंग के सामने पेश की। पाऔ कुंग ने इस मामले की सुनवाई के बाद कानून के अनुसार राजा के दामाद छन श मई को मौत की सजा देने का फैसला लिया। यह औपेरा इसलिये आज तक चीनी लोगों के बीच प्रचलित है, क्योंकि यह पाऔकुंग की निस्वार्थ भावना, स्वच्छ शासन और असाधारण कारनामे का गुणगान करता है।
खाई फूंग राजभवन में कदम रखते ही पश्चिम व पूर्व दोनों तरफ दो बड़े शिलालेख दिखायी देते हैं। इन में पूर्वी तरफ के शिलालेख पर उत्तरी सुंग राजवंश काल में इस भवन में कार्यरत रहे सभी अधिकारियों के नाम व उनकी कार्यावधि अंकित है। इस काले रंग के शिलालेख पर सूक्ष्म अक्षरों में सैकड़ों अधिकारियों के नाम तराशे गये हैं। मैं इतने सारे नामों के बीच पाऔ कुंग का नाम कई बार ढूंढने पर भी नहीं पा सकी। मेरे मन में यह प्रश्न उठा ही था कि विधिवत तैयार इस शिलालेख पर पाऔ कुंग का नाम मुझे क्यों नहीं दिखा कि मेरे बगल में खड़ी गाइड सुश्री ल्यू छिंग ने मुस्करा दी। फिर उस ने शिलालेख के बीचोंबीच की जगह की ओर इशारा करते हुए कहा कि पाऔ कुंग का नाम पहले इस जगह पर अंकित था। पर शिलालेख से सिर्फ उन्हीं का नाम कैसे गायब हो गया, जब मैंने यह सवाल रखा तो सुश्री ल्यू ने कहा
पाऔकुंग स्वच्छ शासकों के प्रतिनिधि हैं। इसलिये जब भी यहां पर्यटक आये सबने पाऔ कुंग का नाम दिखने पर उसे अपने हाथ से छूना चाहा। इससे धीरे-धीरे पाऔ कुंग का नाम लुप्त हो गया और उसकी जगह एक छेद उभर आया। इस मजबूत शिलालेख पर उभरे इस छिद्र को निहारते हुए मुझे बड़ा सुखद आश्चर्य हुआ और मन में पाऔ कुंग के प्रति आदर और बढ़ गया। शिलालेख देखने के बाद हम खाई फूंग राजभवन के सब से भव्य प्रमुख कक्ष आ पहुंचे।
अतीत में खाई फूंग के शासक इसी प्रमुख कक्ष से राजनीतिक आदेश जारी करते थे। वे यहां राष्ट्रीय मामले निपटाते थे और महत्वपूर्ण मुकदमों की सुनवाई करते थे। कक्ष के केंद्र में एक सुंदर श्यामपट्ट लटका हुआ है। उस पर सुनहरे रंग में दो शब्द न्याय व निष्पक्षता अंकित हैं। यह लोगों को गम्भीरता का आभास कराता है।
प्रमुख कक्ष के बीचोंबीच खड़े एक लम्बे मेज पर बांस के लाल व काले पट्टे रखे हैं। लाल पट्टों का प्रयोग इस राजभवन में शासक अपराधियों को सजा देने में करते थे, जबकि काले अपराधियों को पकड़ने के वारंट की तरह काम में आते थे।
इस प्रमुख कक्ष में लम्बे मेज के सामने एक मीटर से भी लंबी तीन कांस्य तलवारे रखी हैं। इन तीन तलवारों पर अलग-अलग तौर पर ड्रैगन, बाघ और कुत्ते के सिर चित्रित हैं। सुना जाता है कि इन तीनों तलवारों का प्रयोग अलग-अलग वर्ग के अपराधियों को मुत्युदंड देने में किया जाता था। तब चाहे राजा हो या आम प्रजा भारी अपराध करने वाले को इन तलवारों से सजा दी जाती थी। पेइचिंग से आयी पर्यटक सुश्री चांग श्यू फू ने अपने बेटे को इन तलवारों के बारे में बता रही हैं
यदि राजपरिवार का व्यक्ति भारी अपराध करता, तो उसे मुत्यु की सजा देने के लिए ड्रैगन के सिर वाली तलवार का प्रयोग किया जाता था। यदि राजकीय अधिकारी ऐसा अपराध करता, तो बाघ के सिर वाली तलवार से उस का सिर काटा जाता और यदि आम जन कोई बड़ा अपराध करता, तो उस का सिर काटने के लिए कुत्ते के सिर वाली तलवार का प्रयोग किया जाता।
पाऔ कुंग की न्यायप्रियता और उन के प्रति आम चीनियों के आदर भाव को जानने के बाद शायद आपकी भी पाऔकुंग में रुचि बढ़ गई होगी। खाई फूंग के राज भवन के शुद्ध हृदय नामक भवन में पाऔ कुंग से संबंधित बहुत सी सामग्री आज भी सुरक्षित है ।
आम लोगों का विचार है कि पाऔकुंग बहुत हृष्ट-पुष्ट थे और उन के चेहरे का रंग बहुत गहरा था। पर शुद्ध हृदय भवन में खड़ी 3.8 मीटर ऊंची व 5.6 टन भार वाली पाऔ कुंग की कांस्य मूर्ति के सामने खड़े गाइड श्री चाओ ने कहा
दरअसल पाऔकुंग बहुत गोरे, शिक्षित और सज्जन थे। पुराने समय में सांस्कृतिक प्रचार-प्रसार का माध्यम औपेरा ही था। और औपेरा की परम्परा में गोरा चेहरा भ्रष्टाचारी का प्रतीक माना जाता है, जबकि काला चेहरा शिष्ट व निस्वार्थ अधिकारी का। इसलिये पाऔकुंग के चेहरे को औपेरा में काला दिखाया गया। हां पाऔकुंग बड़े कद के नहीं थे।
खाई फूंग के राजभवन में स्थानीय लोगों ने पाऔ कुंग की याद में एक मोमबत्ती मूर्ति संग्रहालय भी स्थापित किया है। इस में रखी मूर्तियों में पाऔकुंग के जीवन और अमर कारनामों का जीता-जागता चित्रण किया गया है।