दोस्तो , 12वीं पंचवर्षिय योजना यानी 2011 से 2015 तक के दौरान चीन तिब्बत के शिक्षा विकास को बढावा देने के लिये 8 अरब य्वान की पूंजी जुटाएगा , जिस से तिब्बती शिक्षा कार्य के जोरदार विकास का नया उभार आयेगा ।
इधर सालों में चीन की केंद्रीय वित्त की जबरदस्त सहायता से तिब्बत के शिक्षा विकास में फलता फूलता नजारा नजर आ रहा है , अब प्रारम्भिक तौर पर पूर्व स्कूली शिक्षा , उच्च शिक्षा और विशेष शिक्षा की व्यवस्था स्थापित हो गयी है ।
तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के शिक्षा व्यूरो के इंस्पेक्टर डोर्जे त्सेवांग ने इस का परिचय देते हुए कहा कि वर्तमान में तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में 1195 नाना प्रकार वाले स्कूल व 613 शिक्षण केंद्र उपलब्ध हुए हैं और पांच लाख 70 हजार से अधिक छात्र विभिन्न प्रकार वाले स्कूलों में पढ़ते हैं ।
अब हमारे प्रदेश में प्राइमरी स्कूली भरती दर 99.4 प्रतिशत तक पहुंच गयी है , मिडिल स्कूली भरती दर 38.5, हाई स्कूली भरती दर 63.4 और उच्च शिक्षण प्रतिष्ठानों की भरती दर 26.7 प्रतिशत तक पहुंच गयी है , जबकि किंडरगार्टन की भरती दर 35 प्रतिशत है , कहा जा सकता है कि तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के शिक्षा कार्य ने ऐतिहासिक छलांग लगायी है ।
नये दौर की पंचवर्षिय योजना के दौरान केंद्रीय वित्त तिब्बत के शिक्षा कार्य के समर्थन में 8 अरब य्वान का अनुदान देगा , जिस से तिब्बती शिक्षा कार्य के तेज विकास का नया उभाड़ उभरेगा । शिक्षा की समानता को बढावा देने के लिये 2011 में तिब्बत ने शिक्षा कार्य में कुल एक अरब 13 करोड़ य्वान की धन राशि लगायी , जिस से पूर्व स्कूली शिक्षा के दौर में पड़ने वाले किसानों व चरवाहों के बाल बच्चों के लिये सब्सिडी नीति लागू की गयी , इसी बीच हाई स्कूली शिक्षा लेने वाले किसानों व चरवाहों के सभी बच्चों को मुफ्त में खाने पीने , रहने और पढ़ने की रियायती नीति से फायदा हुआ , साथ ही पूर्व स्कूली शिक्षा से हाई स्कूली शिक्षा तक के कठिन परिवारों की संतानों के लिये छात्रवृति प्रणाली कायम हुई , जिस से तिब्बत ने समूचे देश में हाई स्कूली शिक्षा में मुफ्त नीति लागू करने में पहल कर दिया है ।
डोर्जे त्सेवांग ने कहा कि उपरोक्त नीतियों से पांच लाख 51 हजार छात्रों को लाभ हुआ है , यह संख्या स्कूली छात्रों की कुल संख्या का 95 प्रतिशत बनती है । खासकर उच्च स्तरीय नार्मल स्कूलों और कृषि , पशु पालन , जंगलात और भूविज्ञान व खनिज कालेजों में मुफ्त में पढ़ने वाले छात्रों के लिये सब्सिडी नीति लागू करने और जीवन भत्ते को बढाने की वजह से किसानों व चरवाहों की बड़ी तादाद में संतानों ने अपना विश्वविद्यालय सपना पूरा कर लिया ।
हमारा लक्ष्य है कि कठिन परिवार के किसी भी एक बच्चे को अपनी पारिवारिक निर्धनता की वजह से स्कूल से वंचित रहने नहीं दिया जाये , कहा जा सकता है कि अब हमारा यह लक्ष्य उपरोक्त नीतियों से बुनियादी तौर पर साकार हो गया है ।
शिक्षा की समानता को बढावा देने के चलते 12वीं पंचवर्षिय योजना के दौरान तिब्बत के लिये यह जरुरी है कि नौ वर्ष की अनिवार्य शिक्षा प्रणाली को लोकप्रिय व दृढ़ बनाया जाये और अनिवार्य शिक्षा के संतुलित विकास को गति दी जाये । व्यावसायिक शिक्षा का जोरदार विकास किया जाये और व्यावसायिक शिक्षा की आधारभूत क्षमता का सर्वांगीर्ण रुप से निर्माण किया जाये , उच्च शिक्षा की गुणवत्ता को बढावा दिया जाये , उच्च शिक्षण प्रतिष्ठानों के विषयों व कोर्सों को प्रधानता पर देकर चार प्रमुख गारंटी प्रणालियों व आठ महा परियोजनाओं के निर्माण के माध्यम से तिब्बती शिक्षा विकास में तेजी लायी जाये । ताकि आगामी 2020 तक समूचे स्वायत्त प्रदेश के शिक्षा विकास का आम स्तर समूचे देश के औसत स्तर से नजदीक आ सके । तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के वित्त ब्यूरो के शिक्षा व विज्ञान विभाग के उप प्रधान पेंबा वांगडू ने इस की चर्चा में कहा कि विशेषकर पूर्व स्कूली द्विभाषी शिक्षा के विकास में जो धन राशि लगायी गयी है , वह अभूतपूर्व है ।
12वीं पंचवर्षिय योजना के दौरान केंद्रीय वित्त ने पूर्व स्कूली शिक्षा में एक अरब 6 करोड़ य्वान जुटाने का फैसला कर लिया है , यह धन राशि मुख्यतः किंडरगार्टन शिक्षा , आधारभूत संस्थापनों के निर्माण , बाल बच्चों के खाने पीने और सार्वजनिक खर्चे तथा शिक्षण संसाधनों के निर्माण में लगायी जायेगी । कहा जा सकता है कि शिक्षण रियायती नीति से जो विशाल क्षेत्र प्रबावित हुआ है और इसी संदर्भ में जो धन राशि लगायी गयी है , वे सब के सब बेमिसाल हैं ।