पाक विदेश मंत्री हिना रब्बानी खार ने 27 नवम्बर को अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन के नाम तार भेजकर नाटो के द्वारा सीमा पार कर पाकिस्तान में एक सीमा चौकी पर हवाई हमला किये जाने की घटना पर बड़ा रोष जताया और कहा कि यह घटना बिलकुल असहनीय है। 26 नवम्बर की सुबह नाटो के सशस्त्र हैलिकॉप्टरों ने उत्तर पश्चिम पाकिस्तान के मोहमंद इलाके में स्थित पाक सीमा चौकी पर हमला किया, जिस से 24 पाक सैनिक मारे गए और 13 घायल हुए। इस घटना पर पाक पक्ष की तीव्र प्रतिक्रिया हुई और पाक सरकार ने अलग अलग तौर पर नाटो और अमेरिका के प्रति जबरदस्त विरोध प्रकट किया। विश्लेषकों का कहना है कि घटना इधर के दस सालों में पाकिस्तान और पश्चिम के बीच संबंधों की सब से नाजुक घड़ी पर हुई है, जिससे पाक अमेरिका संबंध में दरार और गहरी होगी और आतंक विरोध के क्षेत्र में दोनों के बीच सहयोग का भविष्य अंधकारमय होगा।
26 नवम्बर को पाक चौकी पर हमला किये जाने की घटना के तुरंत बाद पाक पक्ष ने बदला लेने का कदम उठाया, उसने पाकिस्तान से होकर अफगानिस्तान में नाटो को सामान आपूर्ति देने वाले सभी रास्तों को बन्द कर दिया और अमेरिका से 15 दिनों के भीतर पाकिस्तान के दक्षिण पश्चिम भाग में स्थित बलुचिस्तान प्रांत के शामसी हवाई अड्डे को छोड़ने की मांग की, इस के अलावा पाक अमेरिका व नाटो के साथ अपने संबंधों पर पुनः विचार भी करने और उन के साथ राजनीतिक, राजनयिक, फौजी और गुप्तचर सूचनाओं समेत सभी मुद्दों पर सहयोगों व कार्यक्रमों का नए सिरे से मूल्यांकनन करने लगा। उसी दिन पाक विदेश मंत्रालय ने पाक स्थित अमेरिकी राजदूत को अपने वहां बुलाकर हवाई हमले पर जबरदस्त विरोध जताया। पाक प्रधान मंत्री भवन ने भी अपने वक्तव्य में कहा कि पाक केबिनट रक्षा समिति ने माना है कि नाटो का यह हमला एक अधिकार का उल्लंघन करने वाली कार्यवाही है जो बिलकुल अस्वीकार्य है और उस ने पाकिस्तान की प्रभुसत्ता का अतिक्रमण किया है। इन के अलावा पाकिस्तान के कुछ शहरों में अमेरिका व नाटो के खिलाफ जबरदस्त प्रदर्शन भी किये गए।
इस बीच, अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन तथा रक्षा मंत्री लोउन पैनेटा ने 26 तारीख को एक संयुक्त वक्तव्य जारी कर अमेरिका पाक संबंध के महत्व को दोहराया और हमले में मारे गए लोगों पर गहरा शोक व्यक्त किया। नाटो के महा सचिव रास्मुसेन ने 27 तारीख को अपने वक्तव्य में कहा कि उन्हों ने पाक प्रधान मंत्री गिलानी को पत्र लिखकर यह स्पष्ट कर दिया है कि यह एक दुखांत अप्रत्याशित घटना है और अस्वीकार्य है। रास्मुसेन ने मृतकों के परिवारजनों तथा पाक सरकार व जनता से क्षमा भी मांगा है और दावा किया है कि नाटो इस घटना की जांच करेगा और सबक लेगा।
विश्लेषकों का कहना है कि यह हमला अल कायदा के सरगना बिन लादेन को मारे जाने की घटना से भिन्न है. बिन लादेन पर हमला करने की घटना सुनियोजित थी, पर मौजूदा घटना संभवतः गलती से की गयी वारदात है। पाक पक्ष पहले ही चेतावनी दे चुका था कि यदि अमेरिका और नाटो फिर से पाक की प्रभुसत्ता का उल्लंघन किया हो, तो वह मित्र देश के रूप में पाकिस्तान खो देगा। वर्तमान में अमेरिका ने अफगानिस्तान से अपनी सेना हटाने का काम शुरू किया है, वहां आतंक विरोधी काम में दबाव गुनों बढ़ेगा, ऐसे में अमेरिका और नाटो के लिए जान बूझकर पाक चौकी पर हमला करना अविवेक है, इसी लिहाज से यह मानना उचित है कि मौजूदा हवाई हमला गलती से हुआ है। संभव है कि नाटो की सेना ने सीमा क्षेत्र में आतंकियों का पीछा करने के दौरान गलती से पाक सेना नियंत्रित इलाके में घुस कर हमला बोला जिस से भारी हताहती हुई है। लेकिन यह घटना चाहे गलती से हुई हो अथवा योजना के अनुसार हुई हो, पर यह पका है कि पाक सैनिकों की भारी हताहती हो गयी है, जिससे डांवांडोल हो चुके पाक अमेरिका संबंध को फिर एक बार भारी धक्का पहुचा है।
पाक अमेरिका संबंध बिन लादेन की मृत्यु के बाद गतिरोध में पड़ गया और वर्तमान में हकनी नेटवर्क मामले को लेकर अमेरिका के द्वारा पाक पर दबाव डालने के कारण पाक अमेरिका संबंध में और अधिक तनाव आया है।
अफगानिस्थान सवाल पर पाक और अमेरिका के बीच मतभेद भी प्रकट रूप में आ गया है। पाकिस्तान अमेरिका की इस कोशिस का जमकर विरोध करता है कि भारत अफगानिस्थान सवाल पर सक्रिय भूमिका अदा करे। पाकिस्तान ने अफगानिस्थान सवाल पर आय़ोजित इस्तांबुल सम्मेलन पर अमेरिका के इस प्रस्ताव की खुलकर निन्दा की। इस बार नाटो के हेलिकोप्टरों द्वारा पाक सीमा चौकी पर हमला करने की घटना के बाद पाकिस्तान ने अपनी सीमा के भीतर अफगानिस्थान को आपूर्ति के लिए सभी रास्तों को बन्द कर दिया और नाटो के साथ असहयोग करने का रवैया अपनाया। इसतरह पाक और अमेरिका के बीच अन्तरविरोध चरम पर पहुंचा और पाकिस्तान में गैरसरकारी तौर पर अमेरिका विरोधी आंदोलन ने जबरदस्त रूप ले लिया।
पाकिस्तान में आम चुनाव अब नजदीक आ रहा है, ऐसे वक्त में पाक राजनेतागण के लिए यह स्वाभाविक है कि वे देश की प्रभुसत्ता की रक्षा करने में पीछे नहीं हटें। इसलिए पाक सरकार आगे अमेरिका के सामने कतई नहीं झूकेगी और पाक अमेरिका संबंध में दरार और गहरी होगी और आतंक विरोधी सहयोग के मसले पर दोनों के सहयोग का भविष्य भी उज्ज्वल नहीं होगा।