05 होउ यी का सूरज को मार गिराना

छी यो पर हुआंग ती की विजय 黄帝战蚩尤
पौराणिक कहानी“छी यो पर हुआंग ती की विजय”को चीनी भाषा में“हुआंग ती चान छी यो”(huáng dì zhàn chī yóu) कहा जाता है। इसमें“हुआंग ती और छी यो”व्यक्ति का नाम है,जबकि“चान”का अर्थ है लड़ना।
हजारों वर्ष पहले, चीन की पीली नदी और यांगत्सी नदी के घाटी क्षेत्रों में कई गोत्र और कबीले रहते थे, जिनमें पीली नदी के घाटी क्षेत्र में रहने वाला एक शक्तिशाली कबीले का मुखिया हुआंग ती (Huang Di) था और दूसरे शक्तिशाली कबीले का मुखिया यान ती (Yan Di) था। दोनों रिश्ते के भाई थे। उस वक्त यांगत्सी नदी के घाटी क्षेत्र में च्यु ली कबीला रहता था। उसका मुखिया छी यो (Chi You) था, जो एक ताकतवर और क्रूर योद्धा था।
छी यो के 81 भाई थे, जो मुखड़े में मानव की तरह और शरीर में जानवर सरीखे होते थे। वे सभी बहादुर और शक्तिशाली थे और तलवार, बर्छी व तीर बाण जैसे हथियारों का प्रयोग करने में पारंगत थे। छी यो के नेतृत्व में उसका कबीला अकसर पर दूसरे कबीलों पर आक्रमण करता था और लूटखसोट करता था।
एक बार, छी यो ने यान ती के अधिकृत क्षेत्रों पर हमला बोला और उसके कुछ स्थानों पर कब्जा कर लिया। इसके विरोध में यान ती की सेना ने संघर्ष किया, लेकिन वह छी यो की सेना से कमजोर थी और उसे भारी हार झेलनी पड़ी।
यान ती लाचार होकर हुआंग ती के अधिकृत क्षेत्र जु लु (zhu lu) में भागा और हुआंग ती से सहायता मांगी। हुआंग ती पहले ही विभिन्न कबीलों के जानी दुश्मन छी यो को खत्म करना चाहता था। इस मौके का लाभ उठाकर उसने विभिन्न कबीलों को एकजुट कर जु लु की भूमि पर छी यो के साथ घोर संग्राम किया। यह जीवन मरण का युद्ध था, इसलिए चीन के इतिहास में“जु लु महायुद्ध”के नाम से मशहूर है।
युद्ध के आरंभिक काल में छी यो ने अपने बढ़िया शस्त्रों और बहादुर सैनिकों के बल पर लगातार कई विजय प्राप्त की, लेकिन हुआंग ती ने ड्रैन और अन्य किस्म के खूंखार जानवरों को बुलाकर संग्राम में मदद पायी। हुआंग ती की सेना के अदम्य मुकाबले और प्रहार तथा खूंख्वार जानवरों के सामने छी यो के सिपाहियों का होश हवा हो गये और वे हारकर भाग गए।
हुआंग ती अपनी सेना लेकर पराजित छी यो सेना का पीछा करने लगा, लेकिन सहसा आसमान में काले बादल उमड़ने लगे। घना अंधेरा छाया, तेज़ आंधी चली और भयंकर बिजली गरज उठी। मूसलाधार बारिश हुई, जिससे हुआंग ती की सेना का मार्च रुक गया। असल में छी यो ने वायु देवता और वर्षा देवता को अपनी मदद के लिए बुलाया था। लेकिन हुआंग ती ने भी स्वर्ग से ताप देवता को आमंत्रित किया। उसने अपनी दिव्य शक्ति से हवा बारिश को भगा दिया। क्षण में ही हवा और वर्षा थम गए और अनंत आसमान पूरी तरह साफ़ हो गया।
छी यो ने फिर तांत्रिक हथकंड से घना कोहरा बना कर हुआंग ती की सेना को गुमराह कर दिया। हुआंग ती ने आसमान के ग्रह सप्तर्षि के सिद्धांत के अनुसार दिशा सूचक यंत्र बनाया और जिसके मार्गदर्शन में हुआंग ती की सेना घने कोहरे से बाहर निकली।
अनेक घमासान युद्धों के बाद हुआंग ती ने छी यो के सभी 81 भाइयों को मार डाला और अंत में छी यो को जिन्दा पकड़ा। हुआंग ती के आदेश पर छी यो पर जंजीर लगाया गया और उसे मौत की सज़ा दी गई। इस आशंका से कि मृत्यु के बाद भी छी यो दुष्ट काम कर सकता हो, उसके सिर और शरीर अलग-अलग करके एक दूसरे से बेहद दूर जगह पर दफ़नाये गए। उस पर लगायी गयी जंजीर वीरान पहाड़ पर फेंका गयी, जहां जंजीर ने वृक्षों की जंगल का रूप ले लिया, शरद मौसम में मैपिल पेड़ों के पत्ते सुर्ख रंग में बदल जाते थे, कहते थे कि ये छी यो की रक्तबूंद थे।
छी यो की मृत्यु के बाद भी उसकी बहादुर और ताकतवर छवि डरावनी लगती थी, तो हुआंग ती ने उसकी तस्वीर को सैनिक ध्वज पर अंकित किया, जिससे साहस जुटाकर हुआंग ती की सेना अभय और वीर हो गई और दुश्मन डर कर भाग जाता था। इस महायुद्ध के बाद हुआंग ती को अनेक कबीलों का समर्थन मिला और धीरे-धीरे वह सभी कबीलों की मान्य मुखिया बन गया।
हुआंग ती बुद्धिमान और कार्यकुशल था। उसने अनेक आविष्कार किये थे, जिनमें राज महल का निर्माण, रथ और जहाज का निर्माण, कंपास और पंच रंगों का वस्त्र आदि शामिल थे।
हुआंग ती की पत्नी लुओ चु (Luo zu) भी एक आविष्कारक थी। पहले रेशम कीड़ा जंगली था, कबीली लोग उसका काम नहीं जानते थे। लुओ चु ने लोगों को रेशम कीड़ा पालने, रेशमी धागा कातने तथा रेशमी कपड़ा बुनने का हुनर सिखाया। तब चीन में रेशमी कपड़े का आविष्कार हुआ। हुआंग ती ने मंडप का सृजन किया, तो लुओ चु ने मंडप के डिज़ाइन से प्रेरित होकर वर्षा में चलते मंडप यानी छाते का आविष्कार किया।
प्राचीन काल में चीनी राष्ट्र हुआंग ती का असीम समादर करता था। उसके उत्तरवर्ती कालों में चीनी लोग हुआंग ती को चीनी राष्ट्र का पूर्वज मानने लगे और अपने को हुआंग ती की संतान कहने लगे। क्योंकि हुआंग ती और यान ती दोनों निकट रिश्ते के थे और दोनों गोत्र अंत में एक में बंधे हुए थे, तो चीनी लोग अपने को यान-हुआंग की संतान भी कहते हैं।
चीनी राष्ट्र के इस मान्य पूर्वज की समृति में चीनी लोगों ने पीली नदी के तट पर आज के श्यानशी प्रांत की हुआंग ती काऊंटी के उत्तर में खड़े छ्याओ शान (Qiao shan) पहाड़ पर हुआंग ती का मकबरा बनाया। हर वसंत में विश्व के विभिन्न स्थानों से फैले चीनियों के प्रतिनिधि वहां जाकर चीनी राष्ट्र के इस महान पूर्वज को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।