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    20161213 चीन-भारत आवाज़
    2016-12-13 19:04:45 cri

    दक्षिण एशिया मामलों के लिए चीनी विशेषज्ञ ल्यू शुहोंग ने भी दूसरी विश्व इंडोलॉजी सभा में भाषण दिया। उन्होंने कहा कि "रेशम मार्ग आर्थिक कॉरिडोर" और "21वीं सदी समुद्री रेशम मार्ग" यानी "एक पट्टी एक मार्ग" की रणनीति दक्षिण एशिया पर अध्ययन के लिए लाभदायक है।

    ल्यू शुहोंग ने कहा कि "एक पट्टी एक मार्ग" रणनीति की प्राथमिकता है आर्थिक निर्माण, जिसका उद्देश्य संबंधित देशों की अर्थव्यवस्था और समृद्धि को बढ़ावा देना है। आपसी समझदारी और सहयोग मज़बूत करना इस रणनीति को लागू करने का आधार है। भाषा विभिन्न देशों के बीच संपर्क में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। ल्यू शुहोंग ने कहाः

    "दक्षिण एशियाई देशों में प्रचलित हिन्दी, उर्दू, बांग्ला, सिंहली, तमिल और नेपाली जैसी भाषाओं का 'एक पट्टी एक मार्ग' के निर्माण में इस्तेमाल ज़रूर होगा। हम अंग्रेज़ी में भी बात कर सकते हैं, लेकिन स्थानीय भाषा बोलने में और सुविधा होती है। इसलिए इन भाषाओं को सीखने का काम बहुत महत्वपूर्ण है।"

    "एक पट्टी एक मार्ग" से संबंधित देशों की संस्कृतियां रंगबिरंगी हैं, भाषाएं भी विविध हैं। चीन में इन भाषाओं को जानने वालों की संख्या बहुत कम है। "एक पट्टी एक मार्ग" के निर्माण में भाषा प्रतिभाओं की आवश्यकता है।

    "बांग्लादेश-चीन-भारत-म्यांमार आर्थिक गलियारा और चीन-पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर दक्षिण एशियाई क्षेत्र में 'एक पट्टी एक मार्ग' रणनीति के साथ घनिष्ठ संबंध होने वाली दो परियोजनाएं हैं। इन परियोजनाओं के कार्यांवयन से संबंधित देशों को बड़ा लाभ मिलेगा। पूंजी लगाने के साथ साथ प्रतिभाओं की भी ज़रूरत है। इस समय विश्वविद्यालयों में पढ़ रहे छात्र शायद भविष्य में इन परियोजनाओं में भी अपना योगदान करेंगे।"

    चीनी शिक्षा मंत्रालय ने वर्ष 2015 और 2016 में क्रमशः योजना बनाई कि "एक पट्टी एक मार्ग" के लिए बौद्धिक समर्थन दिया जाएगा। इससे चीन के विभिन्न विश्वविद्यालयों में संबंधित मेजर का विकास हुआ। प्रोफ़ेसर ल्यू शुहोंग ने कहाः

    "शिक्षा मंत्रालय की योजना के अनुसार वर्ष 2017 में चीन के विश्वविद्यालों में 97 भाषाओं की कक्षाएं खोली जाएंगी। चीन के साथ राजनयिक संबंध स्थापित करने वाले सभी देशों में प्रचलित मुख्य भाषाओं के मेजर चीनी विश्वविद्यालयों में उपलब्ध होंगे।"

    ल्यू शुहोंग ने कहा कि गत 50 और 60 के दशक में विदेशों के साथ कूटनीतिक आवाजाही शुरू होने के चलते चीन में विदेशी भाषा शिक्षा का तेज़ विकास हुआ था। नई शताब्दी में प्रवेश होने के बाद चीन सरकार ने पूरे देश में 9 विदेशी भाषा शिक्षा केन्द्र स्थापित किए, जिससे विदेशी भाषा शिक्षा का प्रोत्साहन किया गया। अब दक्षिण एशियाई भाषा प्रतिभाओं का प्रशिक्षण न सिर्फ़ भारतीय विद्या और दक्षिण एशिया पर अध्ययन के लिए लाभदायक है, बल्कि "एक पट्टी एक मार्ग" रणनीति के कार्यांवयन में बौद्धिक समर्थन किया जाएगा।


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