जापानी प्रधान मंत्री योशिहिक नॉडा ने 23 दिसम्बर को नई दिल्ली की यात्रा की, वहां उन्होंने भारतीय प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह के साथ वार्ता की, वार्ता में दोनों पक्षों के बीच राजनीति, अर्थतंत्र और अन्तरराष्ट्रीय स्थिति आदि मसलों पर व्यापक रायों का आदान प्रदान हुआ। भारतीय मीडिया ने योशिहिक नॉडा की मौजूदा भारत यात्रा को फलदायी करार कर दिया और माना कि वर्षों के सहयोग के आधार पर भारत जापान सहयोग एक नयी मंजिल पर आएगा।
उसी दिन, डाक्टर मनमोहन सिंह और योशिहिक नॉडा के बीच डेढ घंटे की वार्ता चली। बहुसंख्य विषयों में आर्थिक सहयोग का मामला भारत में व्यापक तौर पर ध्यानाकर्षक है। वार्ता के बाद हुए संवाददाता सम्मेलन में दोनों नेताओं ने वार्ता के परिणाम इस तरह घोषित किएः एक, मुम्बई और नयी दिल्ली के बीच औद्योगिक गलियारे के निर्माण के लिए जापान 450 करोड़ अमेरिकी डालर की पूंजी लगाएगा। इसके अलावा जापान कर्ज, निवेश और पूंजीगत समर्थन के रूप में भारत में बुनियादी ढांचों के निर्माण में हिस्सा लेगा, जिन में एक्सप्रेस रेल निर्माण और दिल्ली में तेज गति की यातायात परियोजनाएं आदि शामिल हैं। दो, दोनों देशों के बीच वर्तमान के 300 करोड़ अमेरिकी डालर के विनिमय पैमाने को बढ़ाकर 1500 करोड़ डालर कर दिया जाएगा, जिसे वर्तमान समय कमजोर हो रही भारतीय रूपए की विनिमय दर को स्थिर बनाने की अहम कोशिश मानी जाती है। साथ ही दोनों पक्ष चाहते हैं कि इस कोशिश से वित्तीय क्षेत्र में द्विपक्षीय सहयोग का स्तर उन्नत कर सकें। तीन, व्यापार के पैमाने का अधिक विस्तार किया जाएगा, इसके लिए 2014 से पहले द्विपक्षीय व्यापार की कुल रकम 2500 करोड़ अमेरिकी डालर होने का लक्ष्य तय किया गया है। वार्ता के बाद डाक्टर सिंह ने कहा कि यह एक सर्वतोमुखी वार्ता है, दोनों पक्षों में दोनों की चिंता वाले सभी विषयों पर चर्चा हुई है।
असैनिक न्यूक्लियर ऊर्जा सहयोग दोनों देशों के नेताओं की वार्ता का एक अहम एजेंडा है। वार्ता के बाद जारी संयुक्त वक्तव्य में कहा गया है कि दोनों देश नागरिक नाभिकीय ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने पर वार्ता जारी रखेंगे । लेकिन जापानी प्रधान मंत्री ने कहा कि नाभिकीय सहयोग की यह पूर्व शर्त है कि भारत न्यूक्लियर अप्रसार समझौते व संपूर्ण न्यूक्लियर परीक्षण पाबंदी संधि आदि अन्तररराष्ट्रीय मापदंडों का पालन करे। उन्होंने यह भी कहा कि भारत के नागरिक नाभिकीय ऊर्जा विकास को बढ़ाना भारत में उर्जा की प्रयोग-क्षमता बढ़ाने और ग्रीन हाउस गैस की निकासी को कम करने, यहां तक मौसम परिवर्तन समस्या से निपटने में भी बड़ी भूमिका निभा सकता है। जापान इस क्षेत्र में भारत के साथ ज्यादा सहयोग करने को तैयार है। जापानी प्रधान मंत्री योशिहिक ने कहा कि जापान ने फुकुशिमा न्यूक्लियर रिसाव घटना से सबक व अनुभव ले लिया है, इससे भारत सहित विभिन्न देशों को अपना अपना न्यूक्लियर ऊर्जा सुरक्षा का स्तर उन्नत करने में मदद मिलेगी। भारतीय प्रधान मंत्री सिंह ने एकतरफा न्यूक्लियर परीक्षण बन्द करने का भारत का फैसला दोहराया और कहा कि वे जापान के सहयोग इरादे का स्वागत करते हैं।
भारत से दुर्लभ मिट्टी के निर्यात सवाल पर भारतीय मीडिया का ध्यान गया है, लेकिन इस के बारे में दोनों पक्षों ने सहयोग की खुलासा नहीं की, संयुक्त वक्तव्य में सिर्फ यह कहा गया है कि दोनों पक्ष कदम उठाएंगे और दुर्लभ मिट्टी उद्योग के क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देंगे।
भारतीय अधिकृत सूत्रों और मीडिया ने योशिहिक नॉडा की यात्रा पर सकारात्मक टीका-टिप्पणी की और यह समान मत जताया है कि वर्षों के सहयोग के आधार पर दोनों देशों के सहयोग एक नयी मंजिल पर पहुंचने की आशा है। गौरतलब बात यह है कि मौजूदा वार्ता में दोनों पक्षों ने यह ऐलान किया है कि दोनों के बीच आर्थिक मामलों पर नियमित वार्ता आयोजित होगी, जिसका मकसद दोनों के बीच सहयोग की निरंतरता को प्रेरणा शक्ति दिलाना है। भावी रूझान के लिहाज से जापान और भारत दोनों एशिया की बड़ी अर्थव्यवस्था हैं, इसलिए आर्थिक सहयोग के ईर्दगिर्द द्विपक्षीय रणनीतिक सहयोग को बढ़ाना दोनों देशों के लिए बहुत महत्वपूर्ण ही नहीं, साथ ही क्षेत्रीय आर्थिक विकास व ऐशियाई रणनीतिक स्थिति के परिवर्तन पर भी इस का कम प्रभाव नहीं होगा।