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बोओ एशिया मंच से एशिया के विकास में जीवन शक्ति का संचार
2012-04-04 16:03:35

बोओ एशिया मंच 3 अप्रैल को दक्षिण चीन के हाईनान प्रांत के बोओ शहर में समाप्त हुआ। तीन दिन के मंच में विश्व के विभिन्न स्थानों से आए 2000 से अधिक प्रतिनिधियों ने मंच के मुख्य विषयों पर सक्रिय रूप से रायों का आदान प्रदान किया और आर्थिक विकास के तौर तरीकों में बदलाव लाने के विषय पर सहमति प्राप्त की तथा संतुलित, स्वस्थ, निरंतर व नए विकास पर बल दिया। मंच ने एशिया की विभिन्न अर्थव्यवस्थाओं के विकास में नई जीवन शक्ति का संचार किया।

वर्तमान दुनिया में आर्थिक विकास में मंदी आयी है और एशियाई देशों के सामने आर्थिक वृद्धि के तौर तरीकों को बदलने की समान समस्या खड़ी हुई। इसे ध्यान में रखते हुए मंच ने अपने के लिए एशिया में स्वस्थ व अनवरत विकास का मुख्य विषय रखा। मंच में उपस्थित विभिन्न देशों के नेताओं, उद्यमियों और विद्वानों ने एशिया में स्वस्थ विकास और सुधार के सवाल पर गहन विचार विमर्श किया। उनमें यह सहमति कायम हुई है कि एशिया के विकास के तौर तरीकों में तब्दीली की जानी चाहिए। चीनी विद्वान सन शिश्वीन ने कहा कि मौजूदा मंच में आर्थिक विकास के तौर तरीकों में बदलाव करने, नए तौर तरीके अपनाने तथा अर्थव्यवस्थओं के स्वस्थ व निरंतर विकास पर अहम सहमति प्राप्त हुई है, इससे एशिया में आत्मविश्वास और स्वावलंबन की भावना प्रतिबिंबित हुई है।

आर्थिक विकास के तौर तरीकों में परिवर्तन लाने में उल्लेखनीय सफलता हासिल हुई है। सभी लोग मानते हैं कि आर्थिक विकास के नए ढंग हरित, पर्यावरण संरक्षण तथा निरंतरता युक्त होना चाहिए। बोओ एशिया मंच में यह सहमति व्यापक तौर पर कायम हुई है, लोग मानते हैं कि विकास के पुराने तौर तरीके पुराना पड़ गए हैं और नए तौर तरीकों को अमल में लाना जरूरी है।

स्वस्थ व निरंतर आर्थिक विकास एशियाई देशों का समान तकाजा है। चीन भी इस के अपवाद नहीं है, चीनी उप प्रधान मंत्री ली खछांग ने अपने भाषण में जो पांच सूत्रीय सुझाव पेश किया है उस में आंतरिक उत्पादन की वृद्धि, खुले व सहिष्णु व्यवहार, आपसी लाभ, एकता व समन्वय तथा शांतिपूर्ण विकास शामिल है। इससे विकास के सवाल पर चीन का रूख व्यक्त हुआ है और विकास के बारे में नयी अवधारणा भी प्रस्तुत हुई है यानी विकास के तौर तरीकों को बदलना कुंजीभूत कड़ी है, जनजीवन को सुधारना मूलभूत मामला है और सुधार व सृजन नयी प्रेरणा शक्ति है। चीन के इस विचार का व्यापक समर्थन किया गया है। इस पर चीनी विद्वान सन शिश्वीन ने कहा कि उप प्रधान मंत्री ली के भाषण से बोओ मंच को व्यावहारिक दिशा दी गयी है। उन्होंने कहाः

उप प्रधान मंत्री ली के भाषण व सुझाव में विभिन्न समस्याओं की चर्चा की गयी है और यह इंगित किया गया है कि केवल सुधार को गहराई में लाने से आधुनिकीकरण का लक्ष्य प्राप्त हो सकता है। वास्तव में उन के भाषण ने बोओ मंच के भावी विकास के लिए दिशा स्पष्ट कर दी है यानी भविष्य में यह मंच व्याहारिक व प्रासंगिक काम करे।

बोओ एशिया मंच की स्थापना एशियाई वित्तीय संकट के बाद हुई थी, पिछले दस सालों में मंच की तरक्की एशिया के विकास के साथ साथ हो रही है, उसने क्षेत्रीय आर्थिक समन्वय तथा एशियाई देशों को विकास का लक्ष्य प्राप्त करने में प्रेरित करने में अहम योगदान किया है। मौजूदा मंच में जारी एशिया के आर्थिक एकीकरण पर 2012 रिपोर्ट में कहा गया है कि एशिया अब विश्व के नवोदित अर्थव्यवस्थाओं के केन्द्रित होने वाला स्थान बन गया है और उसमें भावी विकास की श्रेष्ठता व संभावना है। विश्व वित्तीय संकट में एशिया की अर्थव्यवस्थाएं सब से पहले जान में आयी हैं और इस की अच्छी प्रवृत्ति उभरी है। बोओ मंच को विकसित हुए दस साल हो चुके हैं, विश्वास है कि इस का अगले दस साल भी निरंतर विकसित होगा और साबित कदमों के साथ आगे बढ़ेगा, तब उस का स्थान विश्व में और असाधारण होगा। श्री सन शिश्वीन ने कहाः

लोगों की उम्मीद है कि भावी दस साल में बोओ एशिया मंच और बड़ी भूमिका अदा करेगा, पिछले दस सालों के अनुभवों के आधार पर अगले दस सालों में और बेहतर काम करेगा, ताकि वह एशिया के आर्थिक विकास में ज्यादा भूमिका निभालेगा।

पिछले सालों में बोओ मंच एशिया के एकीकरण को बढ़ाने में परिपक्व हो गया है, अब वह एशिया में साझेदारी व सहयोग के लिए एक नयी मंजिल पर पहुंचने जा रहा है।

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