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जुलाई माह की सीपीआई में वृ्द्धि दर दो प्रतिशत से कम होगी
2012-08-01 17:39:17

राजकीय सांख्यकि ब्यूरो के बंदोबस्त के अनुसार जुलाई माह की सीपीआई एक हफ्ते के बाद सार्वजनिक होगी । आयातित स्फीति का दबाव कम होने और खाद्य पदार्थों के दाम अपेक्षाकृत स्थिर होने जैसे तत्वों के कारण देश की अनेक विश्लेषण संस्थाओं व विशेषज्ञों का अनुमान है कि जुलाई माह में सीपीआई में गत वर्ष की इसी अवधि की तुलना में दो प्रतिशत से कम वृद्धि होगी , जो गत तीस माहों में निम्नतम रिकार्ड कायम होगा । इस बात की चर्चा में चीनी आधुनिक अंतर्राष्ट्रीय संबंध अनुसंधान प्रतिष्ठान के विश्व आर्थिक अनुसंधानशाला की प्रधान छन फुंग इंग का मानना है कि मौजूदा सीपीआई के निम्न स्तर पर कायम रहने से चीनी अर्थव्यवस्था के लिये फायदेमंद है , इस से ब्याज दर में गिरावट आदि आर्थिक प्रोत्साहित नीतियों के कार्यांवयन के लिये और बड़ा गुंजाइश छोड़ा जायेगा ।

हाल की सीपीआई की प्रवृति का उल्लेख करते हुए छन फुंग इंग ने कहा कि जुलाई माह की सीपीआई में वृद्धि के दो प्रतिशत या इस के नीचे तक पहुंचने की भारी संभावना है , पर संकुचन का रुझान नहीं आयेगा ।

हमने देखा है कि गत जून माह की सीपीआई में वृद्धि 2.2 प्रतिशत रही , लेकिन अब लोगों का अनुमान है कि जुलाई माह की सीपीआई में वृद्धि दो प्रतिशत या दो प्रतिशत से नीचे पहुंच जायेगी । जैसाकि हमें मालूम है कि चालू वर्ष के शुरु में जनवरी में हमारी सीपीआई में वृद्धि 4.5 प्रतिशत थी , जबकि फरवरी में 3.2 प्रतिशत हुई , यह वृद्धि दर माह ब माह घटती रही है , अतः जुलाई माह में यह दर लगातार घटने की संभावना ही होगी ।

पता चला है कि अनेक विश्लेषण संस्थाओं ने हाल ही में जुलाई माह की सीपीआई में दो प्रतिशत से कम की वृद्धि का अनुमान लगाया । जिन में शनइनवानक्वो स्टोक एक्सचेंज ने अपनी जुलाई माह के प्रमुख आर्थिक सूचकांक पूर्वानुमान रिपोर्ट में कहा है कि स्फीति में गिरावट जारी रहेगी , सीपीआई में गत वर्ष की समान अवधि से 1.7 प्रतिशत का इजाफा होगा । इस के अलावा हाईथुंग और रअशिन स्टोक एक्सचेंज आदि संस्थाओं ने अलग अलग तौर पर जुलाई माह की पी सी आई के 1.7 से 1.8 प्रतिशत तक बढने का अनुमान लगाया है ।

छन फुंग इंग का कहना है कि चीनी सी पी आई में वृद्धि दर माह ब माह जो गिरावट आयी है , वह शिथिल विश्व आर्थिक वातावरण , आयातित स्फीति के कम दबाव और खाद्य पदार्थों के दामों में कटौती आदि तत्वों से सामने आयी है । उन्होंने कहा सी पी आई में वृद्धि दर कम होने का सर्वप्रथम कारण यह है कि चालू वर्ष में विश्व आर्थिक स्थिति में कमजोरी नजर आयी है और गिरावट आने का जोखिम भी मौजूद है । इसी वातावरण के प्रभाव में उपभोक्ताओं की मांग , उत्पादकों के निवेश और कच्चे मालों के क्रय विक्रय में गिरावट आयी है , जिस से फैक्टरी मूल्य भी अवश्य ही घटेगा । दूसरा कारण है कि अंतर्राष्ट्रीय तेल दाम और अन्य मुख्य मालों के दामों में गिरावट आने से तेल के निर्यात पर निर्भर रहने वाले चीन जैसे देशों के लिये आयातित स्फीति का दबाव कम हो गया है । तीसरा कारण है कि खाद्य पदार्थों के दामों का अनुपात हमारे देश की सीपीआई में काफी अधिक है , चालू वर्ष में हमारे देश के कृषि उत्पादन में सुधार आया है , मिट व अंडे का दाम गिर गया है , जिस से हमारे देश की सी पी आई भी प्रभावित हो गया है ।

उन्होंने कहा कि यदि सी पी आई में दो से तीन प्रतिशत के बीच की वृद्धि बनी रहेगी , तो यह नवोदित बाजारों या चीनी बाजार के लिये काफी बेहतर होगा । क्योंकि वर्तमान में अर्थव्यवस्था और मांग काफी शिथिल है , ऐसे मौके पर हमारे लिये आर्थिक प्रोत्साहन नीतियां लागू करना अत्यावश्यक है , इन नीतियों में ब्याज दर में कटौती भी शामिल होगी । दूसरी तरफ वित्तीय प्रोत्साहन नीतियों को सीपीआई में वृद्धि दर घटने पर लागू किया जाना भी चाहिये । क्योंकि प्रोत्साहन नीतियां नागरिकों के उपभोग और पूंजी निवेश के सहारे सफल हो सकती है ।

विश्लेषकों का कहना है कि निकट भविष्य में सी पी आई में वृद्धि दर में आयी गिरावट अस्थायी मात्र है , वह खाद्य पदार्थों के दामों में आये उतार चढ़ाव से प्रभावित है , चंद माहों के बाद वह फिर ऊपर आएगी । छन फुंग इंग के अनुमान के अनुसार चालू वर्ष में चीनी सीपीआई में बृद्धि दर आम तौर पर 3 से 3.5 प्रतिशत के बीच बनी रहेगी ।

चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की केंद्रीय कमेटी के पोलित ब्यूरो ने 31 जुलाई को एक सम्मेलन में पूर्वार्द्ध आर्थिक स्थिति और उत्तरार्द्ध आर्थिक काम का विश्लेषण व अध्ययन किया । सम्मेलन में पेश किया गया है कि स्थिर वृद्धि को प्राथमिक स्थान पर रखना , समग्र नियंत्रण को मजबूत बनाकर सकारात्मक वित्तीय नीति व स्थिर मौद्रिक नीति लागू करना और ढांचागत कम कर नीति के कार्यांवयन में तेजी लाकर मुद्रा और क्रेडिट में स्थिर वृद्धि बनाये रखना आवश्यक है । छन फुंग इंग ने इस बात को लेकर कहा कि वर्तमान जटिल व परिवर्तनशील देशी विदेशी आर्थिक परिस्थितियों में समग्र आर्थिक नीतियों की निरंतरता बरकरार रखना निहायत जरूरी है ।

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