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    भारत-चीन : नई दिशा की ओर
    2014-09-18 09:22:06 cri

    अखिल पाराशर, चाइना रेडियो इंटरनेशनल, बीजिंग

    आखिर वह दिन आ ही गया जिसका इंतजार पूरी दुनिया को था। अब सभी की नजरें गड़ी हैं भारत और चीन के शीर्ष नेताओं की मुलाकात पर। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के स्वागत के लिए पलकें बिछा रखी हैं। मोदी ने शी जिनपिंग के भारत दौरे से पहले ट्विटर पर ट्वीट कर यह साफ कर दिया कि वह जिनपिंग के भारत दौरे का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। बेसब्री से इंतजार भी क्यों न हो, जिनपिंग की भारत यात्रा से दोनों देशों के बीच रिश्तों को एक नई दिशा जो मिल सकती है। संयोग देखें कि चीनी राष्ट्रपति की भारत यात्रा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन पर हो रही है, और वो भी मोदी के गृहनगर गुजरात के अहमदाबाद शहर से। यकीनन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिंनपिंग के दौरे के लिए अहमदाबाद को सजाया जा रहा है। प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी की यह पहली गुजरात यात्रा होगी और शी जिनपिंग का इस उपमहादेश में पहला दौरा होगा।

    राष्ट्रपति बनने के बाद शी जिनपिंग की यह पहली भारत यात्रा है। चीन और भारत दोनों को उम्मीद है कि इस यात्रा से द्विपक्षीय संबंध एक नए स्तर पर पहुंच सकेंगे। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की भारत यात्रा में कई अहम् घोषणाएं होने की संभावना है। इनमें सबसे महत्वपूर्ण चीन के दो औद्योगिक पार्कों के निर्माण की घोषणा को माना जा रहा है, जिसमें पहला पार्क गुजरात में और दूसरा महाराष्ट्र में स्थापित किया जा सकता है। इसके अलावा चीन भारतीय रेलवे के आधुनिकीकरण में करीब 100 से 300 अरब डॉलर के बीच निवेश की प्रतिबद्धता जाहिर कर सकता है। चीनी निवेश की बात करें, तो चीन को इस समय भारत जैसे बाजार की जरूरत है। खरबों डॉलर विदेशी मुद्रा भंडार वाला देश चीन अब भारत में अरबों डॉलर का निवेश करने की तैयारी में है। माना जा रहा है कि वह भारत में निवेश के मामले में जापान को पछाड़ देगा। जहां तक जापानी निवेश का सवाल है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जापान यात्रा के दौरान जापान ने भारत में 35 अरब डॉलर (लगभग सवा 2 खरब रुपये) के निवेश की प्रतिबद्धता जताई है।

    शी जिनपिंग की इस यात्रा से दोनों देशों के बीच होने वाले व्यापार में असंतुलन को दूर करने की कोशिश की जाएगी। भारत में ऐसी बहुत सारी परियोजनाएं हैं, जो बीच में ही अटकी हैं, चीन इनमें भारत की मदद कर सकता है। इसके अलावा भारत चाहता है कि चीन निर्यात किये जाने वाले सामान को भारत में बनाने के लिए औद्योगिक इकाइयां लगाए और निवेश करे, जिससे भारत में रोजगार पैदा हो सके। भारत के लिए भी चीन में निर्यात के कई मौके हैं। भारत आईटी सेवा, कपास उद्योग, फार्मा क्षेत्र, इंजीनियरिंग उत्पाद आदि से जुड़ी कंपनियों को चीनी बाजार में काम करने के अधिक से अधिक अवसर मुहैया करवाना चाहेगा।

    मेरे विचार में शी जिनपिंग और नरेंद्र मोदी, दोनों ही इस यात्रा को अधिक से अधिक सफल बनाने में गहरी रुचि ले रहे हैं। इसलिए यह मानना गलत नहीं होगा कि राष्ट्रपति शी जिनपिंग की भारत यात्रा से भारत-चीन संबंधों को एक नई ऊंचाई मिल सकती है।

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