07 कुन और यु द्वारा बाढ़ पर काबू करना

2017-09-19 20:51:09 CRI

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07 कुन और यु द्वारा बाढ़ पर काबू करना

आवाज निकली, तो हुआ आश्चर्य  一鸣惊人

“आवाज़ निकली, तो हुआ आश्चर्य”कहावतों से जुड़ी एक कथा है, इसे चीनी भाषा में“यी मिंग चिंग रन”(yī míng jīng rén) कहते हैं।

ईसा पूर्व नवीं शताब्दी से पांचवीं शताब्दी तक चीन का इतिहास युद्धरत दौर से गुज़र रहा था। उस जमाने में देश में कई छोटे-बड़े राज्य शासन करते थे, सभी राज्य दूसरों को हराने और अपने को शक्तिशाली बनाने की कोशिश करते थे। अपने उद्देश्य को मूर्त रूप देने के लिए इन राज्यों के राजा प्रतिभाशाली सलाहकारों को बहुत पसंद करते थे, इस तरह समाज में सलाह और परामर्श देने वाला एक वर्ग पैदा हो गया, वे विभिन्न राजाओं को शासन और युद्ध संचालन के लिए अपनी-अपनी नीति रणनीति पेश करते थे। वे राजाओं को अपनी राय स्वीकार कराने के लिए कभी-कभी मुहावरे और कथाओं का भी सहारा लेते थे।

छी राज्य का राजा छी वेइ वांग(Qi Wei wang) अभी-अभी राज्य गद्दी पर बैठा था। युवराज बनने के दौरान ही वह एक प्रतिभाशाली और महत्वाकांक्षी था। वह लगन से प्रशासन और युद्ध संचालन के ज्ञान का अध्ययन करता था और शासन की रणनीति पर भी बड़ा ध्यान देता था। छी वेइ वांग सत्ता में आने के बाद वह अपने राज्य को एक शक्तिशाली बड़ा राज्य बनाना चाहता था। लेकिन सम्राट की गद्दी पर बैठने पर उसे अनुभव हुआ कि राजा के अधिकार असीमित हैं, वह तरह-तरह के सुख भोग सकता है। रोज़ महल में मंत्री अधिकारी उसके आगे पीछे दौड़ते हैं और उसकी आज्ञा मानते हैं। राजा के पास स्वादिष्ट भोजन और शराब होती है और खूबसूरत सुन्दरियां भी। इस तरह धीरे-धीरे छी वेइ वांग की पहले की महत्वाकांक्षा हवा हो गई।

दो साल गुज़र गए, छी वेइवांग भोगविलास में लगा रहा। रोज़ शिकार के लिए जाता और शराब पीकर मस्त रहता। उसने शासन के तमाम मामले अपने मंत्रियों पर छोड़ दिए। इसका परिणाम यह हुआ कि राज्य का प्रशासन खराब होता गया और अधिकारी भी भ्रष्टाचारी बन गए। राज्य धीरे-धीरे कमज़ोर होता गया और पास पड़ोस के राज्यों ने छी राज्य पर आक्रमण करना शुरू कर दिया। भद्र अधिकारी और प्रजा राज्य के भविष्य पर चिंतित हो उठे, लेकिन उन्हें छी वेइ वांग को समझाने का साहस नहीं था, क्योंकि उन्हें डर था कि कहीं सलाह देने से राजा नाराज़ होकर उन्हें सज़ा तो न दे दे। 

छी राज्य के महल में छुनयु खुन (Chunyu Kun) नाम का एक सलाहकार था। वह वाकपटु होने के साथ-साथ अकसर रूचिकर कहानी और तर्कसंगत मुहावरों से लोगों को समझाता था। उसे पता था कि छी वेइ वांग को भी नीति कथा और तर्कसंगत मुहावरे पसंद हैं, तो उसने इस तरीके से राजा को समझाने-बुझाने की ठान ली।

एक दिन, छुनयु खुन छी वेइ वांग से मिलने गया। उसने राजा से कहा:“महाराज, मुझ जैसे मंदबुद्धि व्यक्ति के पास एक पहेली है। क्या आप इसे सुलझाना चाहते हैं?”

छी वेइ वांग ने हां कहा:“बताओ, कौन सी पहेली है?”

इस पर छुनयु खुन ने कहा:“एक राज्य में एक बड़ा पक्षी है, राजमहल में वह तीन साल रह चुका है, लेकिन वह न तो पंख फैला कर उड़ान भरता है, न ही कभी आवाज़ देता है, यों बिना लक्ष्य लिए महल में दुबका रहता है, तो आप ही बताएं कि यह कौन सा पक्षी है?”

छी वेइ वांग समझ गया कि छुनयु खुन ने उसे निकम्मा राजा कहकर यह व्यंग्यात्मक पहेली सोची है, पर उसे किस तरह उत्तर देना ठीक होगा?

काफ़ी देर तक सोच विचार कर छी वेइ वांग ने छुनयु खुन से कहा:“यह एक महान पक्षी है, तुम नहीं जानते कि वह उड़ान भरना नहीं चाहता, इसलिए नहीं उड़ता। जब एक बार उड़ेगा, तो सीधे ऊंचे आसमान में जा पहुंचेगा। जब आवाज़ नहीं निकालना चाहता, तो नहीं देता। यदि आवाज़ दे, तो आवाज़ सभी को स्तब्ध कर देगी। तुम इंतज़ार करो।”

छुनयु खुन की सलाह से प्रभावित होकर छी वेइ वांग ने अपने को कमरे में बंद कर कई दिन आत्मालोचना की और अपनी गलती को दुरुस्त करने का पक्का संकल्प किया। वह अपने राज्य को शक्तिशाली बनाने के लिए कटिबद्ध हो गया और प्रशासन को सुव्यवस्थित करने लगा। उसने राज्य के अधिकारियों से मुलाकात कर भद्र अधिकारियों को इनाम दिए। भ्रष्ट और निकम्मों को कड़ी सज़ा दी। उसने सेना का पुनःगठन कर सशक्त बनाया।

छी राज्य ने जल्द ही नया रूप ले लिया, जिसमें जीवन की प्रबल शक्ति का संचार हुआ। छी राज्य पर हमले करने की सोच रहे राज्य इससे स्तब्ध हो गए, वे कहने लगे कि छी वेइ वांग सचमुच एक महान पक्षी है, जो आवाज़ देता है, तो लोग स्तब्ध हो जाते हैं।

 “आवाज़ निकली, तो हुए स्तब्ध”चीन में इसी कहानी पर आधारित जो कहावत प्रचलित है, यह बताती है कि असाधारण योग्यता रखने वाला जब अपनी प्रतिभा को अच्छी तरह उजागर कर देता है, तो उसकी सफलता स्तब्ध देने वाली होती है।

 

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