13 कहावत से जुड़ी कथा-- टूटा हुआ दर्पण पुनः जुड़ना

2017-12-19 21:00:01 CRI

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13 कहावत से जुड़ी कथा-- टूटा हुआ दर्पण पुनः जुड़ना

  चांग हंग और भूकंप-सूचक यंत्र  张衡和地动仪

“चांग हंग और भूकंप सूचक यंत्र”बुद्धिमानी से जुड़ी एक कहानी है, इसे चीनी भाषा में“चांग हंग ह ती तोंग यी”(zhāng héng hé dì dòng yí) कहा जाता है। इसमें“चांग हंग”व्यक्ति का नाम है, “ह”का अर्थ है और, जबकि“ती तोंग यी”का अर्थ है भूचाल(भूकंप) सर्वेक्षण यंत्र।

प्राचीन चीन के पूर्वी हान राजवंश यानी ईस्वी 25 से ईस्वी 220 तक के काल में राजधानी लुओ यांग और उसके निकटस्थ स्थानों में अकसर भूकंप आया करता था। ऐतिहासिक ग्रंथों के मुताबिक ईस्वी 89 से लेकर ईस्वी 140 तक के पचास सालों के दौरान इस क्षेत्र में 33 बार भूकंप आया था, जिनमें से वर्ष 119 में दो बार भयंकर भूकंप आये, जिनसे आसपास की दस से अधिक काउटियां प्रभावित हुई। बड़ी संख्या में मकान ढह गए। बड़ी संख्या में लोग और जानवर मारे गए। भूकंप से लोगों में बड़ा भय और हड़बड़ाहट मची। सम्राट को तो डर था कि कहीं भगवान मानव से गुस्सा तो नहीं हैं, इसलिए उन्होंने प्रजा से और अधिक कर वसूल कर भगवान की पूजा विनती करने का अनुष्ठान शुरू किया।

उस समय चीन में एक महान वैज्ञानिक था, जिसका नाम चांग हंग (zhāng héng) था। चांग हंग ने खगोल शास्त्र, पंचांग शास्त्र तथा गणित शास्त्र में गहन अध्ययन किया था और असाधारण उपलब्धियां प्राप्त की थीं। उन्हें भूचाल के बारे में तत्काल चल रहे अंधविश्वास पर यकीन नहीं था। उनके विचार में भूकंप एक प्रकार की प्राकृतिक आपदा है, लेकिन उसके संदर्भ में मानव का ज्ञान अत्यन्त कम था। इसलिए चांग हंग ने भूकंप पर अपना अनुसंधान अधिक बढ़ाया।

चांग हंग ने हर भूकंप का बारीकी से सर्वेक्षण किया और उसके बारे में विस्तृत लेख लिखे। वैज्ञानिक तरीके से भूकंप की उत्पत्ति के कारणों का विश्लेषण भी किया। वर्षों का अथक प्रयास रंग लाया। वर्ष 132 में उन्होंने चीन और विश्व के पहले भूकंप सर्वेक्षण यंत्र का आविष्कार किया, जिसका नाम रखा गया भूचाल यंत्र।

चांग हंग का भूचाल यंत्र पीतल से बनाया गया था,  जो दिखने में एक गोलाकार हांडी सा लगता था। यंत्र का व्यास करीब एक मीटर था। यंत्र के भीतर बीच में तांबे का एक स्तंभ और बाहरी अंग पर आठ पतले कांस्य डंडे जड़े हुए थे। यंत्र के बाहर ऊपरी हिस्से के चारों ओर आठ ड्रैगन की मूर्तियां ढाल कर बनायी गई थीं। आठों ड्रैगन आठ कांस्य डंडों से जुड़े थे, उनके सिर थोड़ा सा ऊपर की ओर उठे हुए थे, जो पूर्व, दक्षिण, पश्चिम, उत्तर, उत्तर पूर्व, दक्षिण पूर्व, उत्तर पश्चिम और दक्षिण पश्चिम की आठ दिशाओं में मुख किए हुए थे। हर ड्रैगन के मुंह में एक छोटा सी कांस्य गेंद थी। हर एक के नीचे एक कांस्य मेढक उकड़ूं बैठा था। उसका माथा ऊपर की ओर उठा हुआ था, मुंह बड़ा सा खुला हुआ। यदि ड्रैगन के मुंह में से वह छोटी गेंद बाहर निकली, तो वह अवश्य मेढक के मुंह में जा गिरेगी।

भूचाल यंत्र के ड्रैगन और मेढक आकृति में भी बहुत सुन्दर और रोचक बनाये गए थे। देखने में मानो दोनों एक दूसरे से क्रीड़ा कर रहे हों। चांग हंग के डिज़ाइन के अनुसार अगर किसी दिशा में भूकंप का झटका आया, तो भूचाल यंत्र का पतला कांस्य डंडा उसी दिशा में हिल जाता, जिससे ड्रैगन का मुंह खुल जाता, उसमें से वह छोटी गेंद कांप कर बाहर गिर जाती और नीचे बैठे मेढक के मुंह में गिर जाती और इसके साथ ठन की ध्वनि भी आती थी, जो लोगों को इस बात की जानकारी देता था कि किस दिशा में भूकंप आया है।

13 कहावत से जुड़ी कथा-- टूटा हुआ दर्पण पुनः जुड़ना

  चांग हंग और भूकंप-सूचक यंत्र  

ईस्वी 133 में लुओ यांग क्षेत्र में भूकंप आया। इसका झटका चांग हंग के भूचाल यंत्र से सटीक पता चल गया। इसके बाद के चार सालों में लुओ यांग में क्रमशः तीन बार भूकंप आए। हर एक का पता भूचाल यंत्र से लगाया गया, कोई चूक नहीं हुई।

वर्ष 138 के फ़रवरी माह के एक दिन चांग हंग ने देखा कि भूचाल यंत्र पर पश्चिम की दिशा में लगे ड्रैगन के मुंह में से छोटी गेंद बाहर निकल कर गिरी, लेकिन किसी को भूकंप का झटका महसूस नहीं हुआ। तो चांग हंग के भूचाल यंत्र को शंका की नज़र से देखने वाले लोगों का मुंह खुला और उन्होंने भूचाल यंत्र बेकार को कहा। किन्तु तीन दिन के बाद लुओ यांग शहर के पश्चिम में स्थित कानसू प्रांत से एक दूत राजधानी आया। उसने सम्राट को यह रिपोर्ट दी कि वहां भयंकर भूकंप आया था।

तभी से सभी लोग मानने लगे कि चांग हंग का भूचाल यंत्र सचमुच एक बहुत सटीक वैज्ञानिक यंत्र था। चांग हंग के इस आविष्कार के बाद चीन उनके भूचाल यंत्र से भूकंप का सर्वेक्षण करने लगा।

 

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