संयुक्त राष्ट्र के नये महासचिव एंटोनियो गुटरेस ने संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में शांति मिशन में अपना बलिदान देने वालों को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र संघ के सभी सदस्य देशों और इस संगठन के कर्मचारियों से सामने आये विविध चुनौतियों का सामना करने में संयुक्त प्रयास करने की अपील की।
महासचिव ने कहा,हमारे सामने बड़ी चुनौतियां पैदा हो रही हैं । विश्व के विभिन्न स्थानों में हुए विविध चुनौतियों का अन्दरूनी संपर्क होता है और इसमें आतंकवाद का खतरा चिन्ताजनक है ।
गुटरेस ने जोर देते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र को चुनौतियों की पूर्व रोकथाम और समाधान पर जोर देना चाहिये, ताकि विश्व की शांति व समृद्धि, विश्व के अनवरत विकास तथा मानवाधिकार के सुधार को बढ़ावा मिले।
गुटरेस ने कहा कि विश्व अर्थतंत्र के विकास तथा विज्ञान व तकनीक की प्रगति से गरीबी उन्मूलन तथा सामाजिक कल्याण को उन्नत करने के लिए योगदान पेश किया गया है । पर साथ ही विश्व दायरे में असमानता भी तेज़ बनी हुई है जिससे विदेशियों के प्रति घृणा, नफ़रत और समाजिक उपद्रव आदि अस्थिर तत्व जन्मे हैं ।
गुटरेस ने आगे कहा,अनेक वैश्विक समस्याओं का किसी एक देश की शक्ति से हल नहीं किया जा सकता है। इसलिए बहुपक्षीयवादी प्रणाली की बड़ी आवश्यक्ता है। वैश्विक समस्याओं का वैश्विक समाधान प्रस्ताव की ज़रूरत है, जबकि संयुक्त राष्ट्र संघ इस बहुपक्षीयवाद की जड़ है।
महासचिव गुटरेस ने बहुपक्षीय संरचना के जरिये विश्व दायरे वाले सवालों का समाधान करने की अपील की। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र संघ एक बड़ी संस्था है, जिसमें कमियां भी उपस्थित हैं। इसलिए संयुक्त राष्ट्र संघ को अंदरुनी सुधार करने और कार्य क्षमता को उन्नत करने की आवश्यक्ता है। विभिन्न सदस्य देशों को भी आगे वार्तालाप कर समझ व सहयोग को गहरा करना चाहिए, ताकि संयुक्त राष्ट्र संघ के अंदरुनी मतभेदों को कम किया जा सके।
गुटरेस ने अंत में कहा,मेरे विचार में तथाकथित करिश्मा नहीं है। मैं भी अपनी शक्ति से करिश्मा नहीं कर पाऊंगा। केवल सहयोग से ही हम अपने लक्ष्य को साकार कर सकते हैं, संयुक्त राष्ट्र चार्टर द्वारा हमें प्रदत्त पवित्र मिशन का अच्छी तरह निभा सकते हैं और सारी दुनिया की जनता को एकत्रित कर सकते हैं।
गुटरेस ने सभी लोगों से 2017 को एक शांति वर्ष बनाने की अपील भी की। उन्होंने कहा कि शांति हमारा लक्ष्य व उसूल है। सम्मान व आशा, प्रगति व समृद्धि ये सब हमारे बड़े मानव परिवार द्वारा संघर्ष के बाद प्राप्त लक्ष्य है। वे सब शांति पर निर्भर हैं। जबकि शांति हमारे द्वारा साकार की जा सकती है।