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लान यु छिंग का वसंत त्योहार
2012-03-09 15:23:29

लान यु छिंग का यह छोटा सा गांव मिन नान के श जनजाति का निवास स्थल है। विशेष भौगोलिक स्थिति और श्या मन शहर के आर्थिक क्षेत्र के खुलने के कारण गांव के अधिकांश नौजवान शहर में काम करते हैं। गांव में मुख्यतौर पर बच्चे और वृद्ध ही निवास करते हैं। चीन में कहावत है, पैसा है या नहीं लेकिन नया साल घर पर ही मनाना है। त्योहार से कुछ दिन पहले, गांव में अचानक हलचल बढ़ गई है, क्योंकि शहर में काम करने वाले सभी लोग अपने अपने घर लौट चुके हैं। लान यु छिंग भी पिछले दिसम्बर की छब्बीस तारीख को अपने गांव वापस लौट चुकी हैं।

घर वापस आने के समय रास्ते में उन्होनें मुर्गा और बत्तख पास के बाजार में खरीद लिया। उनके गांव से बाजार की दूरी केवल आधे घंटे में तय की जा सकती है। गांव के लोग एक बार में ही जरूरत का सारा सामान खरीद लेते हैं।

साक्षात्कार के समय लान यु छिंग अपनी बेटी के साथ बत्तख का मांस बनाने की तैयारी कर रही थी। उस दिन मौसम बहुत ठंडा था, लेकिन वे दोनों हंस-हंस कर आपस में बातें कर रही थीं और मांस बनाने में मशगूल थीं। लान यु छिंग एक जिन्दा दिल और आशावादी महिला है। उन्होंने बताया कि उनके लिए सबसे खुशी का दिन हरेक साल पूरे परिवार के साथ नया साल त्योहार मनाना ही है। श्या मन में भी हमारा मकान है लेकिन हमलोग बहुत सादा जीवन व्यतीत करते हैं। आशा रहता है कि नया साल में वापस अपने गांव लौटकर पूरे परिवार के साथ खुशी पूर्वक नया साल मना सकें। इस दौरान गांव के पुराने मकान को अंदर से बाहर तक नयी चीजों से सजाते हैं जिससे पड़ोसियों को पता चल सके कि हमलोग आरामदेह जीवन बिता रहे हैं।

घर की साज-सफाई महिलाओं का मुख्य कार्य होता है। बच्चे जो छुट्टियों के दौरान आते हैं वे भी इस कार्य में परिवार के लोगों का हाथ बंटाते हैं। लान यु छिंग ने कहा कि आमतौर पर वे लोग अंतिम मास की पूर्णिमा के दस दिन बाद घर की साफ-सफाई शुरू कर देते हैं। सफाई के लिए विशेष झाड़ू का प्रयोग किया जाता है, घर के हरेक कोने को अच्छी तरह साफ किया जाता है। उसके बाद खिड़की और दरवाजे की सफाई की जाती है, बिस्तरों को भी धूप में सुखाया जाता है, बरतनों को भी पहले ही साफ कर त्योहार की तैयारी के लिए रख लिया जाता है। परिवार की मुख्य गृहिणी होने के कारण, लान यु छिंग ने दो दिन पहले ही पूरे घर की सफाई कर ली है। अब उनका काम नये साल की सामग्रियों को व्यवस्थित करना है। उन्होनें कहा कि अपने पति को पहले ही सूअर के मांस के बंटवारे के लिए भेज चुकी है। सूअर के मांस का बंटवारा इस गांव के पुराने रिवाजों में से एक है। गांव में कुछ लोग मुख्य रूप से सूअर पालते हैं। नया साल से पहले किसी शुभ दिन को सूअर को काटा जाता है फिर उसे प्रत्येक परिवार की आवश्यकता के अनुसार बांटा जाता है। मांस का पैसा उसके दाम के अनुसार दिया जाता है। इस तरह सूअर का मांस नये साल की रात मुख्य खाद्य के रूप में प्रयोग किया जाता है।

नया साल की पूर्व रात्रि को घर के सभी लोग एक साथ खाना खाते हैं। इस दिन स्वादिष्ट व्यंजन बनाने के साथ-साथ इसकी संख्या का भी ध्यान रखा जाता है। आमतौर पर यह संख्या जोड़े में होता है। इस दिन तैयार किए गए व्यंजन का भी महत्व है और उस व्यंजन के नाम से सुख, संपत्ति, समृद्धि, खुशहाली आदि झलकती है।

अगर नये साल की पूर्व रात्रि को घर का कोई सदस्य उपस्थित नहीं हो पाता है तो, टेबल पर उसके लिए भी एक प्याला और चॉपस्टिक रखा जाता है जिससे यह प्रतीत होता है कि घर के सभी सदस्य एक साथ नया साल मना रहे हैं। खाना समाप्त होने के बाद, परिवार के बड़े लोग छोटों को पैसे देते हैं वहीं छोटे सदस्य बड़े सदस्यों को भी उनकी लंबी उम्र की प्रार्थना के लिए पैसे देते हैं। परिवार की मुख्य महिला सदस्य उसके बाद कटोरे में चावल रखकर उसमें अगरबत्ती जलाकर उसे हरेक कमरे में रखती है जिससे यह व्यक्त किया जाता है नया साल भरा-पूरा और खुशहाल होगा।

वसंत त्योहार का मजा पारंपरिक ढ़ंग से मनाने में ही आता है। मिन नान में वसंत त्योहार मनाने के बहुत तरीके हैं। त्योहार की खुशी मनाने के साथ-साथ परिवार के वृद्ध लोगों को भी विशेष सम्मान दिया जाता है। लान यु छिंग भी दादी बन चुकी हैं, लेकिन इसके साथ-साथ वह पतोहु भी हैं। उनकी सास 86 वर्ष की हैं। उनका कहना है कि हरेक साल वसंत त्योहार की पूर्व रात्रि तक खाना खाते-खाते मैं बहुत थक जाती हूं लेकिन मेरी पतोहू मेरा ख्याल रखना नहीं भूलती है।

मिन नान में वसंत त्योहार की पूर्व रात्रि में पूरी रात जगने का रिवाज है। लोग रात भर बातचीत करते हुए नए साल के पहले दिन की प्रतीक्षा करते हैं। पुराने समय में टेलिविजन नहीं था, उस समय परिवार के सभी सदस्य एक साथ बैठकर मंगफूली का मजा लेते हुए और गप्पें मारते हुए साल की अंतिम रात को विदा देते् थे।

मिन नान में वसंत त्योहार के पहले दिन, एक विशेष प्रकार का साग खाया जाता है जिसके पत्ते बहुत लंबे होते हैं। लंबा पत्ता लंबी उमर का द्योतक है। मिन नान की परंपरा के अनुसार, वसंत त्योहार के दूसरे दिन विवाहित बेटी अपनी नैहर के परिवारजनों से मिलने आती है। साथ ही यहां की परंपरा के अनुसार बेटी अपनी मां के घर वापस आने के समय बहुत सारा मांस लेकर आती है। लेकिन अब लोगों के जीवन स्तर में सुधार आने के बाद वे अपने माता-पिता को पैसे देते हैं।

जब हमने लान यु छिंग से वापस श्या मन शहर लौटने का समय पूछा, तो उन्होंने कहा कि वसंत त्योहार के अठाहरवें दिन तक शायद यहीं रूकना पड़ेगा, क्योंकि लुंग श्याओ में वसंत त्योहार के दौरान एक विचित्र समारोह का आयोजन किया जाता है जिसमें गांव के सभी लोग भाग लेते हैं।

वसंत त्योहार के चौदहवें दिन शाम को, इस गांव और आसपास के गांवों के लोग इकट्ठे होकर एक मंदिर से भगवान की मूर्ति को लाने जाते हैं और इस मू्र्ति को पूजा के लिए तीन स्थलों पर एक-एक रात के लिए रखा जाता है। अठारहवें दिन जब उसे वापस मंदिर में ले आया जाता है, तो तीन विशेष कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।

पहला कार्यक्रम नव दंपतियों के लिए होता है। इसी दिन, नव शादी-शुदा लोग भगवान मूर्ति की पूजा करते हैं। यह कार्यक्रम बहुत उत्साह से मनाया जाता है। दूसरा कार्यक्रम कविता पाठन के रूप में आयोजित किया जाता है। इस दिन लोग कविता का पाठ करते हैं और मदिरा पान करते हैं, जो सही कविता कंठस्थ करता है, उसे विजेता माना जाता है, जो हार जाता है, उसे मदिरा पीने का दंड दिया जाता है। तीसरा कार्यक्रम भगवान की मूर्ति को मंदिर में पुनः बिठाने के लिए होता है। इस कार्यक्रम में भगवान की मूर्ति को एक पालकी में रखा जाता है और उसे आठ लोग मिलकर उठाते हैं। उसके बाद भगवान को आग से भी गुजरना होता है। मतलब यह है कि, इस दिन की शाम को जिस गांव से और जिस घर से होकर यह दल गुजरता है लोग पहले से ही वहां पर लकड़ी या घास-फूस का ढ़ेर लगाकर रखते हैं। जब पालकी का दल वहां पहुंचता है तो उसे उस आग को कूदकर पार करना होता है। कभी-कभी लोग छोटी मूर्तियों को गोद में लेकर भी छलांग लगाकर आग को पार करते हैं। लेकिन पालकी का बड़ा होने के कारण लोग नहीं कूद सकते, इसके कारण गांव के एक बड़े मैदान में बहुत बड़ा आग का अलाव तैयार किया जाता है और लोग दल के साथ मिलकर अलाव के चारों तरफ परिक्रमा करते हैं। यह रस्म पूरा होने के बाद भगवान की मूर्ति को उनके मंदिर में वापस स्थापित कर दिया जाता है।

लान यु छिंग और उन के परिवारजन इसीलिए हरेक साल नया साल मनाने अपने गांव वापस आते हैं। उनका कहना है कि यहां पर वसंत त्योहार की परंपरागत रस्म अद्भुत होती है और लोग बहुत आकर्षित होते हैं। अब गांव के निवासियों का जीवन स्तर धीरे-धीरे सुधर रहा है, नए युग में गांव में कुछ नया फैशन भी अपनाया जा रहा है, लेकिन लोगों में प्राचीन और परंपरागत रीति-रिवाजों के प्रति मान्यता अभी भी उसी तरह बनी हुई है और वसंत त्योहार मनाने का उत्साह और परंपरागत प्रथाएं बरकरार हैं।


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