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    18 नकली वाद्य वादक
    2017-03-06 19:53:39 cri

    शिष्टाचारी की हद 客套误事

    कहानी"शिष्टाचारी की हद"को चीनी भाषा में"ख थाओ वू शी"(kè tào wù shì) कहा जाता है। इसमें"ख थाओ"का अर्थ है शिष्टाचार, जबकि"वू"का अर्थ है देर या विलंब और"शी"का अर्थ है काम। कुल मिलाकर कहा जाए, तो"वू शी"का अर्थ निकलता है काम में देरी आना।

    प्राचीन समय की बात थी। यु छानची नाम का एक व्यक्ति अपने मित्र के साथ मिलकर चूल्हे के पास ताप सेंक रहे थे। मित्र पुस्तक पढ़ने में लग्न रहा था। अतः उसके कपड़े की निचले आंचल में आग लगने पर भी उसे पता नहीं चला।

    मित्र के वस्त्र में आग लगी देखकर यु छानची ने धीरे-धीरे खड़े हो कर हाथ जोड़ते हुए मित्र से कहा:"दोस्त, मैं आप को एक बात बताना चाहता हूं, लेकिन मुझे डर है कि कहीं आप को गुस्सा तो नहीं आए और अपने स्वास्थ्य को आंच तो ना पहुंचे। अगर आप को नहीं बताऊं, तो मित्र होने के नाते ऐसी जिम्मेदारी से बचना ठीक भी नहीं है। मैं इतना असमंजस्य में पड़ गया हूं कि पता नहीं, क्या करना चाहिए। आप मुझे आश्वासन दें कि आप चिंतित जरूर नहीं रहें और गुस्सा नहीं आए, जब जाकर मुझे आप को बताने का साहस आ सकेगा।"

    मित्र उसके गंभीर्य को देखकर बहुत आश्चर्यचकित हुआ और कहा:"हम दोनों अच्छे मित्र हैं। इतना ज्यादा सोच विचार करने की क्या आवश्यकता है। वास्तव में क्या हुआ, आप बताएंगे। मैं ज़रूर विनम्रता से आप की राय मान लूंगा।"

    यु छानची ने बार-बार हाथ जोड़ कर मित्र से चिंता से बचने की मांग की और मित्र ने बार-बार वायदा किया। तब उसने धीमी लहजे में कहा:"चूल्हे से आप के वस्त्र में आग लगी है और अब वस्त्र का एक बड़ा भाग खराब हो चुका है।"

    यु छानची की बात अभी समाप्त नही हुई थी कि उसका मित्र चिंता से उछल गया और नीचे की ओर देखा, सचमुच वस्त्र का आधा भाग जल चुका था, उसने फटाफट कपड़ा उतार दिया और हाथ पांव मारकर आग को बुझा दिया। गुस्सा होने के कारण मित्र के चेहरा का रंग भी उड़ा था:"आप ने क्यों जल्दी नहीं बताया, ऐसी घटना होने पर भी आप इतनी लम्बी जोड़ी बातें कहते हैं।"

    मित्र की उतावली पर यु छानची ने फिर अपने को सही समझा और कहा:"देखो, देखो, अभी कहते हैं कि चिंता नहीं करते हैं, तो अब क्या हुआ, चिंतित हुआ है ना, सचमुच आदत का परिवर्तन पहाड़ के कायाबदल से भी मुश्किल है।"

    भारत में भी एक मिलती जुलती चुटली चलती है। यानी दो मित्र थे, जो गाड़ी पकड़ने स्टेशन पर पहुंचे। दोनों मित्र बड़े ही शिष्टचार वाले आदमी थे। जब गाड़ी छूटने वाली थी, तो एक ने दूसरे से कहा:"पहले आप तशरीफ करें"। दूसरे ने पहले मित्र से शिष्टाचार का बर्ताव करते हुए कहा:"पहले आप।" फिर पहले ने दूसरे से कहा:"पहले आप।" दूसरे ने फिर कहा:"पहले आप।" ऐसा एक दूसरे से"पहले आप, पहले आप"कहते कहते के बीच गाड़ी छूट गयी और दोनों मित्र अवाक देखते रह गए।

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