चीन के सरकारी आंकड़ों के मुताबिक वर्तमान चीन में चल आबादी की संख्या 22 करोड़ 10 लाख है। इस प्रकार की चलती फिरती जनसंख्या में श्रम-क्षमता व तकनीक निची होने, सामाजिक बीमा कराने वालों की संख्या कम होने तथा मकान के किराये के लिए भारी बोझ पड़ने की अनेक दिक्कतें मौजूद हैं। इस सवाल को लेकर हमारे संवाददाता ने हाल ही में सरकार के संबंधित विभाग के अधिकारी से इंटरव्यू लिया। उन्होंने कहा कि इस समस्या को हल करने के लिए चीन सरकार भविष्य में चल आबादी के लिए सार्वजनिक सेवा बढ़ाएगी, शिक्षा, सामाजिक बीमा, रोजगारी तथा चिकित्सा आदि क्षेत्रों में उन्हें समान सेवाएं दिलाने की कोशिश करेगी और युक्तिसंगत कदम उठाकर उन्हें उचित रूप से आने जाने के लिए प्रेरित करेगी।
इस साल 50 वर्षीय महिला क्वो तीन साल पहले देश के एनह्वी प्रांत से पेइचिंग आयी और यहां पारिवारिक सेवा का काम करती है। उस के साथ उस के बेटा बहू भी पेइचिंग में नौकरी का काम करते हैं। उस की पौती जन्म स्थान में रिश्तेदार की देखभाल में स्कूल में पढ़ती है। उस का कहना है कि पेइचिंग में पैसा तो ज्यादा कमा सकती है, पर जीवन में अनेक दिक्कतें आती हैं।
यदि बीमार पड़ी, तो इलाज के लिए खर्चा बहुत ज्यादा है और अदायगी के लिए सरकार से भत्ता भी नहीं मिल सकती। साथ ही हमारे बच्चों के लिए पेइचिंग में स्कूल जाना भी कठिन है।
चीन में श्रीमती क्वो की भांति अपने स्थाई निवास को छोड़ कर दूसरी जगह पर काम करने चले जाने वालों की संख्या बहुत ज्यादा है, वे लोग चल आबादी कहलाते हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार इस प्रकार की जनसंख्या अब 22 करोड़ 10 लाख तक पहुंची है। अपना स्थाई निवास को छोड़ कर पैसा कमाने के लिए दूसरी जगह जाने वालों के लिए जीवन में अनेक समस्याएं उभरी हैं। इस पर चीनी परिवार नियोजन व जनसंख्या आयोग के चल आबादी प्रबंध व सेवा विभाग के प्रधान वांग छ्यान ने कहा कि चल आबादी के जीवन में दिक्कतें बहुत ज्यादा हैं।
पहली समस्या, समूचे समूह की दृष्टि से चल आबादी की श्रम-क्षमता व तकनीक अपेक्षाकृत निची होती है। दूसरी, सामाजिक बीमा में उन की भागीदारी कम है और उन के लिए वृद्ध पेंशन की बीमा का स्थानांतरण कठिन है। तीसरी, दूसरे शहर में रहने के लिए मकान किराये का भार भारी है। चौथी, वित्तीय जोखिम रोधी शक्ति कमजोर है, खासकर कम आय वाले लोगों के लिए शहरी जीवन का खर्चा असहनीय है।
श्री वांग छ्यान ने कहा कि विभिन्न कारणों से गांव के लोग छोटे शहर व कस्बे में जाना नहीं चाहते हैं, अधिकांश लोग मझोले व बड़े शहरों में काम ढूंढना और बसना पसंद करते हैं, यह भी एक खास समस्या बन गयी है।
इधर के सालों में चीन में हर साल करोड़ों लोग गांव से शहर में काम ढूंढने आते हैं। अनुमान है कि 2020 तक शहरों व कस्बों में आबादी 80 करोड़ से अधिक होगी, भावी दस सालों में 10 करोड़ से अधिक ग्रामीण जनसंख्या का विस्थापन होगा, इतनी बड़ी आबादी के लिए जीवन की समस्या हल करने के लिए चीन सरकार अब सक्रिय रूप से कदम उठा रही है। श्री वांग के अनुसार संबद्ध सरकारी संस्थाएं शिक्षा, सामाजिक जीवन बीमा, रोजगारी, चिकित्सा के क्षेत्रों में सभी लोगों को समान सेवा दिलाएंगी, ताकि चल आबादी को भी बेहतर सार्वजनिक सेवाएं मिल सके। श्री वांग ने कहाः
अब चीन सरकार चल आबादी की सेवा करने वाली वर्तमान व्यवस्थाओं को सुधारने तथा परिपूर्ण करने में जुटी है। उदाहरार्थ, पहले स्थानीय सरकारों की वित्तीय योजना में बाहर से आने वाली जनसंख्या का सवाल शामिल नहीं था, अब हम ने स्थानीय सरकारों से मांग की है कि वह चल आबादी की बुनियादी सेवा को भी अपनी वित्तीय योजना में शामिल करें।
जांच सर्वेक्षण से जाहिर है कि चीन में करीब 70 प्रतिशत देहाती आबादी बड़े शहरों में बसना चाहते हैं, इस का एक प्रमुख कारण यह है कि शहर में शिक्षा की सुविधा बेहतर है और रोजगार के अवसर ज्यादा है। इसलिए संबंधित सरकारी संस्थाएं भविष्य में शिक्षा व रोजगारी की सुविधाओं का युक्तिसंगत इंतजाम करेंगी और मझोले व छोटे शहरों में शिक्षा व रोजगारी की सुविधाएं बढ़ाएंगी, और ग्रामीण लोगों को छोटे शहरों व कस्बों में विस्थापित होने केलिए आकर्षित किया जाएगा।