सोशल साइट्स के बढ़ते चलन ने पूरे विश्व में क्रांति ला दी है। भारत में भी एक बड़ा वर्ग सोशल साइटों से जुड़ा हुआ है। उनमें से सबसे ज्यादा फेसबुक का इस्तेमाल किया जाता है।फेसबुक जो की हमारे देश में लगभग हर आयु वर्ग के लोगों की पहुंच में है और उनके द्वारा इस्तेमाल भी खूब किया जाता है।
हर छोटी व बड़ी खबरों को मिनट दर मिनट फेसबुक पर लाइक, शेयर, कमेंट किए जाते हैं और इस लाइक, शेयर, टैग, कमेंट करने की धुन में हम आयी हुई पोस्ट को ध्यान से देखना भी शायद गवारा नहीं समझते।या यू कहें कि हम उस लाइक, शेयर, कमेंट के आइकन का उद्देश्य ही नहीं समझ पाए हैं। इसी धुन में हम ऐसी-ऐसी संवेदनशील पोस्ट पर लाइक कर देते है जो कि हृदय विदारक के साथ ही किसी की जिंदगी और मौत से जुड़ी हो सकती हैं।
फेसबुक पर लाइक, कमेंट शेयर की इस अंधी दौंड़ में एक तरह से हमारी सोचने-समझने की शक्ति पर लगाम लग गया है और हम संवेदनहीन हो गए हैं। कई बार देखने में आया है कि किसी दुखद सूचना वाली पोस्ट को लाइक बटन पर क्लिक कर उसे पसंद कर लिया जाता है। इस विषय पर वर्चुअल वर्ल्ड में कई बार बातें होती हैं।
कभी -कभी इसके चलते अभिव्यक्ति का एक गैर जिम्मेदार स्वरुप लगता है। जब लाइक बटन पर क्लिक करते हुए प्रस्तुत विचारों या चित्रों को गौर से देखा भी नहीं जाता है। जो बात लिख कर बताने और सहानुभूति जताने के लिए होती है. उसे पसंद कर आगे बढ़ जाना एक तरह की असंवेदनशीलता ही दिखता है या हम उसे फेसबुक का अनाड़ी प्रेम कह सकते हैं। जो बिना सोचे समझे ऐसी पोस्टों पर लाइक कर देते हैं।
उदाहरण के तौर पर कई बार हमने देखा है कि लोग अपने या घर के किसी व्यक्ति के निधन पर अस्थि विसर्जन या शव की तस्वीर को श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए पोस्ट करते हैं।उनकी ऐसी पोस्ट पर तमाम लोगों द्वारा लाइक किया जाता है। वो शायद भूल जाते हैं कि लाइक का मतलब पसंद करना होता है।किसी के मरने को भी ये लोग पसंद करते हैं।
मुझे नहीं लगता कि कोई भी किसी की मृत्यु होने की खबर को पसंद करता है।बल्कि अपना शोक व्यक्त करता है।ऐसे ही अगर थोड़ा ध्यान देंगे तो और भी विषयवस्तु से संबंधित इस तरह के पोस्ट आपको देखने को मिलेंगे।