04 बैल पालक और मेघ बुनाई परी

होउ ची और पाँच अनाज 后稷与五谷
“होउ ची और पाँच अनाज”शीर्षक पौराणिक कहानी को चीनी भाषा में“होउ ची यू वूकू”(hòu jì yǔ wǔ gǔ) कहा जाता है। इस में“होउ ची”व्यक्ति का नाम है, जबकि“यू”का अर्थ और है, वहीं“वूकू”का मतलब होता है पाँच अंनाज, यहां पाँच अनाज को आम तौर पर खेती के बारे में इस्तेमाल किया जाता है।
चीन की प्राचीन सभ्यता कृषि सभ्यता कहलाती थी। इसलिए चीन की पौराणिक कथाओं में कृषि संबंधी कई कहानियां पढ़ने को मिलती हैं। होउ ची की खेतीबाड़ी के विकास की कहानी उनमें से एक है।
मानव के जन्म के बाद लोगों का जीवन मुख्यतः शिकार करने, मछली पकड़ने और जंगली फल तोड़ने पर निर्भर था। वह दिन भर दौड़ धूप करता था और भी अकसर भूख से त्रस्त रहता था। प्राचीन चीन के योउ थाई (You Tai) नामक स्थान में च्यांग युआन (Jiang Yuan) नाम की एक युवती रहती थी।
एक दिन, च्यांग युआन खेलने के लिए बाहर गई। घर लौटते वक्त रास्ते में एक नम जगह पर उसने एक बहुत बड़ा पदचिह्न देखा, इतने बड़े निशान को देखकर च्यांग युआन को बड़ा आश्चर्य हुआ और कौतूहल भी हुई। उसने अपने पांव को बड़े पदचिह्न पर रखा। ऐसा करने पर च्यांग युआन को लगा कि उसके शरीर के अन्दर हल्की सी हलचल मची।
घर लौटने के कुछ दिन बाद च्यांग युआन गर्भवती हो गयी और बाद में एक बच्चे का जन्म हुआ। बच्चे का पिता नहीं था, इसलिए पड़ोसियों को वह अपशकुन लगता था और उन्होंने च्यांग युआन से बच्चा छीनकर गांव से बाहर छोड़ दिया, उन्हें लगा कि यह बच्चा ज़रूर भूख से मर जाएगा। लेकिन इस बच्चे की रक्षा करने के लिए बहुत से जंगली जानवर आ पहुंचे और मादा जानवर उसे अपना दूध पिलाती रही। उसे जीवित देखकर गांव वासियों ने उसे फिर ठंडी बर्फ़ पर छोड़ दिया, लेकिन गांव वाले उसे वहां छोड़कर गए ही थे कि आसमान से बड़ी संख्या में पक्षी वहां उतरे और बच्चे को अपने पंखों से गर्मी देने लगे।
लोग समझ गए कि यह बच्चा कोई साधारण बच्चा नहीं है, तो वे उसे वापस घर ले आए और पालने के लिए उसकी मां को दे दिया। कई बार छोड़े जाने के कारण बच्चे का नाम“छी”(Qi) अर्थात“त्याग”रखा गया।
छी बचपन से ही बड़ा महत्वाकांक्षी था। उसने देखा कि मानव को शिकार करने और जंगली फल तोड़ने में कड़ी मेहनत करनी पड़ती थी और फिर भी भूख प्यास नहीं मिट पाती थी, तो उसके मन में यह विचार आया कि अगर किसी एक ही जगह पर आहार की आपूर्ति हो सके, तो कितना अच्छा होगा।
उसने बारीकी से गौर करने से यह रहस्य पाया कि जंगली फलों के बीज जमीन में दोबारा उग जाते हैं, तो उसने जंगली गैहूं, धान, सोयाबीन, बाजरा तथा विभिन्न किस्म के फलों के बीज इक्ट्ठे किए और अपनी जुती हुई जमीन के एक टुकड़े पर बोये। समय-समय पर पानी से सिंचित किया और घास की गुड़ाई की। कुछ ही महीनों के बाद फलों के पेड़ बड़े हो गए, और उसके बाद उनमें फल भी लग गए, उनका स्वाद जंगली फलों से अच्छा भी था।
जंगली वनस्पतियों के बीजों की बुवाई-उगाई अच्छी करने के लिए छी ने लकड़ी और पत्थर से सरल औजार भी बनाये। बड़ा होने तक खेतीबाड़ी के बारे में उसे बहुत अनुभव हासिल हो चुका था। उसने अपना अनुभव सभी लोगों के साथ साझा किया, जिससे मानव धीरे-धीरे शिकार करने, मछली पकड़ने तथा जंगली फल तोड़ने पर पूरी निर्भर होने से मुक्त हो गया और उसे खेती की जानकारी प्राप्त हुई। छी के इस महान योगदान के कारण लोग उसे होउ ची के नाम से सम्मानित करने लगे। प्राचीन चीनी भाषा में होउ का अर्थ शासक है और ची का अर्थ अन्न, अर्थात वह अन्न का राजा है।
होउ ची की स्मृति के लिए स्थापित मूर्ति
होउ ची के देहांत के बाद लोगों ने उसकी याद में उसे प्राकृतिक दृष्टि से बहुत सुन्दर एक स्थान में दफ़नाया, जहां भूमि ऊपजाऊ थी, विभिन्न किस्म की फसलें उगती थी और हर शरद ऋतु में जब फसल काटी जाती, तो बड़ी संख्या में पक्षी वहां आकर नाचते और गाते।