आर्थिक वृद्धि दर में कमी आने से निपटने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक ने 24 जनवरी को वित्तीय प्रणाली में 3 खरब 20 अरब रुपए नक़द देने का ऐलान किया। इसके अलावा, 28 जनवरी से नकद आरक्षित अनुपात(सीआरआर) भी 6 प्रतिशत से घटा कर 5.5 प्रतिशत किया जाएगा। विश्लेषकों का मानना है कि इस कदम से पता चलता है कि केन्द्रीय बैंक पिछले दो सालों से जारी वित्तीय सिकुड़न नीति में बदलाव करेगा।
रिज़र्व बैंक के गवर्नर डी सुब्बाराव ने कहा कि पिछले 2 वर्षों में देश में अर्थव्यवस्था के विकास के चलते अब आर्थिक नीति का ध्यान विकास पर ज़्यादा होगा। लेकिन मुद्रास्फीति का दबाव अब भी मौजूद होने के कारण केन्द्रीय बैंक अर्थव्यवस्था पर नज़र रखे हुए मुद्रा नीति का समायोजन करेगा।
इस पर वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने 24 जनवरी को कहा कि यह कदम मुद्रा बाजार में नकद राशि की कमी के समाधान के लिए लाभदायक होगा। व्यापार व उद्योग जगत ने इस कदम का स्वागत किया। लेकिन अर्थशास्त्रियों का कहना है कि घाटे व महंगाई के दबाव के कारण रिजर्व बैंक की राह में मुश्किलें मौजूद रहेंगी।
(ललिता)