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पश्चिम बंगाल में जहरीली शराब से 243 की मौतें
2011-12-16 16:55:37

13 दिसम्बर को पश्चिम बंगाल में जहरीली शराब पीने से एक गांव में अनेकों लोगों को जहर लगी, इस में अब तक 143 मौतें हो चुकी हैं और अन्य सौ से अधिक जख्म होने के कारण अस्पताल में भर्ती किए गए है। जांच से पता चला है कि यह शराब हादसा मेथील एल्कॉहोल पीने की वजह से हुई है।

नई दिल्ली स्थित सीआरआई ब्यूरो के संवाददाता के अनुसार भारत के पश्चिम बंगाल के स्वास्थ्य अधिकारिक सूत्रों के मुताबिक भारतीय समय के अनुसार 16 दिसम्बर की सुबह तक इस जहरीली शराब पीने के हादसे में 143 मौतें हो चुकी हैं और अन्य सौ से अधिक लोग अस्पताल में इलाज कराये जा रहे हैं, जख्मों में से कुछ लोगों की हालत अभी गंभीर बतायी गयी है, इसलिए मौतों की संख्या और बढ़ने की आशंका है। अस्पताल के डाक्टरों ने बताया है कि करीब 300 गांववासियों ने 13 तारीख की रात गांव के निकटस्थ एक जगह जहरीली शराब खरीदा और पीया, 14 तारीख के तड़के उन के पेट में उलटी मची और तेज जलन आया, जहर लगने का आसार दिखाई पड़ा, उन्हें एक एक अस्पताल में भर्ती कर उपचार किया जाने लगा। लेकिन उनमें से बहुत से लोगों में हृदय का काम ह्रस्व हुआ जिसकी वजह से अनेकों मौतें हो गयीं।

स्थानीय अधिकारियों ने यह बताया है कि जहरीली शराब का नमुना टेस्ट केलिए संबंधिक विभाग को भेजा गया है, आरंभिक जांच से यह पचा चला है कि जहरीली शराब में मेथील एल्कॉहोल मौजूद है जो जान ले सकती है। इस शराब कांड में पश्चिम बंगाल की पुलिस ने गांववासियों को शराब बेचने वाले आठ संदिग्ध व्यापारियों को धर पकड़ा, इन के अलावा बादशाह नाम के नकली शराब कारोबार के व्यापारी पर पुलिस की गाज भी पड़ी है। पुलिस ने विस्तृत जांच और गिरफ्तारी के लिए अतिरिक्त बल लगाया है। इस के अलावा सरकार ने हरेक मृतक पर दो लाख रूपए का मुआवजा देने का ऐलान भी किया ।

दरअसल, भारत में नकली शराब पीने से जहर लगने की घटना कम नहीं हुई, यों कह सकते हैं कि वहां समय समय पर जहरीली शराब के हादसे हुआ करते हैं, लेकिन अधिकांश घटनाओं में मौतों की संख्या कम होने के कारण उस पर विशेष ध्यान नहीं गया था और उन की ओर अन्तरराष्ट्रीय मीडिया का ध्यान भी नहीं खींचा है। फिर भी कुछ गंभीर शराब घटनाएं हुई थीं, जिससे बड़ा हंगामा मच गया। याद रहें, वर्ष 2009 में गुजरात में जो अवैध शराब बेचने से 136 लोगों की जानें चलीं, जबकि 1992 में उड़ीसा में हुए एक जहरीली शराब कांड में 200 से अधिक मौतें देखी गयी थीं, इस बार पश्चिम बंगला में जहरीली शराब से 143 गांववासियों की मौत से क्रोधित हुए लोगों ने जहां आसपास की शराब दुकानों में तोड़फोड़ की है, वहीं प्रशासन पर अवैध शराब कारोबार को शय देने का आरोप भी लगाया है।

सवाल यह है कि जहरीली शराब पीने की घटनाएं क्यों भारत में बहुत अधिक हुई हैं?समझा जाता है कि इस का भारत में चली शराब टैक्स प्रणाली से संबंध है। भारत में कुछ धार्मिक व सामाजिक प्रथाओं के कारण मदिरा पान अच्छा आचार नहीं माना जाता है। शराब कारोबार पर सरकार ने भारी कर लगायी और शराब व्यापार संचालन पर लाइसेंस देने की कड़ी व्यवस्था है। इसलिए भारत में बहुत से रेस्ट्रांओं में शराब बेचने की सेवा नहीं होती है। यदि किसी रेस्ट्रां और दुकान पर शराब खरीदने का मौका मिला, तो भी उस के बिल पर अलग तौर पर 20 प्रतिशत की टैस्क लगती है। इसतरह भारत में शराब के दाम काफी ऊंचे हैं। भारत में बहुत से गरीब लोग भी शराब की लत में हैं। लेकिन लाइसेंस वाली शराब की दुकान में दाम ऊंचा होने के कारण वे सस्ते शराब की ओर चले जाते हैं जिससे नकली शराब बनाने का धंधा बहुत विकसित हुआ। पश्चिम बंगाल में हुए मौजूदा जहरीली शराब कांड में जो लोग शिकार हुए हैं, वे अधिकांश भवन निर्माण मजदूर, रिक्शा वाले और ठेला वाले हैं। उन्होंने शराब की दुकान से दस रुपए पर एक ग्लास खरीदा था।

भारतीय मीडिया की रिपोर्टों के मुताबिक नकली शराब कारोबार इसलिए भी बहुत प्रचलित रहा है, क्योंकि कुछ स्थानीय पुलिस व संस्थाएं अवैध शराब बनाने व बेचने वालों से रिश्वत लेती हैं, वे अवैध शराब कारोबार की ओर आंखें मूंद देती हैं।

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