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    विश्व में कम से कम 70 करोड़ बच्चों का बचपना छीन गया
    2017-06-08 15:28:46 cri
    बच्चों का बचाव नामक अंतर्राष्ट्रीय लोकोपकार संगठन ने 31 मई को कहा कि विश्व में एक चौथाई बच्चे यानी कम से कम 70 करोड़ बच्चों का बचपना रोग, युद्ध, बाल विवाह व शिक्षा न पाने आदि वजहों से समय से पहले खत्म हो गया।

    इस संगठन ने उसी दिन पहला बचपने की समाप्ति वरीयता क्रम जारी किया। 172 देशों में पश्चिमी व मध्य अफ़्रीका में रहने वाले बच्चों की स्थिति सबसे ज्यादा खराब है। वरीयता क्रम में अंतिम दस देशों में सात देश पश्चिमी व मध्य अफ़्रीका के हैं।

    इस वरीयता क्रम के अनुसार सबसे खराब बचपना वाले तीन देश क्रमशः नाइजर, अंगोला और माली। और सबसे श्रेष्ठ बचपन वाले तीन देश क्रमशः नॉर्वे, स्लोवेनिया व फिनलैंड हैं। इस संगठन के अनुसार इन 70 करोड़ बच्चों में अधिकतर लोग विकासशील देशों के गरीब क्षेत्रों में रहते हैं। उन्हें चिकित्सा, शिक्षा व खुशहाल जीवन नहीं मिल पाता है। इसके विपरीत उन्हें गरीबी व भेदभाव सहना पड़ता है।

    बच्चों का बचाव अंतर्राष्ट्रीय लोकोपकार संगठन, विश्व स्वास्थ्य संगठन और संयुक्त राष्ट्र बाल कोष द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार 26 करोड़ 30 लाख बच्चे शिक्षा के मोहताज हैं। लगभग 16 करोड़ 80 लाख बच्चे बाल मजदूर बन गये, जिनमें आधे से ज्यादा लोग खतरनाक काम कर रहे हैं। 15 करोड़ 60 लाख ऐसे बच्चे कुपोषण के शिकार हैं, जिनकी उम्र पांच वर्ष से कम है। हर साल कम से कम 1 करोड़ 50 लाख लड़कियों की 18 वर्ष की आयु से पहले शादी कर दी जाती है। जिनमें 40 लाख लड़कियों की शादी 15 वर्ष से कम उम्र में हुई है। युद्ध व उत्पीड़न से 2 करोड़ 80 लाख बच्चों को विवश होकर अपना घर छोड़ना पड़ा। जिनमें 1 करोड़ 10 लाख बच्चे शरणार्थी बन गये।

    हर साल लगभग 1 करोड़ 60 लाख लड़कियां 15 से 19 वर्षों की उम्र में बच्चे को जन्म देती हैं। जिनमें 10 लाख लड़कियों ने 15 वर्ष से कम उम्र में बच्चे को जन्म दिया । और हर साल कम से कम 60 लाख बच्चे, जिन की उम्र पाँच साल से कम है, की मौत हो जाती है।

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