चीन ने 28 नवम्बर को सेवा व्यापार विकास की 12वीं पंचवर्षीय योजना जारी की। चीनी वाणिज्य मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि चीन यह उम्मीद करता है कि सेवा व्यापार आंतरिक मांगों के विस्तार, जनजीवन के सुधार, औद्योगिक स्तर की उन्नति, औद्योगिक ढांचे में समन्वय तथा विकास के तौर तरीकों के बदलाव में अधिकाधिक भूमिका अदा करेगा।
आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2006 से 2010 तक चीन के सेवा व्यापार की आयात निर्यात रकम 190 अरब अमेरिकी डालर से 360 अरब अमेरिकी डालर तक बढ़ी और औसत वार्षिक वृद्धि दर 17 प्रतिशत रही। कम्प्यूटर, बीमा और बैंकिंग जैसे आधुनिक सेवा व्यापार में तेज विकास हुआ और परिवहन, पर्यटन और भवन निर्माण जैसे परंपरागत सेवा व्यापार में स्थिर विकास बना रहा ।
चीनी वाणिज्य मंत्रालय के सेवा व्यापार विभाग के प्रधान चो ल्योचुन ने कहा कि वर्तमान में चीन के सेवा व्यापार में तेज विकास की अच्छी प्रवृत्ति बरकरार रही है। फिर भी चीन के सेवा व्यापार में असंतुलन की पांच प्रमुख समस्याएं पायी गयी हैं यानिकि सेवा व्यापार व माल व्यापार के बीच असंतुलन, व्यवसायिक ढांचे में असंतुलन एवं अन्तरराष्ट्रीय बाजार में ढांचागत असंतुलन इत्यादि। इस के बारे में श्री चो ल्योचुन ने कहाः
लम्बे अरसे से चीन के सेवा व्यापार में निर्यात की रकम का सेवा व माल व्यापार की कुल रकम में अनुपात सिर्फ सारी दुनिया के औसत स्तर का आधा रहा है। चीन के सेवा व्यापार में बराबर प्रतिकूल संतुलन हुआ करता है, यह प्रतिकूल संतुलन मुख्यतः परिवहन, बीमा और पेटेंट के इस्तेमाल व उपयोग के लिए फीस एवं पर्यटन के क्षेत्र में बना रहता है। इधर के सालों में हालांकि चीन के कम्प्यूटर व सूचना सेवा, बीमा, बैंकिंग और परामर्श जैसी ऊंची आय मिलने वाली सेवाओं के विकास में तेज वृद्धि हुई, किन्तु उन का अनुपात चीन के सकल सेवा आयात निर्यात में कम है।
श्री चो ल्योचुन ने कहा कि वर्तमान विश्व अर्थव्यवस्था में पुनरूत्थान की गति धीमी हो रही है, किन्तु चीन की आर्थिक वृद्धि में तेजी बनी रही है। आने वाले पांच सालों में यद्यापि चीन के सेवा व्यापार के सामने जटिल स्थिति आएगी, तथापि सकल दृष्टि से देखा जाए, तो मौका चुनौति से ज्यादा होगा। अब चीन ने सेवा व्यापार के विकास के लिए विस्तृत योजना बनायी है और चीन की आशा है कि देश का सेवा व्यापार आंतरिक मांगों के विस्तार, जनजीवन के सुधार, औद्योगिक स्तर की उन्नति, ढांचागत समन्वय एवं विकास के तौर तरीकों के बदलाव में अधिक से अधिक भूमिका अदा कर सकेगा।
वर्ष 2015 तक चीन की कुल सेवा आयात निर्यात रकम 600 अरब अमेरिकी डालर तक पहुंचने का लक्ष्य रखा गया है, इसतरह औसत वार्षिक वृद्धि दर 11 प्रतिशत होगी और अपने देश के विदेश व्यापार तथा विश्व सेवा व्यापार की कुल रकम में चीन के सेवा व्यापार की प्रतिशत स्थिर गति से बढ़ायी जाएगी, दूर संचार, कम्प्यूटर व सूचना सेवा, बैंकिंग, संस्कृति व परामर्श जैसी ज्ञान आधारित और ऊंची आय प्राप्त होने वाली सेवाओं में निर्यात की कुल रकम 45 प्रतिशत बढ़ाने का लक्ष्य है और विदेशों में परियोजनाओं के ठेके लेने, श्रमिक सेवा के सहयोग, परिवहन, पर्यटन तथा वितरण जैसे सेवा निर्यात का विस्तार किया जाएगा।
श्री चो ल्योचुन ने कहा कि चीन सेवा व्यापार के आयामों का विस्तार करेगा, दूर संचार, बैंकिंग, सूचना सेवा आदि व्यवसायों के पैमाने को बढ़ा देगा, व्यवसायिक सेवा की गुणवत्ता उन्नत करेगा, विदेशों में परियोजनाओं के ठेके लेने, श्रमिक सेवा सहयोग तथा परिवहन के निर्यात में इजाफा करेगा और अपना बौद्धिक संपदा अधिकार युक्त व नामी ब्रांड वाले बड़े उद्योगों का विकास करेगा और अन्तरराष्ट्रीय बाजार में चीनी सेवा का प्रसिद्ध ब्रांड कायम करेगा।
श्री चो ल्योचुन का कहना है कि इन लक्ष्यों के लिए आगामी पांच सालों में चीन अन्दरूनी व विदेशी दोनों बाजारों में प्रमुख सेवा क्षेत्रों में व्यापार को बढाएगा, सेवा व्यापार के नए आयामों व विकास के नए रूपों के विकास में बड़ी प्रगति प्राप्त करने की कोशिश करेगा। श्री चो ने कहाः
चीन सेवा व्यापार के पैमाने का विस्तार करेगा, विदेश व्यापार में सेवा व्यापार का अनुपात उन्नत करेगा, सेवा व माल व्यापारों में संतुलित विकास हासिल करेगा एवं सेवा व्यापार के आयात व निर्यात के संतुलित विकास को बढ़ावा देगा और सेवा व्यापार के लिए विभिन्न विभागों के बीच संपर्क व्यवस्था को बेहतर बनाएगा तथा देश के विकसित क्षेत्रों को सेवा व्यापार का स्तर उन्नत करने के लिए प्रोत्साहन देगा।