लाबा खिचड़ी यानी आठ प्रकार के दालों के साथ चेपदार चावल की खिचड़ी। चीन के"लाबा उत्सव"में लाबा खिचड़ी खाने का रिवाज चलता है। लाबा खिचड़ी खाने की प्रथा का हज़ारों वर्षों का इतिहास रहा है।
आदिम काल में "ला" एक किस्म के कर्मकांड का नाम था। श्या व यन राजवंशों में इसे"छिंग शि"और"चा फिंग"कहा जाता था। चो राजवंश में"ला"का नाम आया। "ला"चीनी शब्द"ल्येई"का परिवर्तित रूप था। इस तरह उस समय ये दोनों शब्द समार्थक था। कहा जाता था कि साल के अंत में सभी फ़सलों का काम पूरा हो चुका है और किसानों को खेती से अवकाश मिला। पूर्वजों व देवताओं की पूजा अर्चना करने तथा मंगल व दीर्घायु की प्रार्थना करने और अनिष्टों से बचाने के लिए लोग जंगलों में जानवरों का शिकार करते थे तथा पूजा प्रार्थना करते थे और उन की बलि चढ़ाते थे, इस प्रकार के कर्मकांड को "ला जी"कहलाता था।
दक्षिणी व उत्तरी राजकाल के दौरान चीनी चंद्र पंचांग के अनुसार बारहवें मांस की 8 तारीख को औपचारिक रूप से"लाबा"उत्सव बनाया गया। उसी दिन पूर्वजों व देवताओं की पूजा करके अच्छी फ़सल व शुभमंगल की प्रार्थना की जाती थी। बौद्ध कथाओं के अनुसार बौद्ध धर्म के संस्थापक शाक्यामुनी के बुद्ध बनने की तिथि भी साल के बारहवें माह की 8 तारीख थी, इसलिए उसी दिन को बौद्ध धर्म के अनुयाई भी त्योहार के रूप में मनाते हैं, इस तरह इस दिवस का दूसरा नाम भी आया"फ़ो छन ताओ ज्ये"अर्थात बुद्ध बनने का उत्सव।